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इ-व्हीकल्स से रुकेगा प्रदूषण

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इन वाहनों का मेंटेनेंस का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है. इन्हें घर पर ही चार्ज किया जा सकता है. जहां तक प्रदूषण को नियंत्रित करने की बात है, तो इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक प्रयोग इस दिशा में पहला चरण साबित हो सकता है.

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हाल ही में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया) स्कीम के दूसरे फेज से जुड़ी कुछ अहम घोषणाएं की हैं. इस योजना को लागू करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. दरअसल, इस स्कीम को दो वर्ष पूर्व मार्च, 2019 में शुरू किया गया था. इसके तहत 15 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लांच करने की योजना तैयार की गयी थी.

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लेकिन, कुछ कारणों के चलते इस योजना पर काम नहीं हो सका. योजना के मुताबिक, अब तक देश में 7 से 7.5 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां लॉन्च हो जानी चाहिए थीं, जबकि मात्र 50,000 ही ऐसी गाड़ियां ही लायी जा सकी हैं. नये बजट में एक बार फिर इस योजना को बढ़ावा देने की बात दोहराई गयी है. वर्तमान आवश्यकताओं और आधारभूत ढांचे के मद्देनजर इसमें कुछ परिवर्तन भी प्रस्तावित हैं. वर्तमान में इन वाहनों की खरीद पर प्रति किलोवॉट 10 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है.

हालांकि, इसे देखते हुए यह सीमा और बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. मार्केट में 70 से 80 हजार कीमत के इलेक्ट्रिक व्हीकल उपलब्ध हैं, इनको प्रमोट करने के लिए सरकार को नये प्रावधान लाने चाहिए. पब्लिक सेक्टर के बैंक भी सस्ते दर में लोन देकर ग्राहकों के बीच इनकी बिक्री को बढ़ावा दे सकते हैं. इन वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने और इसे आमजन के लिए सुलभ बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

दूसरी कमी जागरूकता के स्तर पर है. इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि वाहनों से होनेवाले प्रदूषण की गंभीर चुनौती से निपटने की एक सार्थक शुरुआत हो सके. साथ ही लोगों को जागरूक किया जाये, जिससे आनेवाले दिनों में लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे एवं उसके भविष्य को लेकर आश्वस्त हो सकें. दिल्ली सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाये भी गये हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में ग्रीन प्लेट दी जाती है.

यदि कोई ग्राहक दिल्ली में ग्रीन प्लेट की गाड़ी खरीदता है, तो उसे राेड टैक्स नहीं देना होगा. इसी तरह कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल लेने पर रोड टैक्स में छूट दी गयी है. सरकार को इन गाड़ियों के प्रमोशन का इन्फ्रॉस्ट्रक्चर बेहद सरल रखना होगा. लोगों में यह जागरूकता फैलानी होगी कि इन गाड़ियों का प्रयोग अन्य वाहनों की तरह ही आसान और सुविधाजनक है. लोगों तक इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जिंग स्टेशन की जानकारी पहुंचानी होगी.

आज दिल्ली में 200 से अधिक चार्जिंग स्टेशन हैं, लेकिन वहां के लोगों से पूछा जाये, तो शायद वे अपने नजदीकी चार्जिंग स्टेशन के बारे में नहीं बता पायेंगे. इसके साथ ही गाड़ियों के चार्जिंग रेट फिक्स करने होंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर इंडस्ट्री में किये जानेवाले परिवर्तनों की बात करें, तो सप्लाइ को लेकर बहुत काम करने की जरूरत है. देश में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयोग किये जानेवाले मोटर और बैटरी सेल नहीं बनाये जाते, लेकिन ये रातों-रात होनेवाले परिवर्तन नहीं हैं. इंडस्ट्री को बदलने में अभी समय लगेगा. सरकार की ओर से इसे लेकर काम किया जा रहा है.

लोगों में सुरक्षा को लेकर काफी आशंकाएं हैं, लेकिन इ-व्हीकल के दोनों सेगमेंट-सिटी स्पीड और हाइ स्पीड, अन्य वाहनों की तरह सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (सीएमवीआर) के अंतर्गत बनाये गये सभी नियमों को पूरा करते हैं. सुरक्षा के लिहाज से किसी डीजल या पेट्रोल वाहन को जिस तरह के मानकों को पूरा करना होता है, वही मानक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी तय होते हैं. फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स इन इंडिया स्कीम के तहत अब तक 98 इलेक्ट्रिक व्हीकल मॉडल रजिस्टर हो चुके हैं, जिनमें 32 टू व्हीलर मॉडल, 50 थ्री व्हीलर और 16 4-व्हीलर मॉडल शामिल हैं.

इन वाहनों को खरीदनेवाले ग्राहकों को सरकार द्वारा परचेज प्राइस में रिडक्शन के रूप में इंसेंटिव दिये जाने का प्रस्ताव रखा गया है. एक बड़ा सच यह है कि जब तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ेगी, तब तक कोई भी स्कीम सफल नहीं हो पायेगी. इन वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कुछ अन्य प्रयास भी करने होंगे. कुछ प्रारूपों जैसे डिलीवरी सर्विस में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग बढ़ा कर इस दिशा में एक सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है.

सरकार भले ही प्रदूषण को नियंत्रित करने के मुख्य उद्देश्य के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन आम लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि ये वाहन उनके लिए अधिक उपयोगी हैं. इन वाहनों का मेंटेनेंस का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है, इन्हें घर पर ही चार्ज किया जा सकता है. जहां तक प्रदूषण को नियंत्रित करने की बात है, तो इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक प्रयोग इस दिशा में पहला चरण साबित हो सकता है.

कारखाने बंद करके प्रदूषण को काबू नहीं किया सकता, क्योंकि इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ेगा. वहीं, ट्रांसपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करना एक आसान और सकारात्मक कदम है. इन वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार सबसे पहले अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक में परिवर्तित कर सकती है. कारोबारियों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी में लेकर टैक्स पर कुछ छूट देकर इनके प्रयोग को बढ़ावा दे सकती है.

Posted By : Sameer Oraon

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