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वापस लाैटेगी बिहार के अंग क्षेत्र की ऐतिहासिक समृद्धि, सरकारी कैलेंडर से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल गुवारीडीह व भदरिया

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अंग क्षेत्र में सदियों पूर्व बसायी गयी दो नगरी भले ही आज निर्जन स्थल बन गयी है, लेकिन उसकी ऐतिहासिक समृद्धि से आज पूरा देश रूबरू हो रहा है. इसमें भागलपुर के बिहपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित कोसी नदी किनारे गुवारीडीह और बांका जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित चानन नदी किनारे भदरिया शामिल है. इन दोनों स्थलों को राज्य सरकार ने अपने 2021 के कैलेंडर पेज में शामिल किया है. भदरिया को जहां नवंबर 2021 के पेज में शामिल किया गया है, वहीं गुवारीडीह को दिसंबर 2021 के पेज में.

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अंग क्षेत्र में सदियों पूर्व बसायी गयी दो नगरी भले ही आज निर्जन स्थल बन गयी है, लेकिन उसकी ऐतिहासिक समृद्धि से आज पूरा देश रूबरू हो रहा है. इसमें भागलपुर के बिहपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित कोसी नदी किनारे गुवारीडीह और बांका जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित चानन नदी किनारे भदरिया शामिल है. इन दोनों स्थलों को राज्य सरकार ने अपने 2021 के कैलेंडर पेज में शामिल किया है. भदरिया को जहां नवंबर 2021 के पेज में शामिल किया गया है, वहीं गुवारीडीह को दिसंबर 2021 के पेज में.

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मुख्यमंत्री ने किया था लोकार्पण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल पहली जनवरी को बिहार डायरी के साथ-साथ बिहार कैलेंडर का लोकार्पण किया था. इन दोनों का प्रकाशन बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने प्रकाशन किया है. गुवारीडीह की तस्वीर के साथ-साथ यहां मिले जीवाश्म, औजार, बाट व लौह धातुमल की तस्वीर भी प्रकाशित की गयी है. वहीं भदरिया की तस्वीर में मृदभांड व अन्य प्राप्त सामग्रियों की तस्वीरों को इनसेट में डिजाइन किया गया है. गुवारीडीह को देखने के लिए 20 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री आये थे.

कैलेंडर में इन्हें भी मिला है स्थान

राजगीर के साइक्लोपियन वाल, रोहतासगढ़ एवं शेरगढ़, मधुबनी के बलीरायगढ़, नालंदा के तेल्हारा विश्वविद्यालय, सारण के चिरांद, वैशाली के चेचर और बिशालगढ़, बक्सर के चौसा के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल.

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क्या है गुवारीह की खास बातें

प्राचीन अंग महाजनपद की राजधानी रही चंपा की पृष्ठभूमि से जोड़ कर इतिहासकार इसे देख रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय के प्रो बीपी सिन्हा ने 1967, 1980 व 1983 में चंपा की खुदाई की थी. इस दौरान वहां के ट्रेंच से उत्तरी कृष्णलोहित मृदभांड (एनबीपीडब्ल्यू) संस्कृति के मृदभांड मिले थे. इसी तरह गुवारीडीह में प्राप्त अवशेषों में भी एनबीपीडब्ल्यू के अवशेष मिले हैं. लेकिन यहा बीआरडब्ल्यू की बहुलता है. यह इसके ताम्र पाषाणिक संस्कृति की संभावनाओं को लक्षित करते हैं. इससे परिलक्षित होता है कि प्राचीन चंपा और गुवारीडीह में परस्पर किसी न किसी प्रकार के व्यापारिक-सांस्कृतिक संबंध रहे होंगे. इस पर शोध और अध्ययन की आवश्यकता जतायी गयी है.

क्या है भदरिया की खास बातें

भदरिया में ईंटों से बनी पौराणिक भवनों के अवशेष समूह मिले हैं. साथ ही उक्त स्थल पर छोटे-छोटे भवनों के आकार के कई समूह देखने को मिले हैं, जो करीब 9×18 मीटर, 9×9 मीटर है. बीच में एक लंबी दीवार भी मिली है. इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि उक्त जगह पर पौराणिक भवनों का अवशेष विद्यमान है, जो एक लाइन में कई संरचना में मौजूद है.

By: Thakur Shaktilochan

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