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क्रिकेट में चमकते छोटे शहरों के सितारे

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अच्छी बात है कि आइपीएल टीमों में छोटे शहरों व कस्बों के कई युवा खिलाड़ियों को लिया गया है और उन्हें इतने बड़े टूर्नामेंट में प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा.

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आशुतोष चतुर्वेदी, प्रधान संपादक, प्रभात खबर

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हाल में इंडियन प्रीमियर लीग में नीलामी में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के बेटे अर्जुन तेंडुलकर को मुंबई इंडियंस ने अपने साथ जोड़ा. नीलामी की शुरुआत में उन्हें किसी टीम ने नहीं खरीदा था, लेकिन अंत में मुंबई इंडियंस ने उन्हें उनके बेस प्राइस 20 लाख रुपये में खरीद लिया. अर्जुन के मुंबई से जुड़ने के बाद से सोशल मीडिया पर भाई-भतीजावाद को लेकर बहस शुरू हो गयी. कुछेक लोगों का कहना था कि सचिन तेंडुलकर के बेटे होने के कारण उनको मुंबई की टीम में जगह मिली. इसमें कुछ सच्चाई भी हो सकती है, क्योंकि अर्जुन का घरेलू मैचों में प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है. उन्होंने इस साल जनवरी में सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी में हिस्सा लिया था और दो टी20 मैच खेले थे. इसमें उन्होंने दो विकेट लिये और कुल तीन रन बनाये थे. टीम के कोच महेला जयवर्धने ने सफाई दी कि हमने अर्जुन को प्रतिभा व कौशल के आधार पर खरीदा है.

यह सही है कि सचिन तेंडुलकर के बेटे होने की वजह से उस पर हमेशा दबाव बना रहेगा, लेकिन सौभाग्य से वह एक बल्लेबाज नहीं, बल्कि गेंदबाज है. वह अभी युवा है और हमें उसे समय देना होगा. उस पर बहुत अधिक दबाव न डालें और उन्हें निखरने का मौका दें. गौर करें, तो पायेंगे कि सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी और कृष्णामचारी श्रीकांत जैसे जाने माने खिलाड़ियों के बच्चे क्रिकेट में कोई कमाल नहीं दिखा पाये. अर्जुन को भी खुद को साबित करना होगा. कुछ अरसा पहले तो स्थिति यह थी कि भारतीय क्रिकेट टीम में देश के दो बड़े शहरों मुंबई और दिल्ली के खिलाड़ियों का ही बोलबाला था. माना जाता था कि यह खेल केवल अंग्रेजी दां लोगों का है.

कपिल देव से यह परंपरा बदली और धौनी के पदार्पण के बाद तो भारतीय क्रिकेट टीम का पूरा चरित्र ही बदल गया. झारखंड से निकले इस क्रिकेटर ने तीनों फॉर्मेट में न केवल टीम का सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों के खिलाड़ियों के लिए टीम में आने का रास्ता भी खोला. आइपीएल की नीलामी में कुल 57 खिलाड़ी बिके. किंग्स इलेवन पंजाब ने सबसे ज्यादा नौ खिलाड़ी खरीदे. वहीं सनराइजर्स हैदराबाद ने तीन खिलाड़ियों को खरीदा. अच्छी बात है कि आइपीएल टीमों में छोटे शहरों और कस्बों के कई युवा खिलाड़ियों को लिया गया है और उन्हें इतने बड़े टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा.

मुझे उम्मीद है कि इनमें से कई बाद में देश के लिए भी खेलेंगे. आजमगढ़ जिले के रहने वाले सरफराज खान और प्रवीण दुबे, गाजीपुर के मूल निवासी सूर्य कुमार यादव और भदोही के यशस्वी जायसवाल के साथ शिवम दुबे आइपीएल खेलेंगे. हर बार की तरह इस बार भी चेन्नई सुपर किंग्स आइपीएल की सबसे बूढ़ी टीम है. चेन्नई के खिलाड़ियों की औसत उम्र 30 साल है. दूसरा नंबर कोलकाता नाइट राइडर्स का है, जिसके खिलाड़ियों की औसत उम्र 29 है. राजस्थान रॉयल्स 26 की औसत उम्र के साथ सबसे युवा टीम है.

इस सीजन के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी इमरान ताहिर हैं, जो मार्च में 42 साल के हो जायेंगे. उनके बाद क्रिस गेल 41 और हरभजन सिंह 40 साल के हैं. ताहिर और गेल को चेन्नई और पंजाब ने रिटेन किया है. हरभजन को कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीदा है. राजस्थान रॉयल्स टीम में तीन सबसे युवा खिलाड़ी हैं. यशस्वी जायसवाल और रियान पराग की उम्र 19 साल है. सनराइजर्स हैदराबाद में शामिल हुए मुजीब उर रहमान की उम्र भी 19 साल है.

अपने प्रदर्शनों से यश कमा रहे यशस्वी जायसवाल बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता भूपेंद्र जायसवाल यूपी के भदोही जिले के सुरियावां में पेंट की दुकान चलाते हैं. यशस्वी के भाई तेजस्वी जायसवाल भी राज्य स्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं. यशस्वी की मां सामान्य गृहिणी हैं और एक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाती हैं. यशस्वी राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हैं. आजमगढ़ जिले के सगड़ी तहसील के बासूपार गांव के रहने वाले सरफराज खान को 2015 में आरसीबी ने 50 लाख रुपये में खरीद कर टीम में शामिल किया था. 2019 में रॉयल चैंलेजर बेंगलुरु ने उन्हें रिलीज कर दिया और किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें टीम का हिस्सा बना लिया.

इस बार पंजाब की टीम ने कई खिलाड़ियों को रिलीज किया है, लेकिन सरफराज पर भरोसा जताते हुए उन्हें टीम में रखा गया है. दिलचस्प तथ्य है कि आजमगढ़ जिले के ही प्रवीण दुबे दिल्ली कैपिटल की ओर से आइपीएल खेलेंगे. वे तीन बार आइपीएल खेल चुके हैं और दिल्ली कैपिटल ने उन्हें टीम में बरकरार रखा है. उन्हें 2016 में आरसीबी ने टीम में शामिल किया था. 2017 में घुटने में चोट के कारण उन्होंने आइपीएल से नाम वापस ले लिया था. सर्जरी कराने के बाद उन्होंने वापसी की और दिल्ली की टीम ने उन्हें अपने साथ ले लिया.

भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाले कई खिलाड़ी बहुत मामूली पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्होंने ही भारतीय क्रिकेट को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. हाल में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान कमाल दिखाने वाले खिलाड़ियों को ही देख लीजिए. तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को जब मौका मिला, तो उन्होंने किसी को नाउम्मीद नहीं किया, जबकि वह जीवन का पहला टेस्ट मैच, वह भी ऑस्ट्रेलिया में खेल रहे थे. उनके पिता हैदराबाद में ऑटो रिक्शा चलाते थे और ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था, लेकिन वह मैदान में डटे रहे. चर्चित बल्लेबाज शुभमन गिल का पैतृक निवास पंजाब के फाजिल्का जिले का जैमलवाला गांव हैं.

उन्होंने अंडर 19 विश्व कप में कमाल दिखाया था और सलामी बल्लेबाज के रूप में उन्होंने खुद को स्थापित किया है. इस दौरे के एक और चर्चित खिलाड़ी टी नटराजन तमिलनाडु के सलेम जिले से हैं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. वह अभ्यास के लिए रोजाना लंबा सफर तय कर लोकल ट्रेन से चेन्नई जाते थे. ब्रिसबेन में उन्होंने अपने पहले ही मैच में गेंदबाजी से दमखम दिखा दिया. ऑस्ट्रेलिया में कमाल दिखाने वाले शार्दूल ठाकुर मुंबई से 90 किमी दूर पालघर में रहते हैं. वह मुंबई रोजाना अभ्यास के लिए जाते हैं. उसके लिए वह सुबह 3.30 बजे की लोकल पकड़ते हैं. उन्होंने ब्रिसबेन में गेंदबाजी व बल्लेबाजी दोनों से कमाल दिखाया.

वाशिंगटन सुंदर 2016 के अंडर19 विश्व कप में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज थे. कभी कोच उन्हें बल्लेबाज तो कभी गेंदबाज के रूप में इस्तेमाल करते रहे. वह अपने आपको स्थापित नहीं कर पाये. तीन साल तक उनका कैरियर गोते खाता रहा. ब्रिसबेन में उन्होंने भी मौके पर चौका लगाया और बल्लेबाजी व गेंदबाजी दोनों में कमाल दिखाया. उनके पिता क्रिकेट खेलते थे, लेकिन किसी बड़ी टीम में कभी जगह नहीं बना पाये. उनका बेटा उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरा.

Posted by: Pritish Sahay

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