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किस्को प्रखंड मे भेड़ पालन कर हो रहे हैं आत्मनिर्भर, बाल से कंबल बनाकर हो रही आमदनी

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बगड़ू जामुन टोली के सितंबर भगत व छेदु भगत ने कुल 250 भेड़ पाले हैं. इनका कहना है कि 250 भेड़ के बाल से लगभग 15 कंबल बनते हैं. भेड़ों के बाल को साल में तीन बार निकाला जाता है. चार महीने में एक बार भेड़ का बाल को उतारा जाता है. एक कंबल की बिक्री लगभग 700 रुपये में होती है. कंबल घर पर ही चरखा द्वारा बनाया जाता है. परंतु बाजार की व्यवस्था नहीं होने के कारण कंबल को बेचने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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Jharkhand News, Lohardaga News, sheep farming in lohardaga लोहरदगा : किस्को प्रखंड क्षेत्र के बगड़ू जामुन टोली के लोग भेड़ पालन कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. भेड़ पालन कर लोग अच्छी आमदनी कर रहे हैं. भेड़ पालन कर लोग एक साथ कई फायदे उठा रहे हैं. भेड़ के बालों से कंबल बनाकर बिक्री कर रहे हैं. साथ ही भेड़ की भी बिक्री कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. एक भेड़ की कीमत लगभग 5000 होती है. व्यापारी खुद आकर इनके घरों से भेड़ खरीद कर ले जाते हैं. भेड़ के साथ-साथ उसके बाल से भी अच्छी आमदनी होती है.

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साल में तीन बार निकाला जाता है बाल

बगड़ू जामुन टोली के सितंबर भगत व छेदु भगत ने कुल 250 भेड़ पाले हैं. इनका कहना है कि 250 भेड़ के बाल से लगभग 15 कंबल बनते हैं. भेड़ों के बाल को साल में तीन बार निकाला जाता है. चार महीने में एक बार भेड़ का बाल को उतारा जाता है. एक कंबल की बिक्री लगभग 700 रुपये में होती है. कंबल घर पर ही चरखा द्वारा बनाया जाता है. परंतु बाजार की व्यवस्था नहीं होने के कारण कंबल को बेचने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

इनका कहना है कि अगर सरकार द्वारा बाजार की व्यवस्था करा दी जाये तो अधिक से अधिक लोग भेड़ पालन कर कंबल बनाने का काम करेंगे. कंबल बनाने वाली मशीन अगर उपलब्ध करा दी जाये तो अधिक से अधिक कंबल बना पायेंगे और लोगों को सस्ते दरों पर कंबल उपलब्ध करा पायेंगे. फिलहाल वे चरखे के माध्यम से घरों पर ही कंबल बनाते हैं. एक कंबल बनाने में लोगों को एक सप्ताह का समय लग जाता है.

Posted By : Sameer Oraon

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