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बतख पालन से क्षेत्र में आयी खुशहाली, हो रही है कमाई बंपर कमाई, लोहरदगा और गुमला के बाजारों में बेचा जाता है बतख

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सेन्हा थाना क्षेत्र के अर्रू गांव निवासी मुनाजुल अंसारी ने बतख पालन को अपना व्यवसाय बनाया है. इस व्यवसाय से मुनाजुल अंसारी न सिर्फ आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि बेहतर आय का स्रोत भी बना लिया है. मुनाजुल से गांव के अन्य लोग भी प्रेरित हो रहें हैं. कई युवाओं का झुकाव इस व्यवसाय की ओर तेजी से बढ़ रहा है. लोग जागरूक हो रहें हैं और स्वरोजगार को अपना रहें हैं. लोहरदगा के ग्रामीण इलाकों में ऐसे भी लोगों के घरों में बतख रहता है. बतख पालन में सबसे जरूरी पानी होती है.

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Jharkhand News, Lohardaga News लोहरदगा : दृढ़ इच्छा शक्ति और मेहनत के बदौलत खुशहाली लायी जा सकती है. इसका उदाहरण लोहरदगा जिला के सेन्हा थाना क्षेत्र है़ जहां लोगों ने अपनी मेहनत व लगन से बतख पालन का काम शुरू किया. बतख पालन आज उनकी खुशहाली का प्रतिक बन चुका है. बतख पालन से न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है बल्कि उनका जीवन स्तर भी सुधरा है.

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सेन्हा थाना क्षेत्र के अर्रू गांव निवासी मुनाजुल अंसारी ने बतख पालन को अपना व्यवसाय बनाया है. इस व्यवसाय से मुनाजुल अंसारी न सिर्फ आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि बेहतर आय का स्रोत भी बना लिया है. मुनाजुल से गांव के अन्य लोग भी प्रेरित हो रहें हैं. कई युवाओं का झुकाव इस व्यवसाय की ओर तेजी से बढ़ रहा है. लोग जागरूक हो रहें हैं और स्वरोजगार को अपना रहें हैं. लोहरदगा के ग्रामीण इलाकों में ऐसे भी लोगों के घरों में बतख रहता है. बतख पालन में सबसे जरूरी पानी होती है.

ग्रामीण इलाकों में तालाब, डोभा, बांध की कमी नहीं है. जिसके कारण ग्रामीण इलाके के लोगों को बतख पालन में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. मुनाजुल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कानपुर से बतख का चूजा मंगाया जाता है. शुरुआती दौर में चूजा के लिए थोड़ी परेशानी हुई थी लेकिन अब फोन से ही चूजा घर पहुंच जाता है. एक बतख को तैयार होने में लगभग तीन महीने लगता है. बतख 300 रुपये में अासानी से बिक जाता है.

उन्होंने बताया कि बतख लोहरदगा और गुमला के बाजारों में बेचा जाता है. ऐसे कुछ बतख घर से भी बिक जाता है. रोजाना कई युवक घर से बतख लेकर ग्रमीणो क्षेत्रों में बेचने जाते हैं. मुनाजुल ने बताया कि शुरू में 50-60 बतख से व्यवसाय शुरू किये थे. अभी लगभग 500 बतख मेरे पास है. ठंड के मौसम में बतख की मांग खूब थी. गर्मी में बतख की बिक्री कम हो जाती है. लेकिन बतख के अंडों की मांग कभी कम नहीं होती.

Posted By : Sameer Oraon

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