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पटना हाइकोर्ट ने नि:शुल्क शिक्षा नहीं देने पर सरकार से मांगा जवाब

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हाइकोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति तथा महिलाओं को स्नातकोत्तर स्तर नि:शुल्क शिक्षा नहीं देने पर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.

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पटना. हाइकोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति तथा महिलाओं को स्नातकोत्तर स्तर नि:शुल्क शिक्षा नहीं देने पर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.

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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने रंजीत पंडित की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि जीतन राम मांझी की सरकार ने वर्ष 2014 में अनुसूचित जाति/ जनजाति तथा महिलाओं को स्नातकोत्तर तक की शिक्षा में प्रत्येक स्तर पर नामांकन में सभी प्रकार के शुल्क नहीं लेने का निर्णय लिया था.

उनका कहना था कि आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा में इनकी भागीदारी काफी कम होने के कारण राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया. सरकार ने एससी एसटी तथा महिलाओं के नामांकन के समय किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेने का निर्णय लिया.

अब भी लिया जा रहा है शुल्क : शुल्क नहीं लिये जाने से महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों को होने वाली आर्थिक क्षति को पूरा करने के लिए इसकी वास्तविक गणना प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में होने वाले नामांकन के आधार पर करने का निर्णय लिया गया. अगले वित्तीय वर्ष में सरकार संबंधित विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को भरपाई करने का निर्णय लिया.

उनका कहना था कि इस निर्णय को मंत्रिपरिषद से भी मंजूरी मिली हुई है. इसके बावजूद प्रत्येक वर्ष अनुसूचित जाति व जनजाति तथा महिलाओं से नामांकन के समय शुल्क की वसूली की जाती है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को उन्हें अपने स्तर से पूरे मामले को देखने तथा उचित कार्रवाई कर कोर्ट को पूरी जानकारी देने को कहा.

Posted by Ashish Jha

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