18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

डॉक्टर हुए दिव्यांग तो बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने छोड़ा साथ, पहले तबादला, फिर दी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

Advertisement

सरकारी चिकित्सक रहे डॉ अरुण कुमार सिन्हा को आज न केवल इलाज, बल्कि न्याय व मदद की दरकार है. वह अपने सेवा काल के दौरान स्पाइनो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी के कारण 80% तक दिव्यांग हो गये.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना. सरकारी चिकित्सक रहे डॉ अरुण कुमार सिन्हा को आज न केवल इलाज, बल्कि न्याय व मदद की दरकार है. वह अपने सेवा काल के दौरान स्पाइनो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी के कारण 80% तक दिव्यांग हो गये. फिर भी वह व्हील चेयर की मदद से अपनी ड्यूटी करते रहे. लेकिन, ऐसी स्थिति में उनके प्रति सहानुभूति पूर्ण व्यवहार के बजाय स्वास्थ्य विभाग ने पहले उनका ट्रांसफर पटना से मोतिहारी कर दिया आैर फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी, जबकि उनका कार्यकाल सितंबर, 2022 तक था.

- Advertisement -

अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश के खिलाफ डॉ सिन्हा ने राज्य निशक्तता आयुक्त के कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया है. राज्य निशक्तता आयुक्त के कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और संयुक्त सचिव को नोटिस जारी किया, जिसमें आठ अप्रैल को जवाब देने के लिए कोर्ट में हाजिर होने को कहा गया है.

डॉ अरुण कुमार सिन्हा कंकड़बाग के न्यू चित्रगुप्त नगर के पार्वती पथ स्थित ओम रेजीडेंसी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 302 में रहते हैं. राज्य निशक्तता आयुक्त को दिये गये आवेदन में डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने कहा है कि मैं 1988 में सरकारी डॉक्टर नियुक्त हुआ. वर्ष 2000 में मेरी बीमारी का पता चला. इस बीच वर्ष 2004 में मेरा तबादला पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट, पटना में हुआ. वर्ष 2012 से मेरी तबीयत खराब रहने लगी.

चलने-फिरने में परेशानी होने लगी. 2015 आते-आते 80% तक दिव्यांग हो चुका था. फिर भी अपने एक सहायक को साथ लेकर व्हील चेयर पर पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट में ड्यूटी करने जाता था और वहां पढ़ाता था. लेकिन, 80% दिव्यांगता की जानकारी होने के बावजूद 2018 में मेरा तबादला पटना से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहाड़पुर, मोतिहारी कर दिया गया.

आवेदन में डॉ सिन्हा ने कहा है कि तबादले के आदेश के खिलाफ पटना हाइकोर्ट गया. हाइकोर्ट ने आदेश दिया कि उनकी दिव्यांगता को देखते हुए इनका तबादला इनकी इच्छा के अनुसार किया जाये, अन्यथा इनका तबादला नहीं किया जाये. इस आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने यह कह दिया कि जगह होगी, तब पटना में तबादला कर दिया जायेगा.

मैंने करीब तीन महीने तक इंतजार किया कि पटना में पदस्थापन हो जाये, लेकिन कुछ नहीं हुआ. मैं एक बार फिर से पटना हाइकोर्ट गया. हाइकोर्ट में कार्यवाही चल ही रही थी कि 29 नवंबर, 2019 को मुझे स्वास्थ्य विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी. इसके खिलाफ भी मैंने हाइकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई लंबित है.

अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश में क्या कहा है स्वास्थ्य विभाग ने

29 नवंबर, 2019 को संयुक्त सचिव के हस्ताक्षर से जारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश में कहा गया है कि इनकी विकलांगता की प्रकृति व प्रतिशत (80%) से स्पष्ट है कि वे अपने कार्य को करने में असमर्थ हैं. इस स्थिति में स्वास्थ्य विभाग में इनकी उपयोगिता चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में अथवा अन्य प्रशासनिक पद पर कार्य के लिए संभव प्रतीत नहीं होती है. उन्होंने अब तक 31 वर्ष एवं आठ माह की सेवा पूरी की है. इस स्थिति में बिहार सेवा संहिता के नियम-74 (क) के आलोक में उन्हें आदेश निर्गत की तिथि से अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जाता है.

पत्नी बोलीं, जमीन बेचकर हो रहा गुजरा

डॉ अरुण कुमार सिन्हा की पत्नी रेणुबाला सिन्हा ने बताया कि पति का करीब तीन साल से अधिक समय से वेतन बंद है, जबकि उनकी दवा पर हर महीने 10 हजार से अधिक रुपये खर्च होते हैं. दो बेटों की पढ़ाई व परिवार चलाने का खर्च अलग है. किसी तरह गांव की जमीन बेच कर परिवार चला रही हूं. लेकिन, अब मुश्किल हो रही है.

Posted by Ashish Jha

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें