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Lockdown में गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हुआ MGNREGA, मजदूरों को रिकॉर्ड दिनों का मिला काम

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नयी दिल्ली : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा (MGNREGA) लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों के लिए वरदान साबित हुए है. साल 2020 में देश भर में लगे 68 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान मनरेगा के तहत करोड़ों मजदूरों को काम दिया गया है. वैसे प्रवासी मजदूर जो कोरोना काल में अपने गांव लौटे, उन्होंने भी मनरेगा के तहत काम किया और अपने परिवार का पेट पाला. वित्त वर्ष 2020-2021 में मनरेगा के तहत 387.7 करोड़ दिन काम का सृजन किया गया. इससे 11.2 करोड़ मजदूर लाभान्वित हुए.

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नयी दिल्ली : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा (MGNREGA) लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों के लिए वरदान साबित हुए है. साल 2020 में देश भर में लगे 68 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान मनरेगा के तहत करोड़ों मजदूरों को काम दिया गया है. वैसे प्रवासी मजदूर जो कोरोना काल में अपने गांव लौटे, उन्होंने भी मनरेगा के तहत काम किया और अपने परिवार का पेट पाला. वित्त वर्ष 2020-2021 में मनरेगा के तहत 387.7 करोड़ दिन काम का सृजन किया गया. इससे 11.2 करोड़ मजदूर लाभान्वित हुए.

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आपको बता दें कि 2006-2007 में जब मनरेगा शुरू किया गया था. उसके बाद से कभी भी इतने ज्यादा दिनों का रोजगार सृजन नहीं हुआ था. लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के समय लगभग सभी राज्यों ने अपने यहां मनरेगा के कामों में बढ़ोतरी की थी. ताकी इसका लाभ प्रवासी मजदूर भी उठा सकें और उन्हें अपने ही गांव घर में रोजगार मिल सके.

केंद्रीय मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान ने सबसे अधिक 45.4 करोड़ दिन के काम का सृजन मनरेगा के तहत किया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 41.4 करोड़ दिनों के काम का सृजन किया गया था और बंगाल देश भर में दूसरे नंबर पर था. बाकी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में 39.4 दिन के रोजगार का सृजन हुआ था और मध्य प्रदेश में 34.1 दिन के काम मजदूरों से कराये गये थे.

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तमिलनाडु ने 33.3 करोड़ दिन का रोजगार पैदा किया था. कई राज्यों ने तो अपने यहां मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में भी इजाफा किया था. कुछ आंकड़ें बताते हैं कि कोरोना महामारी के वक्त यह योजना करीब 7.5 करोड़ मजदूरों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बनी. लाखों परिवार मनरेगा से लाभान्वित हुए और अपने ही घर और गांव में रहकर अपनी जीविका चलायी.

यह अलग बात है कि कोरोनावायरस का संक्रमण थोड़ा कम होने के बाद मजदूर वापस दूसरे बड़े शहरों में काम की तलाश में निकल गये. पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा 1.2 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत काम दिया. इसके बाद ज्यादा मजदूरों को लाभ पहुंचाने के मामले तमिलनाडु और राजस्थान रहे. एक बार फिर से कोरोना की नयी लहर देश में तबाही मचा रही है. प्रवासी मजदूरों की वापसी भी शुरू हो गयी है. ऐसे में मनरेगा के कार्यदिवसों की संख्या बढ़ायी भी जा सकती है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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