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The Big Bull Movie Review: टाइमपास मसाला एंटरटेनर बनकर रह गयी है ‘द बिग बुल’, यहां पढ़ें रिव्यू

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फ़िल्म -द बिग बुल प्लेटफार्म -डिज्नी प्लस हॉटस्टार निर्माता -अजय देवगन और आनंद पंडित निर्देशक -कूकी गुलाटी कलाकार- अभिषेक बच्चन, सोहम शाह,इलियाना डिक्रूज, निधि दत्ता,राम कपूर,सौरभ शुक्ला,सुप्रिया पाठक और अन्य रेटिंग -ढाई

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फ़िल्म -द बिग बुल

प्लेटफार्म -डिज्नी प्लस हॉटस्टार

निर्माता -अजय देवगन और आनंद पंडित

निर्देशक -कूकी गुलाटी

कलाकार- अभिषेक बच्चन, सोहम शाह,इलियाना डिक्रूज, निधि दत्ता,राम कपूर,सौरभ शुक्ला,सुप्रिया पाठक और अन्य

रेटिंग -ढाई

The Big Bull Movie Review: बीते साल की सबसे लोकप्रिय वेब सीरीज स्कैम 1992 के बाद एक बार फिर स्टॉकब्रोकर हर्षद मेहता की कहानी को परदे पर फ़िल्म द बिग बुल के ज़रिए लाया गया है. द बिग बुल की घोषणा के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि दर्शकों को इस फ़िल्म में क्या नया देखने को मिलेगा. इस फ़िल्म के निर्देशक कूकी गुलाटी की फ़िल्म की कहानी और उसके ट्रीटमेंट में मेहनत दिखती है लेकिन वो हंसल मेहता की वेब सीरीज स्कैम 1992 के तिलिस्म को तोड़ नहीं पाए हैं. इस फ़िल्म को देखते हुए आपके जेहन में ना चाहते हुए भी स्कैम 1992 के साथ तुलना भी चलती रहती है और आप पाते हैं कि उस सीरीज के मुकाबले यह फ़िल्म तो उन्नीस रह गयी है.

कहानी पर आए तो स्कैम 1992 की तरह कमोबेश इस फ़िल्म की कहानी भी है. इस फ़िल्म के लेखकों ने फ़िल्म में कुछ मसाला ट्विस्ट जोड़े हैं और फ़िल्म का क्लाइमेक्स भी अलग है. हर्षद मेहता की वेब सीरीज उस वक़्त के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव पर सवालिया निशान लगाकर खत्म हो जाती है. इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से नरसिम्हा राव को क्लीन चिट मिल गयी थी डिटेल में ना सही सरसरी तौर पर ही. फ़िल्म का अंत भी अलग है, जो फिर सवाल जेहन में छोड़ जाता है. कुलमिलाकर फ़िल्म का आखिरी आधा घंटा उम्दा है. फर्स्ट हाफ ठीक ठाक है. सेकंड हाफ में चीज़ें बिखर जाती है. पटकथा में थोड़ी और मेहनत की ज़रूरत थी. फ़िल्म की कहानी को काफी रफ्तार में कहा गया है, जो इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खामी है.

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इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हंसल मेहता के पास कहानी कहने के लिए दस घंटे का समय था लेकिन यहां कूकी गुलाटी के पास सिर्फ ढाई घंटे का. ऐसे में वह उस डिटेलिंग के साथ इस कहानी को नहीं कह सकते थे. जो हंसल मेहता कह सकते थे लेकिन निर्देशक कूकी को दृश्यों को अधूरे में भी नहीं छोड़ना था. ऐसा ही एक दृश्य फ़िल्म में हेमंत (अभिषेक) के किरदार का न्यूज़पेपर में विज्ञापन वाला दृश्य है, जिसमें हैडलाइन होती है कि हेमंत झूठा है. उस दृश्य को समझाने की ज़रूरत थी. अभिषेक के किरदार का वो ठहाके लगाता हुआ एक के बाद एक सीन बचकाना सा लगता है.

फ़िल्म में सपोर्टिंग कास्ट को उतना मौका नहीं मिला है जितना पटकथा को प्रभावी बनाने के लिए ज़रूरी था. सबसे अहम बात हंसल मेहता की वेब सीरीज स्कैम 1992 में हर्षद मेहता के किरदार को खामियों और खूबियों के साथ पेश किया गया था उसका महिमा मंडन नहीं किया था. लेकिन द बिग बुल में हर्षद मेहता के किरदार को आम आदमी का मसीहा बना दिया गया है. अति तो तब हो गयी जब 90 के दशक में जो भी आर्थिक बदलाव देश में आए थे उसका श्रेय भी हर्षद मेहता से प्रेरित किरदार हेमंत को फ़िल्म में दे दिया गया है.

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म पूरी तरह से अभिषेक बच्चन की फ़िल्म है और उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस भी दिया है. इलियाना डिक्रूज अपने किरदार में जंचती हैं. राम कपूर अपने सीमित स्क्रीन टाइम में भी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. बाकी के किरदारों अपनी अपनी भूमिका में जमें हैं लेकिन उनके पास फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. फ़िल्म के संवाद के साथ साथ गीत संगीत औसत है ,बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के साथ न्याय करता है. कुलमिलाकर यह मसाला फ़िल्म टाइमपास के तौर पर देखी जा सकती है.

Posted By: Divya Keshri

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