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बढ़ता विदेशी निवेश

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बीते वित्त वर्ष की सभी अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बावजूद देश में लगभग 82 अरब डॉलर का कुल विदेशी निवेश हुआ है, जो एक रिकॉर्ड है.

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अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी बड़ी राहत की बात है. कई अन्य देशों की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था भी महामारी प्रभावों से त्रस्त है, लेकिन स्थिति में सुधार के साथ बेहतरी की उम्मीदें बरकरार हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी आधार मजबूत हैं तथा निवेशकों का भरोसा बहाल है. बीते वित्त वर्ष की सभी अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बावजूद देश में लगभग 82 अरब डॉलर का कुल विदेशी निवेश हुआ है, जो एक रिकॉर्ड है. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है. उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष की शुरुआत लॉकडाउन के साथ हुई थी और कई महीनों की पाबंदियों के कारण पहली दो तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि की दर ऋणात्मक हो गयी थी. ऐसी स्थिति को तकनीकी स्तर पर मंदी माना जाता है. दूसरी छमाही में उत्पादन, कारोबार और आवागमन चालू होने से अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के संकेत मिलने लगे थे. विकास की यह गति दूसरी लहर से कुछ हद तक बाधित हुई है. माना जा रहा है कि महामारी की रोकथाम के साथ ही वृद्धि दर तेज हो जायेगी.

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इन्हीं अनुभवों और आकलनों ने विदेशी निवेशों को यह भरोसा दिलाया है. इस निवेश की बड़ी विशेषता है कि निवेशकों ने डिजिटल और स्टार्टअप के क्षेत्र में सर्वाधिक पैसा लगाया है. इसका मतलब यह है कि हमारे देश में तकनीक आधारित उद्यमों का भविष्य उज्जवल है. निवेशकों ने देश के भीतर हुई कमाई के बड़े हिस्से को फिर से यहीं लगाया है. भारत समेत अनेक देश चीन से बाहर आने के लिए प्रयासरत कंपनियों को आकर्षित करने में लगे हैं. निवेशकों के भरोसे से इस कोशिश को मदद मिलेगी. महामारी से पहले से ही सरकार देश में उद्योग और व्यापार की कठिनाइयों को कम करने का प्रयास कर रही है, जिसके कारण व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत निरंतर ऊपर की ओर अग्रसर है. कोरोना काल में बड़े-छोटे उद्योगों व उद्यमों को राहत देने की अनेक घोषणाएं भी हुई हैं. केंद्र सरकार ने 13 क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष पहल भी की है. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रमों से भी कारोबार के लिए बेहतर माहौल बन रहा है.

विदेशी निवेशक इस तथ्य से बखूबी परिचित हैं कि भारत में उत्पादन की असीम संभावनाओं के साथ बहुत बड़ा बाजार भी उपलब्ध है. इस बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की मांग लगातार बढ़ती रही है तथा महामारी के प्रकोप से निकलते ही इसमें निश्चित तौर पर तेजी आयेगी. निवेशक भारत की निर्यात क्षमता और संभावना से भी परिचित हैं. विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने से निर्यात भी बढ़ेगा. कृषि उत्पाद, वाहन, दवा, बहुमूल्य पत्थर व आभूषण, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक, मशीनरी आदि अहम क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि होती रही है. अर्थव्यवस्था के विकास तथा निवेशकों के विश्वास को बनाये रखने के लिए व्यापारिक और वित्तीय नीतियों पर सरकार का ध्यान बना रहना चाहिए.

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