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पालवंश के ऐतिहासिक स्थल हजारीबाग-बहोरनपुर खुदाई स्थल को लावारिस छोड़ा, बारिश से कई धरोहर को नुकसान, देखें Pics

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Jharkhand News (हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग शहर से सटे पालवंश के ऐतिहासिक स्थल को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया है. कोरोना महामारी की शुरुआत के समय से लेकर मार्च 2021 से इस स्थल पर खुदाई कार्य बंद हो गया है. खुदाई कार्य स्थल से सामग्री तंबू हटा लिया गया है. पिछले दो दिन की बारिश से खुदाई स्थल पर पानी भर गया है. कीचड़ जमा हो गया है. खुदाई स्थल के दीवार भरभराकर गिर रहे हैं. इस स्थल को बचाये रखने के लिए जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे यह ऐतिहासिक व धार्मिक क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलानेवाले राजनेता, विभिन्न समाज के नेता और धर्मगुरु पिछले दो माह से इस स्थल का सुध नहीं ले रहे हैं. जिससे खुदाई स्थल पर पड़े सामान खराब हो रहा है.

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Jharkhand News (सलाउद्दीन, हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग शहर से सटे पालवंश के ऐतिहासिक स्थल को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया है. कोरोना महामारी की शुरुआत के समय से लेकर मार्च 2021 से इस स्थल पर खुदाई कार्य बंद हो गया है. खुदाई कार्य स्थल से सामग्री तंबू हटा लिया गया है. पिछले दो दिन की बारिश से खुदाई स्थल पर पानी भर गया है. कीचड़ जमा हो गया है. खुदाई स्थल के दीवार भरभराकर गिर रहे हैं. इस स्थल को बचाये रखने के लिए जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे यह ऐतिहासिक व धार्मिक क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलानेवाले राजनेता, विभिन्न समाज के नेता और धर्मगुरु पिछले दो माह से इस स्थल का सुध नहीं ले रहे हैं. जिससे खुदाई स्थल पर पड़े सामान खराब हो रहा है.

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पालवंश के ऐतिहासिक स्थल हजारीबाग-बहोरनपुर खुदाई स्थल को लावारिस छोड़ा, बारिश से कई धरोहर को नुकसान, देखें pics 4
खुदाई जारी रहने से रोजगार व स्थल होते सुरक्षित

जिले भर में विभिन्न सरकारी योजनाओं का कार्य चल रहा है. मनरेगा एवं अन्य योजनाओं से मजदूरों को काम मिल रहा है. मिट्टी कटाई का काम हर जगह हो रहे हैं. ऐसे में जंगल व पहाड़ों से घिरे सुनसान स्थल पर खुदाई का कार्य जारी रह सकता है. खुदाई कार्य होने से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलते, वहीं पालवंश के सभी ऐतिहासिक धरोहर बरबाद होने से बच जाते. अभी भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बरबादी को रोका जा सके.

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पालवंश के ऐतिहासिक स्थल हजारीबाग-बहोरनपुर खुदाई स्थल को लावारिस छोड़ा, बारिश से कई धरोहर को नुकसान, देखें pics 5
कहां है बहोरनपुर

हजारीबाग मुख्यालय से 7 किमी की दूरी पर बहोरनपुर गांव स्थित है. संत कोलंबा कॉलेज मोड से चुरचू जानेवाले मार्ग में यह गांव स्थित है. जंगल और पहाड़ से घिरा हुआ मनोरम दृश्य व हरियाली के बीच में बौद्ध से जुड़े स्थल मिला है. भारतीय पुरातत्व विभाग इस स्थल पर खुदाई कर 1200 साल पुराना महात्मा बुद्ध व बौद्ध धर्म से संबंधित मूर्ति और अवशेष खुदाई कर निकाला गया है.

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पालवंश के ऐतिहासिक स्थल हजारीबाग-बहोरनपुर खुदाई स्थल को लावारिस छोड़ा, बारिश से कई धरोहर को नुकसान, देखें pics 6
दो साल पहले शुरू हुई थी खुदाई

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग शाखा पटना की ओर से नवंबर 2019 में बहोरनपुर स्थल पर खुदाई कार्य शुरू हुआ था. प्रथम चरण में छह माह तक खुदाई कार्य चला. इसके बाद कुछ दिनों के लिए खुदाई का कार्य बंद हो गया. फरवरी 2021 में खुदाई का कार्य दुबारा शुरू हुआ. अभी तक इस खुदाई स्थल से बौद्ध धर्म के तीन कक्ष वाले मंदिर स्थल का पता चला. मंदिर के गर्वगृह से भगवान बुद्ध व बौद्ध धर्म से जुड़ी कई मूर्तियां मिली है.

गर्वगृह के नीचे से मिट्टी का दीया भी मिला है. इसके अलावा पत्थर के कई धनकुट्टा, अलंकृत ईंट, मिट्टी के बर्तन मिले थे. दूसरे चरण के खुदाई के दौरान बौद्ध मठ व मंदिर होने के सबूत मिला है. बौध भिक्षुओं के रहने के लिए कक्ष, दर्जनों भगवान बुद्ध, अल्पकेश्वर, मां तारा सहित कई देवी-देवताओं की मूर्ति मिली है. खुदाई के दौरान बौद्ध मठ का दीवार काफी चौड़ा है जो कई ऐतिहासिक जानकारियों को अपने अंदर समेटे हुआ है.

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बहोरनपुर खुदाई स्थल की थोड़ी दूरी पर एक किराये के मकान को बेस कैंप बनाया गया है. पुरातात्विक विभाग, पटना की टीम इस घर में कई मूर्तियों को सुरक्षित रखा है. जो दूसरे चरण की खुदाई से निकले थे. जबकि 2019-20 की खुदाई में निकले अवशेष और मूर्तियों को हजारीबाग से पटना ले जाया गया है.

इस स्थल को विकसित करने की है योजना


बिहार के बोधगया में हजारीबाग के बहोरनपुर स्थल को बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना है क्योंकि इस स्थल से मिले मूर्ति व अवशेष पालवंश से संबंध रखते हैं. इसका काफी ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व है. खुदाई स्थल पर देश-विदेश से बौद्ध भक्त से जुड़े धर्म गुरु, श्रद्धालुओं व अनुयायी आकर स्थल का निरीक्षण किया था. इसके बाद इस पुरातात्विक स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान दिलाने की घोषणा हुई थी.

Posted By : Samir Ranjan.

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