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नए संक्रमण की चपेट में पड़ रहे बिहार के बच्चे, कोरोना के बाद MIS-C बीमारी के मामले बढ़े, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

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बिहार में कोरोना संक्रमण का दूसरा लहर कमजोर पड़ा ही था कि ब्लैक फंगस नयी महामारी बनकर परेशानी का कारण बन बैठा. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के बाद अब और कई नये संक्रमण फैल रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के कारण ब्लैक फंगस के बाद एक नयी बिमारी एमआइएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) ने बिहार में भी दस्तक दे दी है.यह बिमारी बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. पटना में अभी तक 7 बच्चों में ये लक्षण पाए गए हैं.

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बिहार में कोरोना संक्रमण का दूसरा लहर कमजोर पड़ा ही था कि ब्लैक फंगस नयी महामारी बनकर परेशानी का कारण बन बैठा. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के बाद अब और कई नये संक्रमण फैल रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव के कारण ब्लैक फंगस के बाद एक नयी बिमारी एमआइएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) ने बिहार में भी दस्तक दे दी है.यह बिमारी बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. पटना में अभी तक 7 बच्चों में ये लक्षण पाए गए हैं.

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पटना में 7 बच्चे इलाज के लिए भर्ती

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी पटना के अस्पताल में अभी तक इस बीमारी के चपेट में आने वाले 7 बच्चे इलाज के लिए भर्ती किए गए हैं. इसकी चपेट में वो बच्चे आ रहे हैं जो कोरोना संक्रमित हुए थे या फिर उनके घर में किसी को कोरोना हो गया था. यह बीमारी 18 वर्ष उम्र तक के किसी भी बच्चे में हो सकता है. हालांकि 12 साल से कम आयु के बच्चों में इससे अधिक खतरा रहता है.

MIS-C के लक्षण 

-लगातार तीन दिन या उससे अधिक समय तक बुखार का होना.

-चमड़े में चकत्ते पड़ना.

-बच्चे का हाथ-पांव ठंडा होना.

-बल्ड प्रेशर का कम होना भी इसके लक्षणों में एक हैं.

-पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी होना या पेट में मरोड़ होना.

-सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या दबाव महसूस होना.

-चेहरे या होंठ का नीला होना, सोकर उठने में दिक्कत.

-दिल की धड़कन तेज होना.

-होंठ या नाखुन का नीला पड़ना.

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जानें कैसे होती है ये बीमारी 

इस बीमारी के लक्षण सामने आने पर सीवीसी, ईएसआर, सीआरपी और डि-डाइमर जैसी जांच के माध्यम से आसानी से इसका पता किया जा सकता है. सीआरपी जांच तुलनात्मक रूप से सस्ती होती है. गरीब परिवार बच्चों की इस जांच से इसका पता कर सकते हैं. यह बीमारी कोरोना को मात दिये या संक्रमितों के संपर्क में आए बच्चों में से मुश्किल से एक फीसद में होने की संभावना रहती है. कोरोना के कारण अधिक मात्रा में एंटीबॉडी का बनना इसका कारण माना जाता है. जिसके कारण लिवर, किडनी, हार्ट समेत शरीर के कई अंग प्रभावित हो जाते हैं.

बचाव के क्या हैं उपाय

इस बीमारी से बचने के लिए अभिभावकों को खुद कोरोना संक्रमित होने से बचना चाहिए. बच्चों को उनसे संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है. घर के किसी सदस्य को कोरोना हो जाता है तो बच्चों को वहां से दूर रखना चाहिए. वहीं भीड़भाड़ वाली जगहों पर बच्चों को बिल्कुल नहीं जाने दें और टीकाकरण शुरु होने के बाद अपने बच्चों को कोरोना वैक्सीन का टीका जरुर दिला लेना चाहिए. अगर बच्चे कोरोना की चपेट में आ गए हों तो निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी उनकी निगरानी और केयर करते रहना चाहिए. कुछ समय के अंतराल में डॉक्टरों का परामर्श लेते रहना उचित है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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