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कोरोना के इलाज में क्रांति ला सकती है आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ‘पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी’ रिपोर्ट

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कोरोना संक्रमण से मरने वालों की मौत के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी जरूरी थी

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कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कोरोना से मरने वाले लोगों के शव की ‘पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी’ (पोस्टमार्टम) की जा रही है. संक्रमित होकर मरने वाले लोगों की मौत के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए यह रिसर्च बहुत जरूरी था.

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ऐसे में राज्य स्वास्थ्य विभाग के निर्देश से आरजी कर अस्पताल में लगातार कोरोना संक्रमित शवों की पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी हो रही है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में अब तक छह शवों का पोस्टमार्ट किया गया है.

आरजी कर के फॉरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो डॉ सोमनाथ मंडल ने बताया कि यह पूर्वी भारत का पहला अस्पताल है, जहां कुछ ही दिनों के भीतर छह शवों की ‘पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी’ की गयी है.उन्होंने कहा कि शोध सफल रहा, तो कोरोना की चिकित्सा में आरजी कर मेडिकल कॉलेज पूरे देश को नयी दिशा दिखा सकता है.

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उन्होंने कहा कि शोध सफल रहा, तो कोरोना की चिकित्सा में आरजी कर मेडिकल कॉलेज पूरे देश को दिशा दिखा सकता है. इस पोस्टमार्टम का मुख्य उद्देश्य कोरोना से मरने वालों के शवों पर रिसर्च करना, जिससे पता चल सके कि यह शरीर में कितने लंबे समय तक रहता है और किन-किन अंगों को, किस हद तक प्रभावित कर सकता है.

रिसर्च में कई तथ्य सामने आये

प्रो मंडल ने बताया कि बंगाल में देहदान आंदोलन का चेहरा ब्रज राय की पहली बार ‘पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी’ की गयी थी. शवों के विभिन्न अंगों को संग्रह किया गया है. उन अंगों की हिस्टोलॉजिकल जांच करायी गयी है. उनका दावा है कि उक्त आंगों की जांच में उन्हें खुली आंखों से ही काफी कुछ दिख रहा है. कोरोना के कारण इनके रंग रूप बदल गये है.

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9 जून को पेश हो सकती है रिपोर्ट

ब्रज राय सह अन्य दो शवों की पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी रिपोर्ट बुधवार तक स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी जायेगी. जल्द ही रिपोर्ट्स को किसी अंतर्राष्ट्रीय जनरल में भी प्रकाशित किया जायेगा.

Posted By: Mithilesh Jha

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