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लालू को लेकर गरमाएगी बिहार की राजनीति, बंगाल के बाद यूपी चुनाव पर राजद की नजर

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पटना.लालू प्रसाद लंबे समय बाद शुक्रवार को अपने परिवार के साथ अपना 74वां जन्मदिन मनाया। लालू प्रसाद चारा घोटाला के आरोप में करीब पौने चार साल तक जेल में थे। कुछ दिन पहले ही वे जेल से बाहर आए हैं। उनके जेल से बाहर आने के साथ ही बिहार की राजनीति सरगर्मी बढ़ गई है।

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पटना. लालू प्रसाद लंबे समय बाद शुक्रवार को अपने परिवार के साथ 74वां जन्मदिन मनाया. चारा घोटाला के आरोप में वे करीब पौने चार साल तक जेल में थे. कुछ दिन पहले ही वे जेल से बाहर आए हैं. उनके जेल से बाहर आने के साथ ही बिहार की राजनीति सरगर्मी बढ़ गई है. राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र इससे जुड़े सवाल पूछने पर कहते कि पौने चार साल बाद लालू प्रसाद जेल से बाहर आए हैं, लेकिन बिहार की राजनीति उनके ही आस पास परिक्रमा करती रही.अब तो वे बाहर आ गए तो सियासत नए सिरे से गरमाएगी ही.

Also Read: जीतन राम मांझी से मिलने पहुंचे Lalu Yadav के बड़े बेटे तेज प्रताप, बिहार में सियासी हलचल तेज

राजनीति एनडीए के सहयोगी हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी की महत्वाकांक्षा को लेकर तेज हो गई है.लालू उनकी महत्वाकांक्षा को शह देने से पीछे नहीं रह सकते हैं. विधानसभा चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद रांची जेल में रहते हुए भी लालू ऐसी कोशिश कर चुके हैं.

बिहार में अब भी राजनीति का चक्का घूम रहा है. लालू कई वर्षों से कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर बिहार में अपनी राजनीति वजूद बनाये हुए हैं. अब उन्होंने वामदलों से भी हाथ मिला लिया है. इससे आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक के विखराव पर भी ब्रेक लगा है.

लालू ने यादवों के साथ मुसलमानों को जोड़कर जो सोशल इंजीनियरिंग बनाया है उसे उनके विरोधी भी नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं. माई समीकरण पर उनके विरोधियों की भी नजर है. भाजपा और जदयू लगातार उनके वोटबैंक पर सेंघमारी का प्रयास करते रहे हैं. लेकिन, लालू की हनक के आगे वे इसमें सेंघमारी करने में फिलहाल सफल नहीं हो पाए हैं.

बहरहाल राजद वर्ष 2022 में होने वाले उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर है. भारतीय जनता पार्टी ने तो इसकी तैयारी शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि लालू इससे दूर नहीं रह सकते हैं. पिछली बार उन्होंने बिना शर्त अखिलेश यादव का समर्थन किया था.

लेकिन, इस बार उत्‍तर प्रदेश का चुनावी समीकरण बदला हुआ है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस भी मैदान में है. पंचायत चुनाव में इसकी एक बानगी दिखी है.

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