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विश्वप्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में इस बार नहीं लगेगा ‘अंबुबाची मेला’ देवी के रजस्वला होने से जुड़ी है मान्यता

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Kamakhya Temple : शक्तिपीठों में सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले कामाख्या मंदिर में इस बार भी ‘अंबुबाची मेले’ का आयोजन नहीं किया जायेगा. इस संबंध में आज कामाख्या मंदिर प्रबंधन ने घोषणा की. मंदिर प्रबंधन ने बताया कि अंबुबाची मेला 22-26 जून के बीच आयोजित होता है लेकिन कोविड महामारी के कारण इसका आयोजन नहीं किया जायेगा.

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Kamakhya Temple : शक्तिपीठों में सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले कामाख्या मंदिर में इस बार भी ‘अंबुबाची मेले’ का आयोजन नहीं किया जायेगा. इस संबंध में आज कामाख्या मंदिर प्रबंधन ने घोषणा की. मंदिर प्रबंधन ने बताया कि अंबुबाची मेला 22-26 जून के बीच आयोजित होता है लेकिन कोविड महामारी के कारण इसका आयोजन नहीं किया जायेगा.

मंदिर प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि मंदिर में इस दौरान सारी परंपराओं का पालन होगा, लेकिन श्रद्धालुओं को उस दौरान मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा. 30 जून के बाद ही श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर पायेंगे.

क्या है अंबुबाची मेला

अंबुबाची मेला असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने में आयोजित किया जाता है. इस वर्ष मेले की अवधि 22 जून से 26 जून के बीच थी . ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर देवी कामाख्या रजस्वला होती हैं, इस अवसर पर तीन दिनों तक मंदिर का कपाट बंद होता है और चौथे दिन विशेष पूजा अर्चना के साथ मंदिर का कपाट खुलता है.

इस अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है. मेले के दौरान कृषि कार्य भी प्रतिबंधित होता है. कामाख्या मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां देवी सती का योनि भाग गिरा था, इसलिए उसी रूप में उनकी यहां पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि देवी इस दौरान रजस्वला होती हैंं, इसलिए जब मंदिर तीन दिनों के बाद खुलता है तो उनके रक्त से लिपटा कपड़ा विशेष प्रसाद के रूप में यहां वितरित किया जाता है.

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Posted By : Rajneesh Anand

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