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जम्मू-कश्मीर पर घाटी के नेताओं के साथ पीएम मोदी की 3 घंटे की मंथन, जानें क्या निकलकर आया सामने…

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नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के करीब दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वहां के नेताओं से गुरुवार को करीब 3 घंटे बात की. बातचीत का मुख्य मुद्दा परिसीमन और विधानसभा चुनाव (Jammu kashmir Vidhansabha Chunav) रहा. बैठक में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह ने आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की बात भी कही. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, लगभग दो वर्षों में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के नेताओं के साथ अपनी पहली सीधी बातचीत की.

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नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के करीब दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वहां के नेताओं से गुरुवार को करीब 3 घंटे बात की. बातचीत का मुख्य मुद्दा परिसीमन और विधानसभा चुनाव (Jammu kashmir Vidhansabha Chunav) रहा. बैठक में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह ने आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की बात भी कही. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, लगभग दो वर्षों में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के नेताओं के साथ अपनी पहली सीधी बातचीत की.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कश्मीरी नेताओं को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार जितनी जल्दी हो सके विधानसभा चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है. पीएम मोदी ने परिसीमन में उनकी भागीदारी की मांग की. अलग से, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को चुनाव और राज्य का दर्जा देने के अपने आश्वासन देता है. शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में एक समिति के माध्यम से नजरबंदी की समीक्षा का भी वादा किया.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बाद में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बैठक सही दिशा में पहला कदम था. उन्होंने कहा कि बैठक में भाग लेने वालों में से कुछ का मानना है कि अच्छा होता अगर इस तरह का प्रयास 5 अगस्त, 2019 से पहले किया जाता. अब्दुल्ला ने कहा कि हालांकि केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार को जल्द से जल्द बहाल करने की इच्छा रखती है. प्रधानमंत्री ने शीघ्र परिसीमन प्रक्रिया की बात की है. इसका मतलब है कि वे विधानसभा चुनाव कराना चाहते हैं.

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साढ़े तीन घंटे तक प्रधानमंत्री आवास पर बैठक, जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) शामिल थे. जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सभी दलों के प्रमुखों ने बिना किसी आपत्ति के बात की. बाद में नेताओं में से एक ने कहा कि वार्ता के दौरान कोई भड़काऊ बात नहीं हुई. बातचीत शांतिपूर्ण माहौल में हुई.

बाहर पाकिस्तान राग अलापने वाली महबूबा अंदर रही खामोश

सूत्रों ने कहा कि बैठक में आर्टिकल 370 पर कोई बात नहीं हुई. गुपकर नेताओं ने भी बाद में कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए इसपर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. बैठक से दो दिन पहले गुपकर संगठन की बैठक के बाद जिस महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ बातचीत की मांग की थी, उन्होंने अंदर इस प्रकार की कोई भी बात नहीं की. गुपकर नेताओं की मुख्य मांग राज्य का दर्जा, विधानसभा चुनाव और नेताओं के नजरबंदी पर रोक रही.

प्रधानमंत्री ने नेताओं से कहा कि वह उनसे पहले मिलना चाहते थे, लेकिन कोविड-19 के प्रकोप के कारण ऐसा नहीं कर सके. वह चाहते थे कि परिसीमन की कवायद जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि चुनाव जल्द हो सके. सूत्रों ने कहा, पीएम ने रेखांकित किया कि वह “दिल की दूरी” और “दिल्ली की दूरी” दोनों को कम करना चाहते हैं. मोदी ने ट्वीट किया कि जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ बैठक एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां सर्वांगीण विकास को आगे बढ़ाया गया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन तेज गति से होना चाहिए ताकि चुनाव हो सकें और जम्मू-कश्मीर को एक चुनी हुई सरकार मिले जो जम्मू-कश्मीर के विकास पथ को ताकत दे. एक मेज पर बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करने की क्षमता ही हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों को, खासकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हो.

Posted By: Amlesh Nandan.

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