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खुद को आर्थिक रूप से मजबूत की, अब दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं बिशुनपुर की ये महिला

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गुमला : संघर्षों के रास्ते चल कर मंजिल हासिल कर नया मुकाम तक पहुंचनेवाली अनीता देवी बिशुनपुर प्रखंड की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है. अनीता गुमला जिला के उग्रवाद प्रभावित बिशुनपुर प्रखंड की रहने वाली है. जिन्होंने सर्वेश्वरी महिला समूह का गठन कर अचार, जामुन, सिरका, मधु का उत्पादन अपने घर में शुरू किया. महिला समूह की सभी महिलाओं की मेहनत के बल पर स्वावलंबन की नयी कहानी लिख रही है.

यहां बताते चलें कि आज से दो दशक पूर्व महिलाओं को घर की चौखट से बाहर कदम रखने पर भी सामाजिक विरोध का सामना पड़ता था. परंतु अनीता जैसी महिलाओं ने इस तरह की सामाजिक रूढ़ियों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने की ठानी और आज की तारीख में झारखंड की सफल महिला उद्यमी में शुमार हैं. अनीता देवी बताती है कि उसने अंतरजातीय शादी की. जहां पारिवारिक एवं सामाजिक विरोध का जोरदार सामना करना पड़ा. इसके बाद भी वह हार नहीं मानी.

ग्रामीण विकास अभिकरण के तहत चल रहे फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण लेकर समूह के माध्यम से वह अचार बनाना प्रारंभ किया. जिसमें उनके पति का काफी सहयोग मिला. धीरे-धीरे अनीता के उत्पाद की मांग बाजार में बढ़ने लगी. वह अचार की दुनिया में स्वाद की जादूगर बन गयी. जिसकी मांग देश की राजधानी दिल्ली तक होने लगी. जिससे अनीता का मनोबल और ऊंचा हो गया.

अनीता के इस काम से धीरे-धीरे समूह के अलावा कई गांव की महिलाएं भी जुड़ कर स्वावलंबी बनने लगी. आज लगभग चार गांव की महिलाओं को उसने रोजगार दे रखा है. अनीता अपने उत्पाद का स्टॉल देश के विभिन्न जगहों पर सरकार द्वारा लगाये जानेवाले सरस मेला में लगाना प्रारंभ किया. जहां लगातार अब तक दर्जनों बार उसे पुरस्कृत किया जा चुका है. उसी क्रम में वर्ष 2017 में रांची के मोरहाबादी में आयोजित खादी सरस महोत्सव में अनीता देवी को झारखंड सरकार के द्वारा सफल महिला उद्यमी का भी किताब प्राप्त हो चुका है.

गुमला : संघर्षों के रास्ते चल कर मंजिल हासिल कर नया मुकाम तक पहुंचनेवाली अनीता देवी बिशुनपुर प्रखंड की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है. अनीता गुमला जिला के उग्रवाद प्रभावित बिशुनपुर प्रखंड की रहने वाली है. जिन्होंने सर्वेश्वरी महिला समूह का गठन कर अचार, जामुन, सिरका, मधु का उत्पादन अपने घर में शुरू किया. महिला समूह की सभी महिलाओं की मेहनत के बल पर स्वावलंबन की नयी कहानी लिख रही है.

यहां बताते चलें कि आज से दो दशक पूर्व महिलाओं को घर की चौखट से बाहर कदम रखने पर भी सामाजिक विरोध का सामना पड़ता था. परंतु अनीता जैसी महिलाओं ने इस तरह की सामाजिक रूढ़ियों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने की ठानी और आज की तारीख में झारखंड की सफल महिला उद्यमी में शुमार हैं. अनीता देवी बताती है कि उसने अंतरजातीय शादी की. जहां पारिवारिक एवं सामाजिक विरोध का जोरदार सामना करना पड़ा. इसके बाद भी वह हार नहीं मानी.

ग्रामीण विकास अभिकरण के तहत चल रहे फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण लेकर समूह के माध्यम से वह अचार बनाना प्रारंभ किया. जिसमें उनके पति का काफी सहयोग मिला. धीरे-धीरे अनीता के उत्पाद की मांग बाजार में बढ़ने लगी. वह अचार की दुनिया में स्वाद की जादूगर बन गयी. जिसकी मांग देश की राजधानी दिल्ली तक होने लगी. जिससे अनीता का मनोबल और ऊंचा हो गया.

अनीता के इस काम से धीरे-धीरे समूह के अलावा कई गांव की महिलाएं भी जुड़ कर स्वावलंबी बनने लगी. आज लगभग चार गांव की महिलाओं को उसने रोजगार दे रखा है. अनीता अपने उत्पाद का स्टॉल देश के विभिन्न जगहों पर सरकार द्वारा लगाये जानेवाले सरस मेला में लगाना प्रारंभ किया. जहां लगातार अब तक दर्जनों बार उसे पुरस्कृत किया जा चुका है. उसी क्रम में वर्ष 2017 में रांची के मोरहाबादी में आयोजित खादी सरस महोत्सव में अनीता देवी को झारखंड सरकार के द्वारा सफल महिला उद्यमी का भी किताब प्राप्त हो चुका है.

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