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विश्व में परचम लहरा रहे झारखंड के तीरंदाज, दीपिका के वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद बढ़ा तीरंदाजी का क्रेज

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Jharkhand News, रांची न्यूज (दिवाकर सिंह) : झारखंड ने विश्व स्तर पर तीरंदाजी में अपनी पहचान बनायी है. भगवान बिरसा की इस पावन धरती ने देश को कई खिलाड़ी दिये हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से देश-विदेश में झारखंड का मान बढ़ाया है. अगर तीरंदाजी की बात करें, तो राज्य के कई ऐसे तीरंदाज हैं, जो देश ही नहीं, पूरी दुनिया में इस प्रदेश का परचम लहरा रहे हैं. खासकर दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी के वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद झारखंड में तीरंदाजी का क्रेज बढ़ा है.

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Jharkhand News, रांची न्यूज (दिवाकर सिंह) : झारखंड ने विश्व स्तर पर तीरंदाजी में अपनी पहचान बनायी है. भगवान बिरसा की इस पावन धरती ने देश को कई खिलाड़ी दिये हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से देश-विदेश में झारखंड का मान बढ़ाया है. अगर तीरंदाजी की बात करें, तो राज्य के कई ऐसे तीरंदाज हैं, जो देश ही नहीं, पूरी दुनिया में इस प्रदेश का परचम लहरा रहे हैं. खासकर दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी के वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद झारखंड में तीरंदाजी का क्रेज बढ़ा है.

आज हमारी तीरंदाज वर्ल्ड कप से लेकर ओलिंपिक तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने को तैयार हैं. इनमें दीपिका कुमारी, मधुमिता कुमारी, कोमोलिका बारी, अंकिता भकत समेत कई नाम शामिल हैं. यही नहीं झारखंड की धरती पर वर्तमान में 400 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज हैं. 10 वर्ष पहले यह स्थिति नहीं थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में झारखंड के खिलाड़ियों ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान छोड़ी है.

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झारखंड में वर्तमान में तीरंदाजी के नौ सेंटर झारखंड सरकार की ओर से संचालित होते हैं, जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज तैयार हो रहे हैं. इनमें कुछ आवासीय सेंटर हैं और कुछ डे-बोर्डिंग सेंटर. दुमका आवासीय सेंटर में 25 बालक तीरंदाज हैं, जिनमें आठ राष्ट्रीय स्तर के हैं. वहीं सरायकेला में बालक-बालिका का आवासीय सेंटर है. यहां 20-20 खिलाड़ी हैं, जिसमें 10 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं.

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चाईबासा के कुमारडुंगी का तीरंदाजी सेंटर, जहां बालक-बालिका दोनों 16-16 की संख्या में हैं. वर्तमान में सिल्ली में दो सेंटर हैं. एक आवासीय सेंटर कहलाता है जबकि दूसरे को बिरसा मुंडा आर्चरी एकेडमी के नाम से जाना जाता है. आवासीय सेंटर में बालक-बालिका वर्ग में 16-16 खिलाड़ी हैं. इनमें दोनों वर्गों से 12-12 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर के हैं. बिरसा मुडा एकेडमी में कुल 40 खिलाड़ी हैं, जिसमें सात अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और 30 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं.

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बिरसा मुंडा आर्चरी एकेडमी के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है. इसके अलावा जोन्हा आर्चरी सेंटर, चंदनक्यारी सेंटर भी है. राज्य में तीन सेंटर ऐसे हैं, जो निजी कंपनी द्वारा संचालित किये जाते हैं. इनमें प्रमुख है टाटा आर्चरी एकेडमी. इसके अलावा चाईबासा में सेल और बोकारो में इलेक्ट्रो स्टील का तीरंदाजी सेंटर संचालित होता है. खेलगांव में झारखंड सरकार के तीरंदाजी का सेंटर फॉर एक्सीलेंस भी संचालित होता है.

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टाटा आर्चरी एकेडमी के बाद सिल्ली के बिरसा मुंडा आर्चरी एकेडमी ने तीरंदाजों को तैयार करने में अपनी अलग पहचान बनायी है. यहां से मधुमिता कुमारी जैसी तीरंदाज निकलीं, जिसने एशियन गेम्स में रजत पदक जीता था. वहीं सिंपी कुमारी, बबीता, अनिता, सविता, दुर्गावती व भोंज सुंडी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखायी है. यहां 40 तीरंदाज प्रशिक्षण लेते हैं, जिनमें 30 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं.

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झारखंड में राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाजों की संख्या 400 से अधिक है. राज्य में कुल 11 अंतरराष्ट्रीय कोच भी हैं, जिनकी बदौलत झारखंड के ये तीरंदाज ओलिंपिक में दस्तक देने की तैयारी में जुटे हुए हैं. इन प्रशिक्षकों में धर्मेंद्र तिवारी, पूर्णिमा महतो, हरेंद्र सिंह, प्रकाश राम, शिशिर महतो सहित अन्य शामिल हैं. इस मामले में प्रकाश राम का कहना है कि झारखंड में तीरंदाजी के मामले में प्रतिभा की कमी नहीं है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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