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कुचाई के बिरहोर बस्ती पहुंचा प्रशासन, डाकिया योजना के तहत मिला खाद्यान्न, कोरोना संक्रमण को लेकर किया जागरूक

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Jharkhand News (सरायकेला) : सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत कुचाई प्रखंड के जोड़ा सरजम बिरहोर बस्ती के लोगों को सरकारी सुविधा मिले, इसको लेकर जिला प्रशासन उनकी बस्ती पहुंचे. डाकिया योजना व पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत बिरहोर समुदाय के बीच खाद्यान्न वितरण किया गया.

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Jharkhand News (शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला) : सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत कुचाई प्रखंड के जोड़ा सरजम बिरहोर बस्ती के लोगों को सरकारी सुविधा मिले, इसको लेकर जिला प्रशासन उनकी बस्ती पहुंचे. डाकिया योजना व पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत जहां बिरहोर समुदाय के बीच खाद्यान्न वितरण किया गया, वहीं सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

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सरायकेला के सदर एसडीओ रामकृष्ण कुमार ने कुचाई प्रखंड के आदिम जनजाती बहुल गांव जोड़ासरजम बिरहोर बस्ती पहुंच कर बिरहोर समुदाय के लोगों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं के संबंध में जानकारी ली. मौके पर बिरहोर समुदाय के लोगों ने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से शुरू की गयी डाकिया योजना के तहत हर माह समय पर चावल व अन्य सामान मिल जाता है. पीडीएस दुकानदार उनके घरों तक सामान पहुंचाता है.

सरकार की ओर से गांव के बिरहोर समुदाय के लोगों के लिए बिरसा आवास बनाया गया है. मौके पर गांव के तीन लोगों ने मकान नहीं होने की बात करते हुए बिरसा आवास योजना के तहत आवास देने की मांग की. लोगों ने प्रशासन से आजीविका की समस्या से भी अवगत कराया. मौके पर एसडीओ ने ग्रामीणों को कोविड-19 टीकाकरण के प्रति जागरूक करते हुए मास्क का भी वितरण किया. इस पर लोगों ने गांव में कोविड-19 का वैक्सीनेशन कैंप लगाने की मांग की. मौके पर खरसावां बीडीओ मुकेश मछुआ, कुचाई सीओ रवि कुमार भी मौजूद थे.

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पेड़ों की छाल व सीमेंट की बोरी से रस्सी बना कर करते हैं गुजर-बसर

कुचाई के अरुवां पंचायत के जोड़ा सरजम गांव स्थित आदिम जनजाति वर्ग के गांव के करीब 15-16 परिवार के करीब 75-80 लोग आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के हैं. इन लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या आजीविका है. गांव के बिरहोर समुदाय के लोगों ने बताया कि जीविका उपार्जन का एकमात्र साधन रस्सी तैयार कर बाजार में बेचना है. बिरहोर समुदाय के लोग जंगल से पेड़ों की छाल व सीमेंट के बोरे से धागा निकाल कर रस्सी बनाते हैं तथा इसे बाजार में बेचते हैं. इसी से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है.

लेकिन, पिछले एक साल से कोविड-19 को लेकर हाट-बाजार फीका पड़ने के कारण इनलोगों के रोजगार पर असर पड़ा है. इसके अलावा बिरहोर परिवार के सदस्य जंगल से सुखी लकड़ी चुन कर बाजार में बेचते हैं. यहां के बिरहोर परिवारों ने सरकार से आजीविका उपलब्ध कराने की मांग की है. ग्रामीणों ने बताया कि मुर्गा, बतख, सूकर पालन कर वे स्वरोजगार से जुड़ना चाहते हैं.

40 साल से जोड़ा सरजम में रह रहे है बिरहोर परिवार

जोड़ा सरजम गांव के बिरहोर बस्ती के लोगों ने बताया कि करीब 40 साल पहले कुचाई के ही चंपद गांव के 7 लोग रामेश्वर बिरहोर, बंदना बिरहोर, बितन बिरहोर, खागे बिरहोर, चैतन बिरहोर, एतवा बिरहोर व बेड़ेड़ीह बिरहोर को तत्कालीन बिहार सरकार ने तीन-तीन एकड़ जमीन जोड़ा सरजम में दिया था. इसके बाद से ही इनका परिवार जोड़ा सरजम में बस गया है.

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दो साल से जलमीनार खराब

जोड़ा सरजम गांव के लोगों ने बताया कि दो साल से गांव में जलमीनार खराब पड़ा हुआ है. पहले इन जलमीनार से बिरहोर बस्ती के साथ-साथ पास के बस्ती तक भी पानी पहुंचता था. गांव में पांच में से तीन चापाकल खराब पड़ा हुआ है. सोलर ऊर्जा संचालित जलापूर्ति एक योजना व दो चापाकल चालू अवस्था में है. इसी से ग्रामीणों की प्यास बुझती है.

प्रभात खबर ने 28 जून के अंक में उठाया था मुद्दा

प्रभात खबर ने जोड़ा सरजम गांव के बिरहोर बस्ती की समस्याओं को अपने 28 जून के अंक में प्रमुखता के साथ उठाया था. गांव के लोगों के समक्ष आजीविका सबसे बड़ी समस्या है. पीवीटीजी ग्रामोत्थान योजना के जरिये गांव को आदर्श गांव बनाने की योजना है.

Posted By : Samir Ranjan.

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