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बिहार का एक गांव ऐसा, जहां आजादी के दीवानों की होती है पूजा

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जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां के प्रत्येक दिन ग्रामीण, सुबह-शाम भगवान के साथ-साथ मां भारती के वीर सपूतों की भी पूजा-अर्चना करते हैं. लोग 31 वर्षों से हर दिन सुबह-शाम आजादी के दीवाने महापुरुषों की प्रतिमाओं की न सिर्फ पूजा-अर्चना कर रहे हैं, बल्कि उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प भी लेते हैं.

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विपिन/अजीत, बेगूसराय. जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां के प्रत्येक दिन ग्रामीण, सुबह-शाम भगवान के साथ-साथ मां भारती के वीर सपूतों की भी पूजा-अर्चना करते हैं. इस गांव के लोग 31 वर्षों से हर दिन सुबह-शाम आजादी के दीवाने महापुरुषों की प्रतिमाओं की न सिर्फ पूजा-अर्चना कर रहे हैं, बल्कि उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प भी लेते हैं.

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इस बानगी को देखना है तो सदर प्रखंड के परना गांव आइये. यहां सुबह से शाम तक पूजा में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देशभक्ति के तराने भी गूंजते हैं. गांव के बच्चे हों या फिर 80 वर्ष के वृद्ध, सभी में देशभक्ति का एक अजब जुनून देखने को मिलता है.

इससे सामाजिक समरसता कायम रहने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को देशभक्ति का संदेश भी मिलता है. हालांकि, स्मारक स्थल प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन का सहयोग मिले तो आनेवाले दिनों में शहीद स्मारक दार्शनिक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है.

वर्षों से चली आ रही है परंपरा

पूजा का यह सिलसिला 1991 से लगातार चल रहा है. देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले महापुरुषों की सालों भर पूजा-अर्चना कर परना के लोग मिसाल कायम कर रहे हैं. स्थानीय निवासी संजीव कुमार बताते हैं कि पोखर के मुहाने पर पहले मात्र एक शिवालय था. 1987 में यहां मां दुर्गा का मंदिर बनवाकर दुर्गापूजा शुरू की गयी. इसके बाद 1990 में भगवान की पूजा के साथ महापुरुषों की भी पूजा का फैसला ग्रामीणों ने लिया.

बोले मुखिया : ग्राम पंचायत परना के मुखिया वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि शहीद स्मारक के सौंदर्यीकरण के लिए मनरेगा से योजना लिया गया है. मॉनसून की समाप्ति के बाद काम शुरू होगा. शहीदों की पूजा-अर्चना कर वीर सपूतों की कुर्बानियों को याद किया जाता है.

बोले पैक्स अध्यक्ष : परना के पैक्स अध्यक्ष नागेश्वर महतो ने कहा कि शहीदों की पूजा-अर्चना करने से दिल को सुकून मिलता है. युवा पीढ़ी में देशभक्ति के प्रति जुनून पैदा होता है. जिला प्रशासन को भी इस स्मारक स्थल को विकसित बनाने के लिए आगे आने की जरूरत है.

ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा कर बनाया था शहीद स्मारक

तत्कालीन मुखिया शिवराम महतो के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा कर 1991 में पोखर के मुहाने पर ही भव्य शहीद स्मारक स्थल का निर्माण कराया तथा करीब ढाई लाख रुपये से अधिक की लागत से महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, बाबू वीर कुंवर सिंह, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, वीर भगत सिंह, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, लाल बहादुर शास्त्री, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, चंद्रशेखर सिंह और रामचंद्र सिंह जैसे महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू कर दी.

Posted by Ashish Jha

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