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नीरव मोदी को ब्रिटेन के हाईकोर्ट से राहत, भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की मिली इजाजत

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बीती 21 जुलाई को कोरोना महामारी के मद्देनजर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जस्टिस मार्टिन चैंबरलीन की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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लंदन : पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के आरोपी और भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटेन के हाईकोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है. अब वह मानसिक स्वास्थ्य आधार पर भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर कर सकता है. पिछले महीने नीरव मोदी ने बहस के दौरान भारत की जेलों की बदहाल और प्राणघातक स्थिति का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन में नए सिरे से अपील करने की मांग की थी.

बीती 21 जुलाई को कोरोना महामारी के मद्देनजर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जस्टिस मार्टिन चैंबरलीन की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में सुनवाई के दौरान नीरव के वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण करना ठीक नहीं होगा. वकीलों ने कहा था कि वह आत्मघाती कदम भी उठा सकता है.

सुनवाई के दौरान नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया था. फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं, लेकिन नीरव के अंदर भविष्य में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है. वकीलों ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी. गृह मंत्री प्रीति पटेल के प्रत्यर्पण आदेश पर वकीलों ने दलील दी थी कि उन्हें भारत सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं करना चाहिए.

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बता दें कि पिछले दिनों भारत की जांच एजेंसियों की ओर से मामले की पैरवी कर रही क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने नीरव मोदी की अर्जी की पुष्टि की है. ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था के अनुसार, किसी फैसले को चुनौती देने के लिए पहले संबंधित कोर्ट से अनुमति लेनी होती है. अदालत यह तय करती है कि मामले में फैसले को चुनौती देने के पर्याप्त कारण हैं या नहीं. इससे पहले फरवरी में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मोदी नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. हीरा कारोबारी पर धोखाधड़ी और धन को अवैध रूप से विदेश भेजने के आरोप हैं.

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