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बचपन में खोया एक हाथ अब पैरालिंपिक में भारत को तीसरा गोल्ड दिलाने को बेताब देवेंद्र, PM मोदी से किया ये वादा

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पीएम मोदी (PM Modi) से बातचीत के दौरान पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) ने कहा कि जब वे नौ साल के थे तभी अपना हाथ खो बैठे थे. देवेन्द्र टोक्यो पैरालिंपिक (Tokyo Paralympics 2020) में भारत को तीसरा गोल्ड दिला सकते हैं.

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Tokyo Paralympics 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 24 अगस्त से शुरू होने वाले आगामी टोक्यो पैरालिंपिक के लिए भारतीय दल के साथ बातचीत की. पीएम ने पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया से भी बात की और उनका हौसला बढ़ाया. बता दें कि देवेंद्र 2004 में एथेंस पैरालिंपिक में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता, तो कोई भालाफेंक को जानता तक नहीं था, लेकिन ओलिंपिक में नीरज चोपड़ा के ऐतिहासिक स्वर्ण के बाद अब तोक्यो पैरालिंपिक में सभी की नजरें दो बार के चैंपियन देवेंद्र झझारिया पर होंगी, जो सफलता के इस सिलसिले को कायम रखने को बेताब हैं.

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पीएम से बातचीत के दौरान, पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) ने पीएम मोदी से कहा, हम टोक्यो पैरालिंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे. जब मैं नौ साल का था, तब मैंने अपना हाथ खो दिया था. मेरे लिए घर से बाहर जाना एक चुनौती थी. जब मैंने स्कूल में खेलना शुरू किया. मैंने भाला उठाया, तो मझे ताने मारे गए. वहां मैंने फैसला किया कि मैं कमजोर नहीं होऊंगा. एथेंस में 2004 और रियो में 2016 पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतनेवाले भालाफेंक पैरा एथलीट झझारिया ने कहा कि नीरज के स्वर्ण ने भारत में भालाफेंक को सम्मान और पहचान दिलायी है और इस सिलसिले को वह तोक्यो पैरालिंपिक में बरकरार रखना चाहेंगे.

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राजस्थान के चुरू जिले के रहनेवाले 40 वर्षीय इस खिलाड़ी ने कहा सोमवार को कहा था कि अब वह दिन आ गया है कि देश का हर नागरिक भालाफेंक को जानने लग गया है. मुझे पता है कि अब बहुत लोगों की नजरें मेरे प्रदर्शन पर होगी और मीडिया कवरेज भी अच्छी है. 2004 पैरालिंपिक में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता, तो इतना नाम नहीं मिला, क्योंकि कोई इस खेल को जानता ही नहीं था, लेकिन 2016 में जब दूसरा स्वर्ण जीता, तो भारत सरकार ने खेलरत्न दिया और सम्मान भी मिला. अब तो नीरज के स्वर्ण पदक के बाद भालाफेंक का चर्चा हर किसी की जबां पर है.

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