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जेपी विश्वविद्यालय अब नहीं पढ़ाए जाएंगे लोकनायक और लोहिया के विचार, नये सिलेबस में नहीं मिली जगह

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संपूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में स्थापित जयप्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग में पीजी सिलेबस से लोकनायक जयप्रकाश नारायण को ही बाहर कर दिया गया है.

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छपरा. जेपी विश्वविद्यालय अब लोकनायक और लोहिया के विचार नहीं पढ़ाए जाएंगे. विश्वविद्यालय के लिए तैयार सिलेबस में इन विचारों को जगह नहीं दी गयी है. संपूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में स्थापित जयप्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग में पीजी सिलेबस से लोकनायक जयप्रकाश नारायण को ही बाहर कर दिया गया है.

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अब जयप्रकाश की जगह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को पढ़ाया जाएगा. जेपी के साथ ही सिलेबस से राम मनोहर लोहिया, एमएन रॉय, दयानंद सरस्वती और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को भी नये सिलेबस में जगह नहीं मिली है. इस मसले पर विश्वविद्यालय परिसर की राजनीति गर्म हो रही है.

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष शैलेन्द्र यादव का कहना है कि जेपी और लोहिया के विचारों को स्थापना समय से ही पढ़ाया जा रहा है. हमारा विरोध विरोध नये नाम जोड़ने से नहीं है, लेकिन जेपी और लोहिया को सिलेबस से बाहर करने का विरोध छात्र काफी जोर-शोर से करेंगे. छात्रों ने जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए ज्ञापन सौंप दिया है और आंदोलन की बात कह रहे हैं.

दैनिक हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव आर पी बबलू का भी कहना है कि छात्र संगठन ने इस विषय को संज्ञान में दिया है. छात्रों की मांग जायज हैं. जिस विश्वविद्यालय की स्थापना ही जेपी के नाम पर है उस विश्वविद्यालय में जयप्रकाश के जीवन और विचारों को नहीं पढ़ाना कहीं से उचित नहीं है. दीनदयाल को भी उपेक्षित रखा गया था, उनका नाम शामिल करना अच्छी बात है, लेकिन जेपी को हटाना सही नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस मामले में राजभवन से बात कर सुधार का आग्रह किया है और राजभवन ने आश्वासन भी दिया है.

Posted by Ashish Jha

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