27.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 02:07 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कांग्रेस ने काटा टिकट तो सदानंद सिंह ने निर्दलीय जीतकर दिखाई थी ताकत, विचारधारा और क्षेत्र से नहीं किया किनारा

Advertisement

बिहार कांग्रेस के कद्दावर नेता सदानंद सिंह का निधन हो गया. पटना के एक प्रावेट अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन के साथ ही कांग्रेस ने बिहार में अपना एक मजबूत सिपाही खो दिया है. एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर...

Audio Book

ऑडियो सुनें

बिहार कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह (Sadanand Singh) का निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही बिहार में कांग्रेस ने आज अपना सबसे मजबूत सिपाही खो दिया. कांग्रेस में तमाम उतार-चढ़ाव के गवाह रहे सदानंद सिंह ने बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान बनायी थी. सबसे अधिक बार विधायक बनने का रिकॉर्ड भी सदानंद सिंह के नाम ही है.

1967 ई. में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर महज 25 साल की उम्र में 1969 ई. में पहली बार बिहार विधान सभा के सदस्य बने. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपनी लोकप्रियता, और राजनीतिक सूझबूझ के बूते 1972 ई., 1977 ई. और 1980 ई. में लगातार जीत हासिल की. बावजूद इसके 1985 में इन्हें कांग्रेस से टिकट काट दिया गया. तब ये निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़े में उतर आये और चुनाव जीते तो कांग्रेस आलाकमान की नजर में उनका कद और ऊंचा हो गया.

कहलगांव में सदानंद बाबू को कांग्रेस का पर्याय माना जाने लगा. कहा जाने लगा कि यहां सदानंदी वोटर काम करता है. इसी बीच जनता दल से लालू प्रसाद की लोकप्रियता बढ़ी तो 1990 व 1995 के चुनाव में वे सदन से बाहर रहे, लेकिन सत्ता के गलियारे में उनका कद इतना ऊंचा था कि वे हार कर भी विजेता की भांति जनता के बीच सक्रिय रहे और 2000 ई. के चुनाव में फिर से जीत हासिल की. इस बार उन्हें बिहार विधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया.

2005 के आम चुनाव में पुन: उन्होंने जीत दर्ज की, लेकिन त्रिकोणीय संघर्ष के कारण कोई भी दल की सरकार नहीं बना पायी. लिहाजा 2005 में ही फिर से चुनाव हुआ और इस बार वे जदयू के अजय मंडल से चुनाव हारे. फिर 2010 ई. में विधान सभा सदस्य बने. अंतिम बार 2015 में चुनाव जीते और 2020 ई में राजनीति से संन्यास लेते हुए अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र शुभानंद को सौंप दिया.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें