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Bhawanipur ByPolls 2021: भवानीपुर में उपचुनाव क्यों? कलकत्ता हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा

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Bhawanipur ByPolls 2021: कलकत्ता हाइकोर्ट ने भवानीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की ‘संवैधानिक अत्यावश्यकता’ की निर्वाचन आयोग की दलील पर सवाल उठाने वाली पीआइएल पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षति रख लिया.

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कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट (Calcutta High Court) ने चुनाव आयोग (ECI) से पूछा है कि आखिर भवानीपुर में चुनाव (Bhawanipur ByPolls 2021) कराने की औचित्य क्या है. अदालत ने पूछा सिर्फ एक ही सीट पर उपचुनाव क्यों? बाकी सीटों पर उपचुनाव क्यों नहीं? अदालत ने पूछा कि उपचुनाव पर कितना खर्च होता है? कलकत्ता हाइकोर्ट यह भी कहा कि जब कोई इस सीट पर जीत चुका था, तो फिर किसी और के लिए सीट खाली कर दी, तो फिर जनता के पैसों से क्यों ये चुनाव हो रहा है?

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इस टिप्पणी के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने भवानीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की ‘संवैधानिक अत्यावश्यकता’ की निर्वाचन आयोग की दलील पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका (पीआइएल) पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षति रख लिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई पूरी की और इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया. भवानीपुर सीट के लिए उपचुनाव 30 सितंबर को होना है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार हैं. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चुनाव आयोग ने प्रेस नोट में कहा था कि यह फैसला लिया गया है कि भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र पर उपचुनाव कराने का फैसला ‘पश्चिम बंगाल राज्य के विशेष आग्रह और संवैधानिक आवश्यकता पर विचार’ करते हुए लिया गया है. उसने दलील दी कि आयोग को ऐसा नहीं करना चाहिए था और इसलिए अदालत को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.

Also Read: फिर खतरे में ममता बनर्जी की कुर्सी! चुनाव आयोग को कलकत्ता हाइकोर्ट का नोटिस

निर्वाचन आयोग ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता संवैधानिक आवश्यकता शब्द के अर्थ को गलत तरीके से वर्णित करने की कोशिश कर रहा है. यह भी कहा कि इसे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. यह दावा करते हुए कि भवानीपुर में उपचुनाव कराने के फैसले में राज्य की कोई भूमिका नहीं है और यह निर्वाचन आयोग का एकमात्र अधिकार है.

पश्चिम बंगाल सरकार ने 13 सितंबर को अदालत के समक्ष दलील दी थी कि मुख्य सचिव ने केवल आयोग को पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि उपचुनाव कराया जाये और आयोग ने अनुरोध स्वीकार कर लिया. याचिका में मुख्य सचिव की चिट्ठी पर उठाये गये सवाल पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने पूछा कि कैसे मुख्य सचिव के पत्र पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की.

अदालत ने पूछा सिर्फ एक ही सीट पर ही उपचुनाव क्यों? बाकी सीटों पर उपचुनाव क्यों नहीं? अदालत ने पूछा उपचुनाव पर कितना खर्च होता है? ये भी कहा कि जब कोई इस सीट पर जीत चुका था, फिर किसी और के लिए सीट खाली कर दी, तो फिर जनता के पैसों से क्यों ये चुनाव हो रहा है? विधानसभा में पार्टी सुप्रीमो के निर्वाचन को आसान बनाने के लिए तृणमूल विधायक शोभनदेव चट्टोपाध्याय के इस्तीफे के बाद भवानीपुर सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था. इस सीट का प्रतिनिधित्व 2011 और 2016 में ममता बनर्जी ने किया था.

चुनाव आयोग से कलकत्ता हाइकोर्ट के सवाल

जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि भवानीपुर के अलावा, चार विधानसभा क्षेत्र हैं – गोसाबा, खड़दह, शांतिपुर और दीनहाटा, जहां सीटें खाली पड़ी हैं. तब क्यों भवानीपुर को एक अपवाद के रूप में माना गया और अगर दक्षिण कोलकाता निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हुआ, तो किस तरह का संवैधानिक संकट पैदा होगा. हालांकि, हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हो गयी है और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब हाइकोर्ट के निर्णय पर ही भवानीपुर विधानसभा चुनाव निर्भर है.

इस संबंध में हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता शीर्षेंदु सिन्हा राय ने कहा कि एक प्रशासनिक अधिकारी (मुख्य सचिव) ने जिस प्रकार से ‘संवैधानिक संकट’ का हवाला देते हुए भवानीपुर में उपचुनाव कराने की मांग की है, यह वाकई में उक्त अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाता है. भवानीपुर में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले उम्मीदवार भी अभी पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, तो आखिर उनको इस्तीफा दिला कर वह सीट क्यों खाली करायी गयी, किसी और सीट पर उपचुनाव हो सकता था.

Posted By: Mithilesh Jha

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