30.1 C
Ranchi
Saturday, March 1, 2025 | 05:31 pm
30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Pitru Paksha 2021: अगर पितर रूठ जाएं तो कुंडली में आता है बड़ा दोष, जानें पितृपक्ष में दूर करने के उपाय

Advertisement

Pitru Paksha 2021: हिंदू धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्‍व है. कुंडली में पितृ दोष से बड़ा दोष और कुछ नहीं है. इसीलिए श्राद्ध पक्ष महत्‍वपूर्ण माने गए हैं. हिन्दू धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी होता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Pitru Paksha 2021: हिंदू धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्‍व है. कुंडली में पितृ दोष से बड़ा दोष और कुछ नहीं है. इसीलिए श्राद्ध पक्ष महत्‍वपूर्ण माने गए हैं. हिन्दू धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी होता है. अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जाए तो उसे धरती से मुक्ति नहीं मिलती है और वह आत्मा के रूप में संसार में ही रह जाता है.

ब्रह्म पुराण में इसे कहा गया है श्राद्ध

ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितृ के नाम उचित विधि की ओर से ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है. श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है. पिण्ड के रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है. इसी के तहत वर्ष में पंद्रह दिन के लिए श्राद्ध तर्पण किया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाए तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पितर की अशांति के कारण धनहानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिषी पितृ दोष को अवश्य देखते हैं. ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिए.

पितृ पक्ष का महत्व

ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरो यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए. पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है. पितृ शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं. मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं, ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें.

Also Read: Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष के दौरान बन रहे हैं कई खास योग, इस योग में करें तर्पण और पिंडदान
क्या दिया जाता है श्राद्ध में

श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्व दिया जाता है. पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है. श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्व होता है. श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए. श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है.

श्राद्ध में कौओं का महत्व

कौए को पितरों का रूप माना जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितृ कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं. अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट जाते हैं. इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है.

किस तारीख में करना चाहिए श्राद्ध

सरल शब्दों में समझा जाए तो श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया जाना है. अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है. इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है. इस विषय में कुछ विशेष मान्यता भी है जो निम्न हैं.

  • पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है.

  • जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई जो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है.

  • साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है.

  • जिन पितरों के मरने की तिथि याद नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है. इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है.

Also Read: Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष जरूर करें ये काम, जानें तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने की पूरी जानकारी

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

मोबाइल नंबर- 8080426594-9545290847

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर