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IPL 2021: दसवीं ड्रॉप आउट कैसे बना सबसे तेज गेंदबाज? जानें जम्मू-कश्मीर के उमरान मलिक के बारे में

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जम्मू और कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल के एक कोच मन्हास ने मलिक को पहली बार 17 साल की उम्र में देखा था. यह धाकड़ तेज गेंदबाज जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में आया था जहां मन्हास कोचिंग कराते थे.

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नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के युवा गेंदबाज उमरान मलिक ने रविवार को सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेलते हुए एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम किया, जो अब तक किसी भारतीय गेंदबाज के खाते में नहीं है. उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में 150 किलोमीटर से अधिक गति से गेंद फेंककर सबको चौंका दिया. आईए जानते हैं इस गेंदबाज के बारे में…

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नेट गेंदबाज के रूप में फ्रैंचाइजी के साथ जब इन्होंने अपने सफर की शुरुआत की थी तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके नाम इतनी बड़ी उपलब्धि होगी. उन्हें नेट गेंदबाज के रूप में टीम में जगह दी गयी थी. टी नटराजन के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें यह मौका मिला. मलिक ने पहले ही ओवर में 146 से अधिक की गति दिखायी, उसके बाद उन्होंने स्पीड गन पर दो बार 150 के आंकड़े को पार किया.

पूरी दुनिया के क्रिकेट विद्वान इस नयी प्रतिभा से उत्साहित थे, दूर जम्मू में बैठे, रणधीर सिंह मन्हास अपने शिष्य को एक लंबा सफर तय करते हुए देखकर खुश थे. जम्मू और कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल के एक कोच मन्हास ने मलिक को पहली बार 17 साल की उम्र में देखा था. यह धाकड़ तेज गेंदबाज जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में आया था जहां मन्हास कोचिंग कराते थे.

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कोच रणधीर सिंह मन्हास ने बताया उमरान के बारे में

मन्हास ने स्पोर्टस्टार को बताया को बताया कि शुरुआत में वह खेल को लेकर काफी गंभीर नहीं था. वह एक दिन आता और फिर तीन दिन के लिए गायब हो जाता. और फिर, एक-एक हफ्ते तक भी गायब हो जाता था. आप उसे नेट्स पर गेंदबाजी करते हुए देखे सकते हैं कि उसमें खेल के लिए जुनून था, लेकिन उसने चीजों को गंभीरता से नहीं लिया.

मन्हास उसकी गति से प्रभावित थे. उन्होंने मलिक से कहा कि उसे अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए गंभीर और अनुशासित होना चाहिए. मन्हास बताते हैं कि वह एक कच्ची प्रतिभा थी, जिसमें अपार क्षमता थी लेकिन उसे कुछ मार्गदर्शन की जरूरत थी. वह नेट्स पर 145 से अधिक की तेजी से गेंद फेंकता था. हम जानते थे कि अगर उसे ठीक से सलाह दी जाए तो वह और भी तेजी दिखा सकता है.

मन्हास ने कहा कि कुछ महीने बाद चयनकर्ताओं की नजर मलिक पर पड़ी और उन्हें अंडर-19 जम्मू-कश्मीर टीम के लिए मलिक को चुन लिया. हालांकि उसे शायद ही खेलने का मौका मिला, ज्यादातर समय उसे बेंच पर ही रहना पड़ा. वह नियमित रूप से टेनिस बॉल क्रिकेट खेलता था और स्थानीय टूर्नामेंटों में भाग लेता था. जिससे उसे अपनी गति बढ़ाने में मदद मिली.

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दसवीं ड्रॉप आउट हैं उमरान मलिक

मन्हास बताते हैं कि उमरान मलिक एक विनम्र पृष्ठभूमि से आते हैं. उनके पिता का गुर्जर नगर में फलों का एक दुकान है. उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेट जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया. वह दसवीं कक्षा का ड्रॉप आउट है और उसने जो कुछ किया वह सिर्फ क्रिकेट खेलना था. उसकी बड़ी बहनें हैं और वह परिवार में इकलौता बेटा है, इसलिए उन्होंने बहुत सहयोग किया और इससे उसे खुलकर खेलने में मदद मिली.

पूर्व भारतीय क्रिकेटरों ने की मदद

कोच को यह भी याद है कि कैसे भारत के पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा मलिक को नेट्स पर देखकर प्रभावित हुए थे. रात्रा असम के कोच थे और रणजी ट्रॉफी खेल से पहले उमरान को नेट पर गेंदबाजी करते देख प्रभावित हुए और चयनकर्ताओं से सिफारिश की कि क्यों नहीं उसे जम्मू-कश्मीर टीम में मौका दिया जाए. मन्हास ने उस समय कोई जवाब नहीं दिया. उन्हें संदेह था कि क्या मलिक वास्तव में जल्द ही जम्मू-कश्मीर के दस्ते में जगह बना पायेगा.

लेकिन चीजें धीरे-धीरे बदल गईं जब भारत के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान ने जम्मू-कश्मीर टीम के मेंटर के रूप में कार्यभार संभाला. मन्हास ने कहा कि इरफान एक शीर्ष स्तर के तेज गेंदबाज होने के नाते उमरान में क्षमता पहचानी और उसको सलाह देना शुरू किया, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ा. बाद में उसे स्टेट की टीम में मौका मिला.

Posted By: Amlesh Nandan.

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