26.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 07:06 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पैंडोरा जैसे मामलों पर लगे लगाम

Advertisement

इस वस्तुस्थिति को बदलना है, तो भारत की आर्थिक व सामाजिक सोच में आधारभूत परिवर्तन होना चाहिए. एक सुशासित देश में यह बहुत कठिन तो नहीं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

लगभग पांच साल पहले पैंडोरा पेपर्स की तरह ही एक और कागजी पिटारा खुला था. पनामा पेपर लीक के नाम से मशहूर हुआ था वह पिटारा. उसमें भी ऐसे ही रहस्यों का उद्घाटन हुआ था. उसमें देश की कानून व्यवस्था को धता बता कर बड़े नामों वाले सक्षम भारतीयों ने पूंजी की जबरदस्त लुका-छुपी का खेल किया था. कुछ वैसा ही पैंडोरा के पिटारे से भी सामने आया है. इसी संदर्भ में यह याद करना जरूरी है कि 2019 में इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन का एक व्हाइट कॉलर क्राइम सर्वे प्रकाशित हुआ था, जिसमें भारतीय उच्च वर्ग के उच्च कोटि के वित्तीय अपराधों के लगातार बढ़ते ग्राफ का खुलासा किया गया था.

बैंकों के साथ धोखाधड़ी, आयकर की चोरी और न जाने कितने अनोखे अपराध साल-दर-साल बढ़ते रहे हैं. फिर तो जाहिर है कि पनामा और पैंडोरा के अलावे कितने अन्य कागजात होंगे, जिनके बारे में हम अभी भी नहीं जानते. नाम बदल जाएं, जगह बदल जाएं, पर सच तो एक ही है. भारत के सक्षम वर्ग को मालूम है कि आयकर की व्यवस्था और वित्तीय प्रशासन से कन्नी काट कर कहां और कैसे अपने पैसे छुपाये जा सकते हैं.

अद्भुत कला-कौशल में माहिर है भारतीय उच्च वर्ग. चोरी भी करते हैं, तो सुंदर, मोहक और उच्च कोटि की. जितने ग्लैमरस नाम, उतना ही उत्कृष्ट संपत्ति कर की चोरी, लेकिन उनकी चोरी की खास बात यह है कि वे बस अपने पैसे छुपाते ही नहीं, उन्हें पूंजी को वृद्धि में लगाने की वह अद्भुत अर्थगणितीय कला भी मालूम है, जो भारत भूमि के विधि व्यवस्था के अनुसार गैरकानूनी है. सब लोग नहीं कर सकते इतना उत्कृष्ट काम. अपनी मासिक कमाई पर आयकर देनेवाला भारतीय मध्य वर्ग तो बस कोई मामूली-सी कर चोरी करने पर भी धर लिया जाता है.

आयकर व्यवस्था ऐसी छोटी मछलियों को दबोचने में तनिक भी कोताही नहीं करती. ठीक वैसे ही जैसे छोटे बच्चे कुछ रुपये की हेराफेरी करने पर बड़ी आसानी से अपने मां-बाप के हाथों पकड़े जाते हैं. कोई बहुत जांच-पड़ताल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. जिसने चोरी की है, उसके चेहरे के रंग को देख कर ही कोई उन्हें धर सकता है, लेकिन ग्लैमरस चोरी की बात ही कुछ और है.

जिसकी उच्च कोटि की क्षमता है, बुद्धि व कौशल है, और पहुंच है, वह कर लेता है. कभी कोई अखबार ही जांच-पड़ताल करके खुलासा कर दे, तो कर दें. देश की आयकर और आर्थिक शासन व्यवस्था आदि तो बेचारे ही बने रहते हैं. और, कागजी रहस्यों से पर्दा उठते ही पूरी व्यवस्था फाइलें पलटने लगती है. पनामा लीक के समय भी ऐसा हुआ था और अब पैंडोरा रहस्य के खुलते ही फिर से वही सब हो रहा है.

व्यवस्था के कर्ता-धर्ता नहा-धोकर, बालों में कंघी किये हुए, एकदम टाइट दिखने की कोशिश करने लगे हैं. ऐसा लग रहा है कि वे इसी दिन की ताक में कई बरसों से थे. यह अलग बात है कि बेचारे कुछ कर नहीं पाये. किसी खोजी पत्रकार के ही भरोसे है इतने बड़े देश की आर्थिक व्यवस्था. अब जब पैंडोरा का पिटारा खुल ही गया है, तो कोई बात नहीं. इससे जुड़ी सभी खबरों में पूरा ध्यान इसी पर है कि कौन-कौन से नाम सामने आ रहे हैं, किस बड़ी हस्ती ने कितने पैसे किस फर्म में लगाये. बड़े नाम और बड़े दाम के चक्कर में क्या हम दो मूल बातों पर ध्यान दे पायेंगे?

सबसे पहली बात, यह शासन व प्रशासन की कैसी व्यवस्था है, जो बड़ी आमदनी और उससे जुड़े मामलों को नजरअंदाज करने में असाधारण रूप से माहिर है! इतनी दक्षता तो महाभारत के अर्जुन को ही थी, जिनको मालूम था कि मछली की आंख कहां है. हमारे आर्थिक शासन व्यवस्था की दक्षता उसे लाखों और करोड़ों छोटी-छोटी मछलियों की आंख पर नजर रखने के लायक तो बनाती है, लेकिन वह मुठ्ठी भर कुछ सैकड़ों में गिने जा सकने वाले धनी लोगों की आय पर नजर नहीं रख पाती.

क्या यह अर्थशास्त्र की कोई गूढ़ पहेली है फिर एक सामाजिक और राजनीतिक गोरखधंधा? समय आ गया है कि भारत के विश्वविद्यालयों में इस विषय पर शोध एवं अनुसंधान के लिए सहयोग और प्रोत्साहन दिया जाए. आखिर राष्ट्र निर्माण के लिए ये जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्यों हमारी आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था इतनी लचर रही है कि बड़े बड़े शार्क आराम से बैंकों को ठग कर, सरकारी उपकरणों से छल कर अपनी संपत्ति को पांच, छह या सात समंदर पार बड़ी निपुणता से भेज देते हैं.

यह अलग बात है कि किसी खोजी पत्रकार की जांच में पकड़े जाने पर वे सभी पुख्ता कागजात लेकर अपने बचाव में सुंदर दलीलें दे सकते हैं. आम तौर पर चोरी करके पकड़े जाने पर कोई भी परेशान हो जायेगा, लेकिन ये सक्षम, उच्च वर्गीय, सेलिब्रिटी चोर पकड़े जाने पर और जोर से बोलते हैं. उनके साथ-साथ उनके पक्ष में दल-बल के साथ और लोग भी बोलने लगते हैं. नतीजा यह होता है कि पनामा, पैंडोरा आदि जैसे रहस्योद्घाटनों का सिलसिला चलता रहता है. जैसे और खबरें समय के सीने में दफन होकर दम तोड़ देती हैं, ऐसे मामलों के साथ भी वही होता है और शायद आगे भी होता रहेगा.

दूसरी बात यह है कि पैंडोरा जैसे पिटारे से भारत की एक छवि सामने आती है. इस छवि के संदर्भ में अंततः गोस्वामी तुलसीदास ही सही मालूम होते हैं- समरथ को नहिं दोष गोसाईं. भारत का समर्थ वर्ग रोल मॉडल है. उनके एक ट्वीट पर खबर बन जाती है. सामंतवाद के समय से ऐसा रहा है. अभी भी है, तो क्या दोष! ये और गुणी-धनी उच्च वर्ग महानगरों से लेकर मुफस्सिल, जिला और पंचायत स्तर पर भी सशक्त हैं. जो सक्षम हैं, उनकी हेराफेरी भी गुणगान का कारण है. वर्ग-विभाजित भारत के इस तस्वीर को देखकर पनामा और पैंडोरा रहस्योद्घाटन से आम तौर पर कोई दिक्कत नहीं होगी. विद्यालयों में बच्चे अब भी उन्हें ही रोल मॉडल मानेंगे.

अगर इस वस्तुस्थिति को बदलना है, तो भारत की आर्थिक और सामाजिक सोच में आधारभूत परिवर्तन होना चाहिए. हमें चाहिए शासन एवं प्रशासन की एक मजबूत व्यवस्था, जो ऐसे अपराधों के प्रति सदैव असहनशील और सचेत रहे. चाहे अपराध किसी वर्ग का हो, उसकी समुचित जांच-पड़ताल होनी चाहिए तथा वित्तीय शुचिता सुनिश्चित की जानी चाहिए. एक सुशासित देश में यह बहुत कठिन तो नहीं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें