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शिल्प बाजार में उमड़ती थी हजारों की भीड़, लगे थे मेले, दुर्गापूजा में क्यों लगी पाबंदी, पूछ रहे हैं लोग

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पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा में कोरोना गाइडलाइन की दोहरी नीति देखने को मिली. सितंबर माह में गांधी मैदान में शिल्प मेला का आयोजन हुआ. इस मेले में जहां हर दिन हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी, बच्चों के लिए झूले लगे, वहीं दुर्गापूजा में मेले पर पाबंदी पर लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है.

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Jharkhand News (अभिषेक पीयूष, चाईबासा) : पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा शहर इन दिनों झारखंड सरकार और जिला प्रशासन की दोहरी नीति लोगों को नहीं पच रही है. कोरोना संक्रमण के कारण जहां राज्य सरकार ने दुर्गापूजा को लेकर गाइडलाइन जारी किये हैं, वहीं चाईबासा के शिल्प बाजार में पिछले महीने हर दिन हजारों की भीड़ उमड़ती थी और शाम को मेले भी लगते थे. इस बात को लेकर क्षेत्र के लोगों में गुस्सा भी है और सरकार से सवाल भी कर रहे हैं कि दुर्गापूजा में ऐसी छूट क्यों नहीं है.

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दुर्गापूजा को लेकर जश्न के माहौल में सराबोर हो चुका है. शहर में दुर्गोत्सव को लेकर सभी पंडालों के पट खोले जा चुके हैं. ऐसे में मां के दर्शन को श्रद्धालु बेकरार है, लेकिन राज्य सरकार व जिला प्रशासन की दोहरी नीति की मार इस वर्ष पूजा में श्रद्धालुओं को झेलनी पड़ सकती है. दरअसल, राज्य सरकार द्वारा दुर्गापूजा को लेकर जारी की गयी गाइडलाइन के आलोक में जिला प्रशासन ने जिले भर के पूजा पंडालों में मां के दर्शन को कई प्रकार की पाबंदियां लगा दी गयी हैं.

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इसके तहत डीसी अनन्य मित्तल ने प्रशासनिक अमले के साथ बैठक कर दशहरा के दौरान सख्ती से गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं, गाइडलाइन की अनदेखी करने वाले पूजा पंडालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी भी दे डाली है, लेकिन जहां एक ओर शहर में मां के दर्शन पर पाबंदिया लगायी गयी है. वहीं दूसरी ओर सरेआम बाजार में कोविड-19 के नियमों की अनदेखी की जा रही है. पूजा को लेकर खरीदारी को प्रतिदिन बाजार में खचाखच भीड़ उमड़ रही है. जिससे प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं है.

Also Read: झारखंड में पूजा पंडालों के खुले पट, मां का दर्शन कर रहे श्रद्धालु सितंबर माह में लगा था सिल्क मेला

सरकारी गाइडलाइन के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा दुर्गोत्सव के दौरान किसी भी प्रकार के मेला के आयोजन पर रोक लगायी गयी है. साथ ही पूजा पंडाल व उसके आसपास कोई भी फूड स्टॉल नहीं खोले जाने का फरमान भी जारी किया गया है. वहीं, दूसरी ओर चाईबासा शहर के बीचों-बीच स्थित गांधी मैदान में विगत सितंबर माह में प्रशासन की अनुमति पर चाईबासा नगर परिषद द्वारा सिल्क बाजार सजाया गया था.

इस शिल्प बाजार में कपड़ा से लेकर जूते-चप्पल, शृंगार, बर्तन, घर के साज-सज्जा के अन्य जरूरी सामान सहित बाजार के अंदर खाने-पीने के विभिन्न सामाग्रियों के स्टॉल, लॉटरी आदि का आयोजन तक किया गया था. इतना ही नहीं, पूरे एक माह तक सजे इस बाजार में छोटे बच्चों के लिए जंपिंग पैड सहित कई प्रकार के झूले भी लगाये गये थे. जिसमें बैठने की अनुमति आयोजकों के द्वारा महज 2 साल से 12 वर्ष तक के बच्चों को ही दी गयी थी.

ऐसे में बाजार में किसी तरह के कोविड नियमों का पालन नहीं हुआ था. साथ ही बाजार में एक साल से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे झूलों आदि का आनंद लेते भी देखे गये थे. इस कारण राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा दुर्गोत्सव को लेकर जारी किया गया फरमान चाईबासा वासियों को पच नहीं रहा है.

Also Read: हजारीबाग में दुर्गाेत्सव की धूम, घर बैठे पूजा पंडाल व मां का करें दर्शन मंगलाहाट व सब्जी मंडियों में भी जुट रही भीड़

इधर, चाईबासा शहर में सुबह के वक्त प्रतिदिन लगने वाले सब्जी बाजार मंगलाहाट एवं शाम को मधुबाजार में लगने वाले सब्जी बाजार में खचाखच लोगों की भीड़ जमा रहती है. यहां खरीदार या फिर दुकानदार कोई भी मास्क नहीं लगा रहा है. इसके साथ ही प्रत्येक मंगलवार को लगने वाले मंगलाहाट में भी शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जिससे कि प्रशासन पूरी तरह बेखबर है. वहीं, दुर्गोत्सव को लेकर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गयी है. इससे लोगों में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के प्रति रोष व्याप्त है.

दुर्गोत्सव की गाइडलाइन व शहर के बाजार की स्थिति

दशहरा के मद्देनजर पूजा समितियों को किसी भी प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही किसी भी प्रकार के प्रसाद वितरण पर भी रोक लगा दी गयी है. आम नागरिकों से अपने-अपने घरों में ही पूजा करने की अपील की गयी है. इसके अलावा पूजा पंडाल में केवल पूजा समिति से जुड़े लोगों को ही रहने की अनुमति प्रदान की गयी है. इतना ही नहीं, 18 या इससे कम आयु वर्ष के बच्चों के पूजा घूमने पर भी रोक लगायी गयी है. इसे लेकर दुर्गापूजा पंडाल को चारों तरफ से बैरिकेडिंग कर तीन तरफ से ढकने को कहा गया है, ताकि आगंतुकों का प्रवेश रोका जा सके.

दूसरी ओर, दुर्गोत्सव को लेकर चाईबासा के बाजार में (कपड़ा, जूता-चप्पल, शृंगार के सामान, बेल्ट, घड़ी, चश्मा) आदि की खरीदारी के साथ-साथ होटलों व ठेले-खोमचों में हजारों की संख्या में रोजाना खाने वालों की भीड़ जुट रही है. यहां लोग कोरोना से बचाव को लेकर किसी भी तरह के नियमों का पालन नहीं कर रहे है. सोशल डिस्टेंसिंग तो छोड़ दीजिये, इन स्थानों पर एक-आद को छोड़ ज्यादातर लोगों के द्वारा फेस मास्क तक का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. साथ ही किसी भी दुकान के बाहर सैनिटाइजर की बोतल भी नहीं दिख रही है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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