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Mission 2024: क्षेत्रीय स्तर पर पैठ मजबूत करने में जुटी है बीजेपी, पार्टी इन नेताओं को दे रही है खास तवज्जों

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मिशन 2024 के लिए राजनीतिक दल अभी से ही कमर कसने लगे हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. वो बड़े शहरों की बजाये ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर रही है. भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रिय स्तर पर अपना हित साधने में लगी है.

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लोकसभा चुनाव भले ही दो साल बाद होने है. लेकिन चुनाव की सुगबुगाहत अभी से ही सुनाई देने लगी है. मिशन 2024 के लिए राजनीतिक दल अभी से ही कमर कसने लगे हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. वो बड़े शहरों की बजाये ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर रही है. भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रिय स्तर पर अपना हित साधने में लगी है.

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बीजेपी ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े नेताओं को आगे कर रही है. केन्द्रीय मंत्रीमंडल विस्तार, यूपी समेत अन्य राज्यों में कैबिनेट विस्तार और हाल में पार्टी की जो कार्यकारिणी का गठन हुआ उससे साफ हो गया कि बीजेपे बड़े शहरों की अपेक्षा गांवों और कस्बों के नेताओं को खास तवज्जों दे रही है.

जाहिर है राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के बराबर कोई दल नहीं है. बीजेपी का दावा है कि कि वो भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है. ताजा हालात में यहीं अनुमान लगाया जा सकता है कि फिलहाल भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी चुनौती नहीं मिलने वाली है, ऐसे में पार्टी का फोकस अब क्षेत्रीये दलों की मिलने वाली चुनौती से निपटना हो गया है.

जाहिर है दो बार से लगातार बीऐपी सत्ता पर काबिज है. तीसरी बार रिकार्ड बनाने से वो नहीं चूकना चाहती है. जीत की कवायद में जुटी पार्टी कोई कोर कसर छोड़ने के मूड में नहीं है. बीते सालों में पार्टी की पहुंच गांवों और कस्बों में बढ़ी है. शीर्ष नेतृत्व अब इसे और तेज करने में लगा है. इसके लिए पार्टी क्षेत्रीये स्तर पर बड़े नाम और कद वाले नेताओं को संगठन और सरकार में अहम भूमिका दे रही है.

कब बनेगा तीसरा या चौथा मोर्चा: जाहिर है 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को किस तरह चुनौती दी जाए, किसे मोदी के खिलाफ चुनाव का चेहरा बनाया जाए, इसको लेकर विपक्ष पूरी तरह असमंजस में है. तीसरे या चौथे मोर्चे के गठन की कोशिश की जा रही है है, लेकिन अभी विपक्षी दल एकमत नहीं हो पाएं हैं. ममता बनर्जी खुद को मोदी के खिलाफ बड़ा चेहरा साबित करने की कोशिश कर रही हैं, तो शिवसेना ने राहुल गांधी को समर्थन किया है. वहीं, कांग्रेस और टीएमसी में कोल्ड वार की किसी न किसी रुप में छिड़ा ही रहता है.

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