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Children’s Day 2021: Jharkhand में पंडित जवाहरलाल नेहरू की यादें, 1934 में बापू के साथ पहली बार आये थे झारखंड

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देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू अपने जीवनकाल में झारखंड (तब अविभाजित बिहार) कई दफा पहुंचे थे. पहली बार पं नेहरू गांधीजी के साथ 1934 में जमशेदपुर आये थे. उस समय महात्मा गांधी देशभर में हरिजन कोष के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे थे.

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बाल दिवस 2021: अभिषेक रॉय- देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू अपने जीवनकाल में झारखंड (तब अविभाजित बिहार) कई दफा पहुंचे थे. पहली बार पं नेहरू गांधीजी के साथ 1934 में जमशेदपुर आये थे. उस समय महात्मा गांधी देशभर में हरिजन कोष के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे थे. उसी समय पं नेहरू ने भी बापू के साथ सोनारी और साकची के आसपास की बस्तियों में पहुंच कर सभा को संबोधित किया था.

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दूसरी बार 26 नवंबर 1950 में जमशेदपुर के बर्मामाइंस में राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (नेशनल मेटालर्जिकल लेबोरेटरी) का उद्घाटन किया था. तीसरी बार 1958 में टाटा स्टील के गोल्डन जुबली (50वां स्थापना दिवस) के दौरान पहुंचे थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने जुबिली पार्क का भी उद्घाटन किया था.

पार्क में उनके हाथों लगाया गया वट वृक्ष आज भी उस दिवस की निशानी है. पार्क में खास तौर पर रोज गार्डेन तैयार किया गया था. मान्यता है कि उन्होंने अपने कोट में पार्क का गुलाब लगाया था. इसके बाद से उनके लिए पार्क से खासतौर पर गुलाब भेजवाया जाता था.

पं नेहरू के साथ बुधनी का हाथ मिलाना पड़ा भारी : छह दिसंबर 1959 को पं जवाहरलाल नेहरू धनबाद पहुंचे थे. दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के अफसरों ने राज्य में तैयार पंचेत डैम का उद्घाटन करने के लिए बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री का आमंत्रित किया था. उद्घाटन सत्र राज्य की संथाली महिला बुधनी मंझिआइन के लिए इतिहास बन गया.

बुधनी उस समय महज 15 वर्ष की थी, डीवीसी के अधिकारियों ने उन्हें नेहरू जी के स्वागत करने के लिए चुना था. प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए बुधनी पारंपरिक वेशभूषा में सजकर कार्यक्रम में पहुंची थी. पं नेहरू के आगमन पर बुधनी ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया. संथाली परंपरा से बुधनी ने पंडित नेहरू का हाथ धुलाया, चंदन लगा कर उनकी आरती की और माला पहनाकर स्वागत किया.

पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत देख नेहरू ने पंचेत डैम का उद्घाटन बुधनी से ही कराया. उद्घाटन समारोह की यह तस्वीर कोलकाता से प्रकाशित होने वाले ‘आनंद बाजार पत्रिका’ आर ‘स्टेट्समैन’ समेत कई अखबारों ने प्रमुखता से छापीं.

Posted by: Pritish Sahay

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