25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जाति जनगणना से विषमता होगी दूर

Advertisement

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की राजनीतिक पार्टियां प्रधानमंत्री से अनुरोध कर चुकी हैं कि जातिगत जनगणना से समाज में समानता उत्पन्न होगी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पांच राज्यों में अगले वर्ष चुनाव होने हैं. राजनीतिक हलचलों के साथ जातिगत जनगणना की मांग भी जोर पकड़ रही है. आंध्र प्रदेश में विधानसभा से कानून बनाकर सभी नामित पदों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा पहले ही वंचित समूह वर्गों के लिए आरक्षित की जा चुकी है. इससे पूर्व अक्तूबर माह में तेलंगाना विधानसभा द्वारा भी प्रस्ताव पास कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की गयी है.

- Advertisement -

दोनों राज्यों द्वारा पारित प्रस्ताव में 1931 की जनगणना को त्रुटिपूर्ण एवं जाति विद्वेष पर आधारित माना गया है. तमिलनाडु एवं ओडिशा की विधानसभा में पहले ही इस प्रकार के प्रस्ताव पारित हैं. पिछले दिनों बिहार विधानसभा के लगभग सभी प्रमुख दलों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर ऐसा ही आग्रह किया है. बिहार राज्य जनगणना की शुरुआत कर बिहार विधानसभा इस आशय का प्रस्ताव पास करने वाला प्रथम राज्य है. यह संभावित है कि जातिगत जनगणना का प्रारंभ बिहार से हो सकता है.

व्यावहारिक समझदारी का नतीजा है कि केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी को राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सेंट्रल कोटा किये जाने पर कहीं विरोध के स्वर सुनाई नहीं दिये. एमबीबीएस कोर्स में ओबीसी की 1713 और पीजी कोर्स में 2500 सीटें बढ़ी हैं. गरीब वर्ग के लिए भी 10 प्रतिशत कोटा अलग से आवंटित हुआ है, जिस पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले नगण्य हैं.

आरक्षण विरोधी आंदोलन 1990 में जब चरम पर था, उस समय वीपी सिंह सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत कोटे की घोषणा की गयी थी. आरएसएस संगठन के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने जाति आधारित आरक्षण को स्वीकार कर इस विरोध को कुंद कर दिया. उनके अनुसार यह सकारात्मक है और जब तक समाज का एक वर्ग असमानता का अनुभव करता है तब तक इसे जारी रखना चाहिए. केंद्रीय मंत्री परिषद के बदलाव में 35 प्रतिशत पिछड़ों की साझेदारी एक प्रगतिशील कदम है जिसका सर्वत्र स्वागत किया गया है.

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की राजनीतिक पार्टियां प्रधानमंत्री से अनुरोध कर चुकी हैं कि जातिगत जनगणना से समाज में समानता उत्पन्न होगी. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विकास के लेखे-जोखे का भी बिंदुवार विश्लेषण कर सकते हैं कि ‘सबका साथ सबका विकास’ सिद्धांत में कुछ वर्ग पिछड़ तो नहीं गये. एक आरटीआइ के अनुसार, पिछले वर्ष देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में पिछड़े वर्ग से किसी प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर का चयन नहीं हुआ है.

नि:संदेह 50 प्रतिशत से अधिक आबादी में कुंठा एवं रोष पैदा होना स्वाभाविक है. जातिगत जनगणना के विरोधी तर्क करते हैं कि इससे समाज में खाई और कटुता पैदा होगी, जबकि असमानता से उत्पन्न निराशा और आक्रोश पहले से ही विद्यमान है. आरक्षण का मकसद रहा है कि जिन जातियों, समुदायों, कार्य समूहों को सदियों से उसके जातीय ढांचे में बांधकर उनके काम आरक्षित कर दिये गये हैं उन्हें भी समान नागरिक के रूप में जीने, प्रशासन में उचित हिस्सेदारी और शिक्षा में उचित भागीदारी मिल सके.

मंडल कमीशन की सिफारिश लागू हुए 28 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस दौरान पिछड़ा वर्ग मेहनत एवं कौशल से सफलता की ओर निरंतर अग्रसर है. परीक्षा में ओबीसी छात्र कीर्तिमान रच रहे हैं. इन सब उत्साहवर्धक कार्यवाही के बाद भी केंद्रीय मंत्रालयों में महज 5.40 प्रतिशत ओबीसी अधिकारी हैं. हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री से संयुक्त सचिव की नियुक्ति शुरू की है, जिससे पिछड़ा वर्ग एवं दलित समाज आरक्षण को लेकर सशंकित है. आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक उपक्रमों का अंधाधुंध निजीकरण जारी है और नये संस्थानों में किसी भी प्रकार के आरक्षण की प्रक्रिया गैर हाजिर है.

जातिगत जनगणना का विरोध हो रहा है. कभी डॉ आंबेडकर, तो कभी सरदार पटेल को उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछड़ों के आरक्षण को संवैधानिक मान्यता मिलने के बाद भी जाति अाधारित आरक्षण पर टीका-टिप्पणी जारी है. नीतीश कुमार की भी आलोचना जारी है कि वे लोहिया के अनुयायी होते हुए कैसे जाति आधारित जनगणना की मांग का नेतृत्व कर सकते हैं. डॉ आंबेडकर के बाद जाति व्यवस्था पर सबसे कटु प्रहार डॉ लोहिया ने किया है कि किस प्रकार लंबी गुलामी की वजह भारत की जातीय व्यवस्था है, 90 प्रतिशत से अधिक आबादी को राष्ट्रीयता और उसके सुरक्षा बोध से वंचित रखा गया.

डॉ लोहिया राय रख चुके हैं कि छोटी जाति वालों को ऊंची जगहों पर बैठाओ, उसके बिना तो कुछ आने-जाने वाला नहीं है, योग्यता की बराबरी की जो बहस चली है कभी हिंदुस्तान में जात-पात को तोड़ नहीं सकती इसलिए अब योग्यता की बराबरी छोड़कर विशेष अवसर के ऊपर हिंदुस्तान की रचना करनी होगी. वर्ग में समानता की इच्छा व्यक्त होती है और वर्ण में न्याय की. वर्ग अस्थिर जाति है और जाति स्थिर वर्ग. जन्म के आधार पर वर्गीकरण और उसे धर्म की स्वीकृति, यह जाति के आवश्यक लक्षण हैं.

केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिये गये हलफनामे के बाद यह स्वीकार करने में कठिनाई महसूस हो रही है कि 2011 की जातिगत जनगणना में गलतियां और अशुद्धियां थीं. हलफनामे में ओबीसी गणना को प्रशासनिक रूप से अत्यंत जटिल माना गया है. वहीं दूसरी ओर पिछड़े वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिए गठित जस्टिस जी रोहिणी कमीशन की रपट भी लगभग तैयार है जिसमें वंचित समूहों के सशक्तीकरण हेतु कोटा तय कर वर्गीकरण किया जाना शेष है.

इस प्रक्रिया की संपूर्णता हेतु भी इन वर्गों के जातीय आंकड़े उपलब्ध करने हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी की 2016 में हुई बैठक में रजिस्ट्रार जनरल ने सूचित किया है कि 98.8 के करीब व्यक्तिगत, जाति और धर्म के आंकड़े त्रुटिपूर्ण नहीं हैं, 118 करोड़ लोगों पर यह सर्वे जब किया गया था.

बिहार, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और तमिलनाडु की सरकारों के सर्वम्मत प्रस्ताव आ चुके हैं. इस दिशा में बिहार के मुख्यमंत्री के सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद का यह वक्तव्य महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने उनकी मांग को अस्वीकार किया है. राज्य सरकारें भी सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगी. अगले माह से क्रमबद्ध सुनवाई होनी अभी बाकी है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें