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Kundli Matching for Marriage: आपकी कुंडली खोलेगी राज, जानें कहीं एक से ज्यादा विवाह का तो नहीं है योग

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Kundli Matching for Marriage: जातक की जन्मकुंडली का सटीक विश्लेषण किया जाए तो यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि संबंधित स्त्री या पुरुष की कितनी पत्नी या कितने पति होंगे. क्या जातक एक से अधिक विवाह करेगा और करेगा तो किन परिस्थितियों में करेगा.

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Kundli Matching for Marriage: विवाह और संबंधों का कारक ग्रह बृहस्पति होता है. विवाह संबंधों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति देखी जाती है. उसके साथ अन्य ग्रहों की युति से स्त्री या पुरुष संख्या का पता लगाया जा सकता है.

(1) सप्तम स्थान जीवनसाथी का भाव होता है. इस स्थान में यदि बृहस्पति और बुध साथ में बैठे हों तो व्यक्ति की एक स्त्री होती है. यदि सप्तम में मंगल या सूर्य हो तो भी एक स्त्री होती है.

(2)लग्न का स्वामी और सप्तम स्थान का स्वामी दोनों यदि एक साथ प्रथम या फिर सप्तम स्थान में हों तो व्यक्ति की दो पत्नियां होती हैं. उदाहरण के लिए यदि लग्न सिंह हो तो उसका स्वामी सूर्य हुआ और सप्तम स्थान कुंभ का स्वामी शनि हुआ. यदि सूर्य और शनि दोनों प्रथम या सप्तम स्थान में हों तो दो स्त्रियों से विवाह होता है. या स्त्री की कुंडली है तो दो विवाह होते हैं. ऐसा समझना चाहिए.

(3)सप्त स्थान के स्वामी के साथ मंगल, राहु, केतु, शनि छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो एक स्त्री की मृत्यु के बाद व्यक्ति दूसरा विवाह करता है.

(4) यदि सप्तम या अष्टम स्थान में पापग्रह शनि, राहु, केतु, सूर्य हो और मंगल 12वें घर में बैठा हो तो व्यक्ति के दो विवाह होते हैं.

(5) लग्न, सप्तम स्थान और चंद्रलग्न इन तीनों में द्विस्वभाव राशि यानी मिथुन, कन्या, धनु या मीन हो तो जातक के दो विवाह होते हैं.

(6)लग्न का स्वामी 12वें घर में और द्वितीय घर का स्वामी मंगल, शनि, राहु, केतु के साथ कहीं भी हो तथा सप्तम स्थान में कोई पापग्रह बैठा हो तो जातक की दो स्त्रियां होती हैं. स्त्री की कुंडली में यह फल पुरुष के रूप में लेना चाहिए.

(7)शुक्र पापग्रह के साथ हो तो जातक के दो विवाह होते हैं.

(8)धन स्थान यानी दूसरे भाव में अनेक पापग्रह हों और द्वितीस भाव का स्वामी भी पापग्रहों से घिरा हो तो तीन विवाह होते हैं.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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