23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

SKM का ऐलान- 11 दिसंबर को विजय दिवस मनाकर घर लौटेंगे किसान, योगेंद्र यादव बोले- खत्म नहीं हुआ आंदोलन

Advertisement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब किसानों ने भी देश की जनता से माफी मांगते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी मोर्चाबंदी को खत्म करने का ऐलान कर दिया है. किसान आंदोलन का अब तक का पूरा विवरण पढ़ें...

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली: संसद से पारित तीन कृषि कानूनों (Farm Laws 2020) को रद्द करने की मांग पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने एक साल पहले जो मोर्चाबंदी शुरू की थी, उसे वापस ले लिया है. गुरुवार को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने यह ऐलान किया.

- Advertisement -

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं. इसलिए आंदोलन को अभी स्थगित किया जा रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है. हालांकि, किसान नेताओं ने कहा कि 11 दिसंबर को विजय दिवस मनाकर सभी किसान संगठन के लोग अपने-अपने घरों को लौटना शुरू कर देंगे.

संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन को स्थगित करने के लिए बुलायी गयी बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानून लाकर देश के किसानों को एकजुट कर दिया. किसान नेताओं ने उनके आंदोलन की वजह से लोगों को हुई परेशानी के लिए देश की आम जनता से माफी भी मांगी.

  • सितंबर 2020 में संसद ने पास किये थे तीन कृषि कानून

  • 19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कानूनों को वापस लेने की घोषणा की

  • कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव संसद से हो चुका है पास

किसान नेता अशोक ने कहा कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन की जीत हुई है. 75 साल में इस तरह का किसान आंदोलन पूरे भारत में नहीं हुआ. पूरी दुनिया में कहीं ऐसा आंदोलन नहीं हुआ. अहंकारी सरकार को तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा. ये कानून जनता और किसानों के खिलाफ थे. कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लिए कानून बनाये गये थे.

Also Read: कृषि कानूनों की वापसी पर भाकियू अध्‍यक्ष नरेश टिकैत का बड़ा बयान, कहा- आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे किसान

उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के किसानों को हम धन्यवाद देते हैं. किसानों का आंदोलन किसान एकता की सबसे बड़ी मिसाल है. किसानों की जीत से पूरे देश की जनता के मन में विश्वास आया है कि अगर हम अपनी मांगों के समर्थन में लड़ेंगे, तो जरूर जीतेंगे, जैसे किसान जीते हैं.

इस तरह सरकार और किसानों के बीच बनी सहमति

किसान नेता योगेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से बताया कि सरकार के साथ किस तरह से उनकी सहमति बनी. 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया गया और 9 दिसंबर को किसानों ने अपने आंदोलन को स्थगित करने और मोर्चाबंदी को खत्म करने का ऐलान कर दिया.


19 नवंबर से 9 दिसंबर तक का घटनाक्रम

  • 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के दिन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. उन्होंने किसानों से माफी भी मांगी.

  • 21 नवंबर को किसानों ने चिट्ठी लिखकर सरकार को अपने मुद्दों से अवगत कराया.

  • 7 दिसंबर को सरकार की ओर से किसानों के पास पहला जवाब आया. किसानों ने सरकार से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा, जवाब मांगा.

  • 8 दिसंबर को सरकार की ओर से उन बिंदुओं पर जवाब आया. सरकार की ओर से आयी चिट्ठी पर किसान मोर्चा ने विस्तार से चर्चा की.

  • 9 दिसंबर को सरकार की ओर से फिर एक चिट्ठी मिली. दोनों चिट्ठियों में मामूली अंतर है. किसान नेताओं ने कहा कि कभी किसी की 100 फीसदी मांगें पूरी नहीं होती. किसानों के बड़े हित के लिए छोटे मुद्दों को छोड़ दिया गया है. किसानों ने वापसी का ऐलान कर दिया.

कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी की खास बातें

  1. हजारों किसानों के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में केस दर्ज किया गया था. सरकार ने पहले कहा था कि पहले आंदोलन वापस लें किसान, फिर केस वापस लेंगे. किसानों ने उसे खारिज कर दिया. अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश की सरकारों ने तत्काल प्रभाव से मुकदमों को वापस लेने की घोषणा कर दी है.

  2. भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियां दिल्ली समेत सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में किसान आंदोलन से संबंधित सभी मुकदमों को वापस लेगी.

  3. मुआवजा पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार की सैद्धांतिक सहमति मिल गयी है. योगेंद्र यादव ने बताया है कि सरकार ने यहां तक कह दिया है कि किसान चंडीगढ़ आयें, मुआवजा मिल जायेगा.

  4. योगेंद्र यादव ने मीडिया को बताया कि सरकार ने लिखित में मान लिया है कि बिजली बिल पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा के बाद ही बिल संसद में पेश किया जायेगा.

  5. एमएसपी पर पीएम ने कहा था कि कमेटी बनेगी. उसी कमेटी की घोषणा की गयी है. पहले सरकार मौखिक कह रही थी. अब सरकार ने लिखित में भी दे दिया है.

  6. देश में एमएसपी पर खरीद की अभी की स्थिति को जारी रखी जायेगी. हरियाणा और पंजाब के किसानों को इस पर संशय था.

  7. पराली पर सरकार ने स्पष्ट किया है कि 5 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये जुर्माना का प्रावधान था. सरकार पहले ही इसे वापस ले चुकी है.

Also Read: किसानों को भाया मोदी सरकार का प्रस्ताव, दिल्ली से लौटेंगे प्रदर्शन करने वाले अन्नदाता, SKM ने कही यह बात
आंदोलन खत्म नहीं हुआ, संघर्ष बाकी है: योगेंद्र यादव

योगेंद्र यादव ने मीडिया को बताया कि 11 दिसंबर से देश भर में हम विजय दिवस मनाकर पूरे देश से (दिल्ली के सभी मोर्चा खत्म कर देंगे) मोराच हटा लेंगे. योगेंद्र यादव ने कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, एमएसपी का संघर्ष बाकी है. उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी के गुनहगार अब भी कैबिनेट में बैठे हैं.

किसानों ने तीन चीजें हासिल की

योगेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के रूप में किसानों को 70 साल बाद एक मंच मिला है. एक महीने बाद हम फिर मिलेंगे. समीक्षा करेंगे कि सरकार ने अपने वादे पूरे किये या नहीं. उसके बाद अपने संघर्ष को कैसे आगे ले जाना है, उस पर फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में किसानों ने तीन काले कानून तो रद्द करवा ही लिये, तीन नयी चीजें भी हासिल कीं.

  • किसान ने अपना खोया हुआ आत्मसम्मान हासिल किया है.

  • किसानों ने एकता बनायी.

  • किसानों ने अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराया है.

अतीत में नहीं, वर्तमान और भविष्य में विश्वास करता है किसान

योगेंद्र यादव ने कहा कि एक साल में हिंदुस्तान के किसानों ने दिखा दिया है कि हम अतीत में नहीं, देश के वर्तमान और भविष्य में विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा कि 11 दिसंबर को विजय दिवस मनाकर हम मोर्चाबंदी खत्म कर देंगे. योगेंद्र यादव ने यह भी कहा कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है. एमएसपी पर हमारा संघर्ष जारी है.

Posted By: Mithilesh Jha

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें