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यूपी के बदलापुर ने की ब्राह्मणों की चिंता तो किसी ने थामा फरसा, कोई एक्सीडेंटल हिंदू को कर बैठा याद

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यूपी में ब्राह्मण 12 फीसदी हैं. 12 फीसदी वोटबैंक सबसे बड़े गेमचेंजर में से एक है. पूर्वांचल के भूमिहार ब्राह्मण कहलाने वालों को इसमें जोड़ दें तो ब्राह्मणों की संख्या 14 से 15 प्रतिशत हो जाएगी.

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UP Badlapur Politics: 2015 में बॉलीवुड में फिल्म आई. नाम था- बदलापुर. टिपिकल मसाला फिल्म. मार-धाड़, रोमांस और बदले की कहानी पर बेस्ड. उत्तर प्रदेश का रूख करेंगे तो आपको एक शहर मिलेगा. नाम है बदलापुर. यह जौनपुर जिले में है. आज कल बदलापुर में राजनीति की बिसात पर एक-दूसरे को मात देने की सियासी चाल चली जा रही है. मोहरे बन रहे हैं उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण. यूपी में ब्राह्मण 12 फीसदी हैं. 12 फीसदी वोटबैंक सबसे बड़े गेमचेंजर में से एक है. पूर्वांचल के भूमिहार ब्राह्मण कहलाने वालों को इसमें जोड़ दें तो ब्राह्मणों की संख्या 14 से 15 प्रतिशत हो जाएगी.

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‘हिंदुत्व से पहले ब्राह्मणों की करें चिंता’

बदलापुर का जिक्र इसलिए कि यहां हुए ब्रह्मदेश समागम ने यूपी की सियासत की दशा-दिशा बदलने की ठानी है. बदलापुर के कड़ेरेपुर गांव में हुए ब्रह्मदेश समागम में ब्राह्मणों के हितों पर मंथन हुआ. इसमें पूर्व विधायक ओमप्रकाश बाबा ने दावा किया- हिंदुत्व की रक्षा पर बयानबाजी की जा रही है. ब्राह्मण की रक्षा सबसे पहले जरूरी है. ब्राह्मणों की रक्षा पर चिंतन-मंथन करना पहली प्राथमिकता होना चाहिए.

ब्राह्मण वोटबैंक और एक्सीडेंटल हिंदू…

बदलापुर के ब्रह्मदेश समागम में जिक्र हुआ कि किसान और ब्राह्मण दोनों राजनीति में हाशिए पर हैं. बदलापुर से उठी ब्राह्मणों पर मंथन-चिंतन की आवाज को राजनीति दलों ने कैच और कैश कर लिया है. सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ अमेठी में थे. इस दौरान सीएम योगी ने जनसभा को संबोधित किया. तेवर के अनुरूप सीएम योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी के हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी बयान पर तंज कसे. सीएम योगी ने कहा- उनके पूर्वजों ने खुद को एक्सीडेंटल हिंदू कहा था. अब, बच्चे जनेऊ लेकर खुद को ब्राह्मण कहने लगे हैं. सीएम योगी ने अपने बयान से कहीं ना कहीं हिंदू और ब्राह्मण वोटबैंक को गोलबंद करने की कोशिश की है. आखिर सीएम योगी ऐसा क्यों कर रहे हैं?

‘यादव’ जी के हाथ में परशुराम का फरसा

अब जवाब पढ़िए. अगर उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखें तो अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. यात्राओं, जनसभाओं और रैलियों का शोरगुल जारी है. अल्पसंख्यकों के आसरे सत्ता की चाबी हासिल करने वाले नेता भी मंदिरों के फेरे लगाकर सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट कर रहे हैं. कई नेताओं ने रातोंरात खुद के इमेज को ब्राह्मणवादी करार किया है. इसमें सबसे बड़ा नाम है अखिलेश यादव का. रविवार को अखिलेश यादव भगवान परशुराम के फरसा के साथ ट्विटर पर प्रकट हुए थे. उन्होंने सवर्ण यात्रा निकालने का ऐलान किया है. काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के वक्त भी अखिलेश यादव ने कहा था कि उनकी सरकार में काम शुरू हुआ था. अयोध्या पर भी वो बीजेपी को घेर चुके हैं.

सपा से लेकर बसपा तक ब्राह्मणों के पीछे

अखिलेश यादव बीजेपी के कोर वोटर्स पर निशाना साध रहे हैं. इसमें ब्राह्मण वोटर्स सबसे बड़े हैं. पूर्वांचल की राजनीति में रसूख रखने वाले सबसे बड़े तिवारी परिवार को भी सपा से जोड़कर अखिलेश यादव ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है. इसके पहले साल 2019 और 20 में सपा ने 57 जिलों में कार्यक्रम किए थे. करीब 22 जिलों में परशुराम की मूर्तियां भी स्थापित की जा चुकी हैं. बसपा भी ब्राह्मणों के वोट पर सेंध लगाने की कोशिश में हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन किया. ब्राह्मणों से साथ देने की अपील की. मायावती ने कहा था कि बसपा में ही ब्राह्मणों को सम्मान मिलेगा.

बसपा के सोशल इंजीनियरिंग का भी जादू?

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटबैंक देखें तो इनके आसरे 2007 में मायावती सत्ता के शीर्ष पर पहुंची थी. साल 2007 में मायावती और बसपा के लिए सतीश चंद्र मिश्रा ने सोशल इंजीनियरिंग का सुपरहिट फॉर्मूला बनाया. इसमें दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण थे. साल 2012 में बसपा के सोशल इंजीनियरिंग की हवा निकली.

इस साल उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं. बहुजन समाज वाली मायावती को ब्राह्मणों की याद आई है. अखिलेश यादव भी परशुराम के आसरे खुद को ब्राह्मणों से कनेक्ट कर रहे हैं. दूसरी तरफ बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता प्रभु श्रीराम और काशी विश्वनाथ धाम का नाम लेकर ब्राह्मणों (हिंदू भी) से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अब, चलते-चलते बात करते हैं बदलापुर की. बदलापुर से ब्राह्मणों के लिए चिंतन और मंथन की बात की गई. क्या बदलापुर यूपी की राजनीति बदल देगा? जवाब के लिए इंतजार करिए.

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