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UP Election 2022: भाजपा व कांग्रेस के चुनाव चिन्ह को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, सपा सदस्य की थी कोशिश

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याचिका में 19 सितंबर 1989 व 23 सितंबर 1989 के चुनाव आयोग के दो आदेशों को चुनौती दी गई थी. इन दोनों आदेशों के द्वारा भाजपा व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया था व दोनों के चुनाव चिन्ह आरक्षित किये गए थे.

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Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भाजपा व कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिए जाने व उक्त दोनों राजनीति दलों के लिए कमल का फूल व हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह आरक्षित किए जाने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका को समाजवादी पार्टी (सपा) के एक सदस्य द्वारा दाखिल किया गया था.

जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सरोज यादव की बेंच ने सपा सदस्य शेषमणि त्रिपाठी द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है. बता दें कि याचिका में 19 सितंबर 1989 व 23 सितंबर 1989 के चुनाव आयोग के दो आदेशों को चुनौती दी गई थी. इन दोनों आदेशों के द्वारा भाजपा व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया था व दोनों के चुनाव चिन्ह आरक्षित किये गए थे.

इस बाबत याची का कहना था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव आयोग के पास ऐसा आदेश जारी करने की शक्ति ही नहीं है. कोर्ट ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि याची ने वर्तमान याचिका जनहित याचिका के तौर पर दाखिल की है जबकि वह समाजवादी पार्टी का सदस्य है. यही नहीं इस मामले में भाजपा व कांग्रेस को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि याची ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत चुनाव आयोग के पास ऐसी किसी शक्ति के न होने का आधार लिया है. उक्त दोनों आदेश अलॉटमेंट ऑर्डर, 1989 व कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के तहत पारित किए गए हैं. कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को मिथ्या याचिका करार देते हुए खारिज कर दिया.

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