25.7 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 11:30 am
25.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बाबा मंदिर में गंगाजल से बनने वाली खिचड़ी भोग की परंपरा है वर्षों पुरानी, जानें इसकी महत्ता

Advertisement

jharkhand news: बाबा मंदिर में खिचड़ी भोग की परंपरा वर्षों पुरानी है. मकर संक्रांति से शुरू होकर एक माह तक खिचड़ी का विशेष भोग लगेगा. पुजारी परिवार बिना अन्न-जल ग्रहण किये गंगाजल से इस विशेष खिचड़ी को बनाते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jharkhand news: देवघर के बाबा मंदिर की पूजा परंपरा के निर्वहन के लिए पुरोहित समाज के दो परिवारों काे अधिकार दिया गया है. इसमें पहला ओझा परिवार व दूसरा शृंगारी परिवार हैं. अहले सुबह पट खुलने से लेकर दिन के 11 बजे तक ओझा परिवार के द्वारा ही सभी पूजा-पाठ किये जाते थे. उसके बाद पट बंद होने तक श्रृंगारी परिवार के द्वारा परंपरा का निवर्हण किया जाता था. ये परंपरा मंदिर के महंत के द्वारा बनायी गयी थी.

- Advertisement -

बाबा बैद्यनाथ के दैनिक शृंगार पूजा को भी शृंगारी परिवार के द्वारा ही किया जाता था. साथ मंदिर के हर तरह के भोग खासकर खिचड़ी, अद्रा आदि बनाने से लेकर भोग लगाने की जिम्मेवारी भी शृंगार परिवार के द्वारा ही की जाती थी. वहीं, बहुत साल पहले ओझा परिवार से कुछ विवाद होने के बाद बाबा की शृंगार पूजा भी ओझा परिवार के द्वारा की जाने लगी. यह जानकारी शृंगारी परिवार से जानकार पंडित नुनु बेटा श्रृंगारी ने दी.

चार परिवार से अब हो गये हैं सैकड़ों परिवार

पंडित जी ने बताया कि पूर्व में राजाराम गुमास्ता, सीताराम गुमास्ता, मणी गुमास्ता तथा बुलांकी गुमास्ता जिसके वंशज शालीग्राम पंडा कहलाते हैं, इन परिवारों के द्वारा ही बाबा मंदिर के सारे भोग बनाने की जिम्मवारी थी. उसमें भी परंपरा के अनुसार जिस शृंगारी परिवार के द्वारा मंदिर पट बंद होने के समय बाबा को कांचा जल अर्पित करने की बारी होती है, भोग भी उन्हीं को बनाना व लगाना होता है, जो आजतक जारी है. वर्तमान में चार घर से सैकड़ों घर हो गये हैं, सबकी अपनी-अपनी बारी होती है.

Also Read: मकर संक्रांति में भोलेनाथ पर चढ़ा तिल, मंदिर में दिखा कोरोना संक्रमण का असर, नहीं बिके शीघ्रदर्शनम कूपन
बिना अन्न-जल ग्रहण किये ही बनाना होता है भोग

बाबा को लगने वाले इस मौसमी भोग को पुजारी परिवार बिना अन्न-जल ग्रहण किये ही बनाते हैं. वहीं, इस भोग में सामान्य जल का उपयोग नहीं होता है. गंगाजल से ही खिचड़ी बनायी जाती है. इस सात्विक भोग को श्री यंत्र में अलग-अलग भगवान को अलग-अलग पत्ते में परोस कर भोग अर्पित करने की परंपरा है.

पहला भोग ओझा परिवार के द्वारा बनाया गया

शृंगारी परिवार में छुतका होने के कारण खचड़ी का भोग शुक्रवार को पहले दिन ओझा परिवार से जरुवाडीह निवासी मनोज झा ने बनाया तथा मल्लू झा ने भोग लगाया. शृंगारी परिवार में छुतका खत्म होने तक ओझा परिवार के द्वारा ही भोग बनाने की परंपरा का निर्वहन किया जायेगा.

रिपोर्ट : संजीव मिश्रा, देवघर.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें