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UP Chunav 2022: चौधरी चरण सिंह के परिवार का छपरौली से है खास रिश्ता, हर लहर में अछूता रहा वोटर्स का मूड

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छपरौली सीट का राजनीतिक इतिहास और महत्व बेहद खास है. इस सीट पर अंग्रेजों के शासन के समय से ही चौधरी चरण सिंह का वर्चस्व शुरू हुआ, जो आज भी कायम है.

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UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की छपरौली सीट से चौधरी चरण सिंह के परिवार ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है. बागपत जिला दिल्ली और हरियाणा से सटा हुआ है. छपरौली सीट का राजनीतिक इतिहास और महत्व बेहद खास है. इस सीट पर अंग्रेजों के शासन के समय से ही चौधरी चरण सिंह का वर्चस्व शुरू हुआ, जो आज भी कायम है. छपरौली में पहले चरण में 10 फरवरी को वोटिंग होगी.

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छपरौली सीट का सियासी इतिहास

  • 1937 से लेकर 2017 तक हमेशा चौधरी चरण सिंह परिवार या उनका कैंडिडेट चुनाव जीता है.

  • पूर्व पीएम और यूपी के पूर्व सीएम चौधरी चरण सिंह ने अंग्रेजी शासन में राजनीतिक करियर शुरू किया.

  • 35 साल की उम्र में 1937 में उन्होंने पहली बार छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव जीता.

  • 1977 तक लगातार 30 साल चौधरी चरण सिंह छपरौली से विधायक चुने गए.

  • चौधरी चरण सिंह की बेटी सरोज 1985 और बेटे अजित सिंह भी 1991 में विधायक बने.

  • चौधरी चरण सिंह की मौत के बाद अजित सिंह को उनकी सियासी विरासत मिली.

  • अजित सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल बनाई तो छपरौली ने उनका साथ दिया.

  • 2002 से 2017 तक यहां लगातार रालोद का कैंडिडेट जीता है.

  • अजित सिंह के निधन के बाद उनके बेटे जयंत चौधरी सियासी विरासत संभाल रहे हैं.

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छपरौली के मौजूदा विधायक

  • 2017 में रालोद के रहेंद्र सिंह रामला ने बीजेपी कैंडिडेट सतेंद्र सिंह को हराकर चुनाव जीता था.

छपरौली के मतदाताओं का मिजाज

  • यहां ना कोई लहर काम करती है और ना ही किसी हवा में यहां का रुख बदलता है.

छपरौली में जातिगत समीकरण

  • जाट- 1.30 लाख

  • मुस्लिम- 60 हजार

  • कश्यप- 25 हजार

  • दलित- 20 हजार

  • गुर्जर: 15 हजार

छपरौली विधानसभा में मतदाता

  • कुल मतदाता- 3,33,078

  • पुरुष- 1,84,455

  • महिला- 1,48,619

  • थर्ड जेंडर- 4

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