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Saraswati Puja: कोरोनाकाल में लगी पाबंदियां, भगवान भरोसे अब मूर्ति कलाकार, पूंजी फंसी तो साझा किया दर्द..

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कोरोनाकाल में पाबंदियो के बीच मनाये जा रहे सरस्वती पूजा 2022 को लेकर इसबार विशेष निर्देश जारी किये गये हैं. स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों के बंद रहने के कारण मूर्ति कलाकारों पर इसका असर पड़ा है.

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ठाकुर शक्तिलोचन, पटना: सरस्वती पूजा 2022 को लेकर इसबार पहले की तरह रौनक नहीं रहेगी. बिहार में कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने कई पाबंदिया लागू की है. किसी भी समारोह को अनुमति के बाद ही गाइडलाइन के नियमों के तहत ही आयोजित किया जा सकता है. सरस्वती पूजा समारोह भी इसबार निर्देशों के तहत ही आयोजित किये जाएंगे. वहीं इसका असर मूर्ति कलाकारों पर काफी अधिक पड़ा है. प्रभात खबर की एक रिपोर्ट…

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बिहार में कोविड गाइडलाइन्स के तहत स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे. फिलहाल 5 फरवरी तक के लिए आदेश लागू हैं. सरस्वती पूजा को विद्यार्थियों का उत्सव अधिक देखने को मिलता है. छोटे से लेकर बड़े स्तर के शिक्षण संस्थानों में इसका आयोजन होता है. छात्र काफी उमंग के साथ मूर्तियां बैठाते हैं. वहीं इस बार शिक्षण संस्थान बंद रहने के कारण मूर्ति कलाकार बेहद मायूस हैं.

पटना के कुर्जी इलाके में दशकों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे कलाकार ने प्रभात खबर से बातचीत के दौरान अपनी परेशानी बताया. कहा कि इस बार मायूसी के साथ मूर्ति तैयार कर रहे हैं. एक तो कोरोना को लेकर स्कूल, कॉलेज और कोचिंग वगैरह बंद रहे. सरस्वती पूजा विद्यार्थियों का ही होता है. हर साल स्कूल-कॉलेज से काफी आर्डर आते थे लेकिन इसबार सब सूना है.

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मूर्ति कलाकार मनोज पंडित ने बताया कि पहले से अगर निर्देश जारी कर दिये जाते तो बड़ी मूर्ति में हमलोग पैसा नहीं फंसाते. हमने पहले से उधार वगैरह लेकर श्रृंगार के लिए कलकत्ता में आर्डर दे दिये. लेकिन अब वो किसी काम का नहीं है और पैसा भी वापस नहीं आ सकता. कुल मिलकार हमलोग फंस चुके हैं. बता दें कि 31 जनवरी को पटना जिला प्रशासन ने यह फैसला लिया कि इस बार स्कूल, कॉलेजों में पूजा की अनुमति नहीं रहेगी. मंदिरों में भी आम लोगों के लिए पूजा की अनुमति नहीं मिलेगी. वहीं परमिशन के बाद सशर्त छोटे स्तर पर ही आयोजन होंगे.

मनोज पंडित ने बताया कि ये खटाल 1962 से है. हमलोग इसी पेशा पर आश्रित हैं. कभी दादा विंदेश्वरी पंडित ने किया फिर पिता देवलाल पंडित और अब हमारी पीढ़ी. लेकिन बेहद निराश हो चुके हैं. आलम ये है कि पूंजी फंसने के बाद अब बच्चों का नाम भी स्कूल से कटवाना पड़ेगा.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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