21.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 11:45 am
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि 1 मार्च को, शिव को गलती से भी न चढ़ाएं ये चीजें, जानें कारण

Advertisement

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस बार महाशिवरात्रि का 1 मार्च, मंगलवार को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि पर इन चीजों से न करें शिव की पूजा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 1 मार्च (Maha Shivratri 1 march) को रखा जाएगा.

- Advertisement -

Maha Shivratri 2022: भगवान शिव को सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए

भगवान शिव को छोड़कर सिंदूर सभी देवी-देवताओं का प्रिय है. भगवान शिव को सिंदूर इसलिए नहीं चढ़ाया जाता है कि क्योंकि हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इसे लगाती है. वहीं भगवान शिव संहारक है. इसलिए भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने के बजाय चंदन का तिलक लगाना शुभ माना गया है.

हल्दी चढ़ाने से नाराज हो जाते हैं शिव

शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाते हैं. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है. इसी कारण धार्मिक रूप से शिवलिंग पर हल्दी लगाने या चढ़ाने से मना किया जाता है.

शंख से जल चढ़ाना शिव को नहीं भाता

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. इसलिए भगवान शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है. साथ ही शंख को असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से की जाती है.

इस कारण से शिव को नहीं चढ़ाते हैं तुलसी

शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था. जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है. लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा. अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था.इसी वजह से तुलसी का प्रयोग शिव पूजा करने की मनाही है.

केतकी का फूल भगवान शिव को प्रिय नहीं

भगवान शिव को केतकी के फूल नहीं चढ़ाये जाते हैं. इसके पीछे कथा बतायी जाती है जिसके अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है. ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे. तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ. दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो भी पहले इस लिंग के छोर का पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा. अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले. छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए. ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुंच गए थे. उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया. ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का एक सर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. तभी से भगवान शिव की पूजा में केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें