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बरेली सपा में चंदे पर रार, हाईकमान की फटकार के बाद प्रत्यशियों की लौटाई आधी अधूरी रकम

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Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में चंदे को लेकर रार मची हुई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव की जनसभा के नाम पर एकत्र चंदे की खींचतान का मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बरेली में जनसभा रद्द कर दी. सपा मुखिया की फटकार के बाद प्रत्याशियों से एकत्र की गई राशि में से आधी अधूरी राशि को लौटा दिया गया है, लेकिन कारोबारियों से ली गई राशि अभी तक नहीं लौटाई गई है. यह राशि करीब 15 लाख बताई जा रही है.

उत्तर प्रदेश के बरेली में पूर्व सीएम अखिलेश यादव की 10 फरवरी को जनसभा प्रस्तावित थी, लेकिन इस जनसभा के नाम पर बरेली के सभी नौ प्रत्याशियों से चार-चार लाख की रकम की मांग की गई थी. नौ में से दो प्रत्याशियों को छोड़कर बाकी सभी ने राशि जमा की. इसके साथ ही शहर के दाल, स्कूल, खनन और भू-माफियाओं से भी चंदा एकत्र किया गया था. यह वापस नहीं किया गया है. सपा में बसपा ट्रेंड के तहत चंदा वसूली का पुराने सपाइयों ने विरोध किया. जिसके चलते मामला हाईकमान तक पहुंच गया. क्योंकि, सपा में जनसभा से लेकर अन्य कार्यक्रम के लिए लखनऊ पार्टी कार्यालय से खर्चा आता है. लेकिन, पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम के नाम पर की गई वसूली का मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचा.

इसके बाद वह दो दिन बरेली में रहे, लेकिन, बरेली में कोई जनसभा रोड शो या बैठक नहीं की. सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चंदा वसूली करने वालों को फटकार लगाई. इसके बाद प्रत्याशियों से ली गई रकम को आधी-अधूरी वापस कर दिया गया है. प्रत्याशियों ने पूरी रकम मांगी, तो बोले, परमिशन और खाने में खर्च हो गई है. इसका बिल दिखा देंगे.

कोषाध्यक्ष को नहीं मालूम कहां से आया चंदा

संगठन में चंदा एवं पार्टी से आने वाली रकम का संग्रह कोषाध्यक्ष के पास होता है. लेकिन, इस बार बरेली सपा के कोषाध्यक्ष रविंद्र यादव को कोई जानकारी नहीं दी गई. उनके पास धन भी नहीं रखा गया. इससे भी मामला संदिग्ध होता चला गया. वोट बढ़ने के बजाय, कम हो गए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक महत्वपूर्ण पद एक समाज के नेता को जिम्मेदारी दी थी. जिससे उस समाज के वोट बढ़ें. इससे प्रत्याशियों को फायदा मिलेगा, लेकिन इससे यादव समाज भी नाराज हो गया, लेकिन वह अपने समाज के वोट भी सपा को नहीं दिलवा पा रहे हैं. जो वोट मिल रहे हैं, वह प्रत्याशियों की कोशिश से मिल रहे हैं.

पार्टी से जुड़े मतदाताओं से ही झगड़े, वह भी खफा

पार्टी के प्रमुख पद के एक प्रत्याशी अपने समाज के मतदाताओं के बीच गए थे. यह लोग सपा को वोट दे रहे थे, लेकिन वहां फोटो सांसद धर्मेन्द्र कश्यप का लगा था. इससे वह खफा हो गया. कहासुनी हुई. जिसके चलते सपा को मिलने वाले वोट भी भाजपा की तरफ चले गए.

प्रचार में पिछड़ी सपा

भाजपा के फ्लेक्स-होर्डिंग सभी प्रमुख जगह पर लगे हैं. लेकिन, सपा का एक भी नहीं है. भाजपा की उपलब्धियों और पीएम सीएम के फोटो के साथ लगे फ्लेक्स पर शहर में चर्चा है. इस पर प्रशासन के एक अधिकारी से पूछा गया. उन्होंने कहा कि सपा की तरफ से कोई भी परमिशन मांगने नहीं आया. भाजपा से आएं थे. उन्हें दे दी गई. सपा, बसपा और कांग्रेस से आता तो उन्हें भी देते.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में चंदे को लेकर रार मची हुई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव की जनसभा के नाम पर एकत्र चंदे की खींचतान का मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बरेली में जनसभा रद्द कर दी. सपा मुखिया की फटकार के बाद प्रत्याशियों से एकत्र की गई राशि में से आधी अधूरी राशि को लौटा दिया गया है, लेकिन कारोबारियों से ली गई राशि अभी तक नहीं लौटाई गई है. यह राशि करीब 15 लाख बताई जा रही है.

उत्तर प्रदेश के बरेली में पूर्व सीएम अखिलेश यादव की 10 फरवरी को जनसभा प्रस्तावित थी, लेकिन इस जनसभा के नाम पर बरेली के सभी नौ प्रत्याशियों से चार-चार लाख की रकम की मांग की गई थी. नौ में से दो प्रत्याशियों को छोड़कर बाकी सभी ने राशि जमा की. इसके साथ ही शहर के दाल, स्कूल, खनन और भू-माफियाओं से भी चंदा एकत्र किया गया था. यह वापस नहीं किया गया है. सपा में बसपा ट्रेंड के तहत चंदा वसूली का पुराने सपाइयों ने विरोध किया. जिसके चलते मामला हाईकमान तक पहुंच गया. क्योंकि, सपा में जनसभा से लेकर अन्य कार्यक्रम के लिए लखनऊ पार्टी कार्यालय से खर्चा आता है. लेकिन, पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यक्रम के नाम पर की गई वसूली का मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचा.

इसके बाद वह दो दिन बरेली में रहे, लेकिन, बरेली में कोई जनसभा रोड शो या बैठक नहीं की. सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चंदा वसूली करने वालों को फटकार लगाई. इसके बाद प्रत्याशियों से ली गई रकम को आधी-अधूरी वापस कर दिया गया है. प्रत्याशियों ने पूरी रकम मांगी, तो बोले, परमिशन और खाने में खर्च हो गई है. इसका बिल दिखा देंगे.

कोषाध्यक्ष को नहीं मालूम कहां से आया चंदा

संगठन में चंदा एवं पार्टी से आने वाली रकम का संग्रह कोषाध्यक्ष के पास होता है. लेकिन, इस बार बरेली सपा के कोषाध्यक्ष रविंद्र यादव को कोई जानकारी नहीं दी गई. उनके पास धन भी नहीं रखा गया. इससे भी मामला संदिग्ध होता चला गया. वोट बढ़ने के बजाय, कम हो गए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक महत्वपूर्ण पद एक समाज के नेता को जिम्मेदारी दी थी. जिससे उस समाज के वोट बढ़ें. इससे प्रत्याशियों को फायदा मिलेगा, लेकिन इससे यादव समाज भी नाराज हो गया, लेकिन वह अपने समाज के वोट भी सपा को नहीं दिलवा पा रहे हैं. जो वोट मिल रहे हैं, वह प्रत्याशियों की कोशिश से मिल रहे हैं.

पार्टी से जुड़े मतदाताओं से ही झगड़े, वह भी खफा

पार्टी के प्रमुख पद के एक प्रत्याशी अपने समाज के मतदाताओं के बीच गए थे. यह लोग सपा को वोट दे रहे थे, लेकिन वहां फोटो सांसद धर्मेन्द्र कश्यप का लगा था. इससे वह खफा हो गया. कहासुनी हुई. जिसके चलते सपा को मिलने वाले वोट भी भाजपा की तरफ चले गए.

प्रचार में पिछड़ी सपा

भाजपा के फ्लेक्स-होर्डिंग सभी प्रमुख जगह पर लगे हैं. लेकिन, सपा का एक भी नहीं है. भाजपा की उपलब्धियों और पीएम सीएम के फोटो के साथ लगे फ्लेक्स पर शहर में चर्चा है. इस पर प्रशासन के एक अधिकारी से पूछा गया. उन्होंने कहा कि सपा की तरफ से कोई भी परमिशन मांगने नहीं आया. भाजपा से आएं थे. उन्हें दे दी गई. सपा, बसपा और कांग्रेस से आता तो उन्हें भी देते.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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