24.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 07:53 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Shaheed Diwas 2022: आज मनाया जा रहा है शहीद दिवस,जानें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बारे में रोचक बातें

Advertisement

Shaheed Diwas 2022: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत को आजाद होने में मुख्य भूमिका निभाई थी. इनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. इन्हें 23 मार्च 1931 को सूली पर लटका दिया गया. आइए जानें इनके जीवन जुड़े कुछ अनजाने तथ्यों के बारे में

Audio Book

ऑडियो सुनें

आज यानी 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी. उन्हें लाहौर षड्यंत्र के आरोप में फांसी पर लटकाया गया.

- Advertisement -

एक दिन पहले ही दे दी गई थी फांसी की सजा

इन तीनों को फांसी दिए जाने की तारीख 24 मार्च 1931 तय की गई थी, लेकिन उससे एक दिन पहले ही यानी 23 मार्च को ही उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था. यह खबर देशभर में आग की तरह फैल गई थी. रात के अंधेरे में ही सतलुज के किनारे इनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया.

आइए जानें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के जीवन जुड़े कुछ अनजाने तथ्यों के बारे में

भगत सिंह

  • भगत सिंह 8 वर्ष की छोटी उम्र में ही वह भारत की आजादी के बारे में सोचने लगे थे और 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया थाl

  • भगत सिंह शादी नहीं करना चाहते थे. ऐसे में उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की, तो वह अपना घर छोड़कर कानपुर चले गए थे. उन्होंने यह कहते हुए घर छोड़ दिया था कि “अगर मेरा विवाह गुलाम भारत में हुआ, तो मेरी वधु केवल मृत्यु होगी”. इसके बाद वह “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” में शामिल हो गए थेl

  • भगत सिंह ने अंग्रेजों से कहा था कि ‘फांसी के बदले मुझे गोली मार देनी चाहिए’ लेकिन अंग्रेजों ने इसे नहीं माना. इसका उल्लेख उन्होंने अपने अंतिम पत्र में किया है. इस पत्र में भगत सिंह ने लिखा था, चूंकि ‘मुझे युद्ध के दौरान गिरफ्तार किया गया है. इसलिए मेरे लिए फांसी की सजा नहीं हो सकती है. मुझे एक तोप के मुंह में डालकर उड़ा दिया जाय.’

  • भगत सिंह ने ने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची. हालांकि पहचानने में गलती हो जाने के कारण उन्होंने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी थी.

  • भगत सिंह ने जेल में 116 दिनों तक उपवास किया था. आश्चर्य की बात यह है कि इस दौरान वे अपने सभी काम नियमित रूप से करते थे, जैसे- गायन, किताबें पढ़ना, लेखन, प्रतिदिन कोर्ट आना, इत्यादि.

  • ऐसा कहा जाता है कि भगत सिंह मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए थे. वास्तव में निडरता के साथ किया गया उनका यह अंतिम कार्य ‘ब्रिटिश साम्राज्यवाद को नीचा’ दिखाना था.

  • ऐसा कहा जाता है कि कोई भी मजिस्ट्रेट भगत सिंह की फांसी की निगरानी करने के लिए तैयार नहीं था. मूल मृत्यु वारंट की समय सीमा समाप्त होने के बाद एक मानद न्यायाधीश ने फांसी के आदेश पर दस्तखत किया और उसका निरीक्षण किया.

  • जब उसकी मां जेल में उनसे मिलने आई थी तो भगत सिंह जोरों से हंस पड़े थे. यह देखकर जेल के अधिकारी भौचक्के रह गए कि यह कैसा व्यक्ति है जो मौत के इतने करीब होने के बावजूद खुले दिल से हंस रहा है.

आइए जानें सुखदेव के जीवन जुड़े कुछ अनजाने तथ्यों के बारे में

सुखदेव

  • सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था

  • सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के शहर लायलपुर में श्रीयुत् रामलाल थापर और श्रीमती रल्ली देवी के घर पर 15 मई 1907 को हुआ था

  • जन्म से तीन माह बाद ही इनके पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इना पालन-पोषण इनके ताऊ अचिन्तराम ने किया था.

  • सुखदेव और भगत सिंह दोनों ‘लाहौर नेशनल कॉलेज’ के छात्र थे. ताज्जुब ये है कि दोनों ही एक ही साल में लायलपुर में पैदा हुए थे और एक ही साथ शहीद हुए.

  • सुखदेव ने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र और भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था. सुखदेव ने क्रांतिकारी रूप लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये धारण किया और इस कारण वो भगत सिंह और राजगुरु के साथ आंदोलन में कूद पड़े थे.

  • सुखदेव ने भारत मां की आजादी के साथ 1929 में जेल में बंद भारतीय कैदियों के साथ हो रहे अपमान और अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में भी आवाज उठायी थी.

  • इन्होंने साण्डर्स की हत्या करने में भगत सिंह तथा राजगुरु का पूरा साथ दिया था. गांधी-इर्विन समझौते के सन्दर्भ में इन्होंने एक खुला खत गांधी के नाम अंग्रेजी में लिखा था जिसमें इन्होंने महात्मा जी से कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे. उनका उत्तर यह मिला कि निर्धारित तिथि और समय से पूर्व जेल मैनुअल के नियमों को दरकिनार रखते हुए 23 मार्च 1931 को सायंकाल 7 बजे सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह तीनों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया, इस प्रकार भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ सुखदेव भी मात्र 23 साल की आयु में शहीद हो गए.

आइए जानें राजगुरू के जीवन जुड़े कुछ अनजाने तथ्यों के बारे में

राजगुरू

  • राजगुरू का पूरा नाम शिवराम हरी राजगुरू था और उनका जन्म पुणे के निकट खेड़ में हुआ था.

  • शिवराम हरि राजगुरू बहुत ही कम उम्र में वाराणसी आ गए थे जहां उन्होंने संस्कृत और हिंदू धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन किया था. वाराणसी में ही वह भारतीय क्रांतिकारियों के साथ संपर्क में आए. स्वभाव से उत्साही राजगुरू स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए इस आंदोलन में शामिल हुए और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सक्रिय सदस्य बन गए.

  • मात्र 6 साल की अवस्था में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था.

  • पिता के निधन के बाद ये ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे.

  • बचपन से ही राजगुरु के अंदर जंग-ए-आज़ादी में शामिल होने की ललक थी. वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ. चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गए, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 16 साल थी.

  • राजगुरु क्रांतिकारी तरीके से हथियारों के बल पर आजादी हासिल करना चाहते थे, उनके कई विचार महात्मा गांधी के विचारों से मेल नहीं खाते थे. आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं.

  • 19 दिसंबर 1928 को राजगुरू ने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर ब्रिटिश पुलिस ऑफीसर जेपी साण्डर्स की हत्या की थी. असल में यह वारदात लाला लाजपत राय की मौत का बदला थी, जिनकी मौत साइमन कमीशन का विरोध करते वक्त हुई थी. उसके बाद 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली में हमला करने में राजगुरु का बड़ा हाथ था. राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव का खौफ ब्रिटिश प्रशासन पर इस कदर हावी हो गया था कि इन तीनों को पकड़ने के लिये पुलिस को विशेष अभियान चलाना पड़ा.

  • पुणे के रास्ते में हुए गिरफ्तार पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये. वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली. वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी. इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते, पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को सूली पर लटका दिया गया.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें