28.7 C
Ranchi
Tuesday, March 4, 2025 | 07:27 pm
28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Ram Manohar Lohia Jayanti 2022:डॉ.राम मनोहर लोहिया की जयंती आज,जानें वो क्यों नहीं मनाते थे अपना जन्मदिवस

Advertisement

Ram Manohar Lohia Jayanti 2022: राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अकबरपुर में हुआ था. शहीदे आजम भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को लोहिया जयंती के दिन ही फांसी पर चढ़ाने के कारण राम मनोहर लोहिया ने मृत्यु तक अपने जन्मदिन को नही मनाया.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Ram Manohar Lohia Jayanti 2022: 23 मार्च को जहां भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के शहादत का दिन है तो वहीं महान समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती भी है. राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अकबरपुर में हुआ था. उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक और सच्चे राष्ट्रभक्त थे.

राम मनोहर लोहिया ने देश की राजनीति में भावी बदलाव की बयार आजादी से पहले ही ला दी थी. उनके पिताजी गांधीजी के अनुयायी थे. राम मनोहर लोहिया ने अपनी प्रखर देशभक्ति और तेजस्‍वी समाजवादी विचारों के कारण अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के बीच भी अपार सम्मान हासिल किया. देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया.

नहीं मनाते थे अपना जन्मदिवस

शहीदे आजम भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को लोहिया जयंती के दिन ही फांसी पर चढ़ाने के कारण राम मनोहर लोहिया ने मृत्यु तक अपने जन्मदिन को नही मनाया. उनके साथियों की शहादतों के बाद उन्होंने खुद का जन्मदिन मनाने से इनकार कर दिया और अपने समाजवादी साथियों से यह अपील की कि वह भी उसे न मनाएं . अगर कोई उनसे जन्मदिन मनाने का आग्रह करता तो वह स्पष्ट रूप से कहते थे कि भगत सिंह और उनके साथियों की शहादतों को याद करना चाहिए और इस दिन को हमें बलिदान दिवस के रूप में मनाना चाहिए.

स्वतंत्रता संग्राम में राम मनोहर लोहिया ने निभाई थी बड़ी भूमिका

स्वतंत्र भारत की राजनीति और चिंतन धारा पर जिन गिने-चुने लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है, उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण प्रमुख रहे हैं. भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है. डॉ. लोहिया भारतीय राजनीति के संभवतः अकेले ऐसे नेता थे, जिनके पास इसको लेकर एक सुविचारित सिद्धांत था. वे हर हाल में शहादत दिवसों को जयंतियों पर तरजीह देने के पक्ष में थे.

क्या कहता थे राम मनोहर लोहिया

राम मनोहर लोहिया के अनुसार जो लोग ये कहते हैं कि राजनीति को रोजी-रोटी की समस्या से अलग रखो तो यह कहना उनकी अज्ञानता है या बेईमानी है. राजनीति का अर्थ और प्रमुख उद्देश्य लोगों का पेट भरना है. जिस राजनीति से लोगों को रोटी नहीं मिलती, उनका पेट नहीं भरता वह राजनीति भ्रष्ट, पापी और नीच राजनीति है.’ अर्थात राजनीति को हम दरकिनार करके समाज के विकास या समतामूलक समाज की स्थापना की बात नहीं कर सकते हैं. क्योंकि राजनीति भी हमारे समाज का ही हिस्सा है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर