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बिजनौर में 50 साल पहले 73 KG चांदी छोड़ गयीं थीं इंदिरा गांधी, 34 लाख की प्रॉपर्टी का कौन दावेदार?

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देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अमानत के तौर पर रखी गई इस चांदी की चमक एक बार फिर सुर्खियों में है. वर्तमान में इसकी कीमत तकरीबन 34 लाख रुपए आंकी जा रही है. खास बात तो यह है कि इसका इंदिरा गांधी से संबंध होने के चलते भी इसे लेने के लिए गांधी परिवार की तरफ से कोई दावा नहीं कर रहा है.

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Lucknow News: यूपी के बिजनौर कोषागार में पिछले 50 साल से डबल लॉक में 73 किलोग्राम चांदी रखी हुई है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अमानत के तौर पर रखी गई इस चांदी की चमक एक बार फिर सुर्खियों में है. वर्तमान में इसकी कीमत तकरीबन 34 लाख रुपए आंकी जा रही है. खास बात तो यह है कि इसका इंदिरा गांधी से संबंध होने के चलते भी इसे लेने के लिए गांधी परिवार की तरफ से कोई दावा नहीं कर रहा है.

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आखिर इस चांदी का किया क्या जाए?

जानकारी के मुताबिक, इस संबंध में कोषागार के अधिकारियों की तरफ से चांदी को लौटाने के लिए कई पत्र भी लिखे जा चुके हैं. मगर इनका कोई जवाब नहीं मिला. वहीं, कोषागार के नियमों के मुताबिक कोई भी निजी संपत्ति कोषागार में 1 साल से अधिक समय तक नहीं रखी जा सकती. मगर यह चांदी पिछले पचास साल से बिजनौर कोषागार में रखी सहेजकर रखी हुई है. इस चांदी को रखने के लिए हर साल इसका रिन्यूवल किया जाता है. मगर अब इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में रखी चांदी का किया क्या जाए?

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कहां से आई इंदिरा गांधी के पास 73 किग्रा चांदी?

बिजनौरी में रखी इस चांदी का पूर्प प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से क्या तआल्लुक है, यह जानना भी बेहद अहम हे. दरअसल, कालागढ़ डैम के शुरू होने से करीब दो साल पहले 1972 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी बिजनौर जिले के दौरे पर गई थीं. इस दौरान बिजनौर की जनता ने उन्हें चांदी से तौला था. चांदी करीब 64 किलो थी. इसके अलावा वहां के लोगों ने उन्हें उपहार स्वरूप कुछ और भी चीजें भेंट की थी. जिससे चांदी बढ़कर 73 किलोग्राम हो गई थी. इन उपहारों को इंदिरा गांधी ने अपने साथ ले जाने से मना कर दिया था. ऐसे में यह अमानत के तौर पिछले 50 साल से बिजनौर के कोषागार में सुरक्षित है.

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