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रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नये प्रधानमंत्री बने, राष्ट्रपति गोटाबाया ने दिलायी शपथ

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यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया. इससे पहले दोनों ने बुधवार को बंद कमरे में बातचीत की थी.

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कोलंबो: श्रीलंका में विपक्ष के नेता रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickeremesinghe) को बृहस्पतिवार को देश के नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी. कुछ दिन पहले ही महिंदा राजपक्षे ने देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

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2018 में पीएम के पद से हटा दिये गये थे विक्रमसिंघे

यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया. इससे पहले दोनों ने बुधवार को बंद कमरे में बातचीत की थी. श्रीलंका (Sri Lanka) के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था.

कई दलों ने दिया है विक्रमसिंघे को समर्थन

हालांकि, दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था. सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी), विपक्षी समगी जन बालावेगाया (एसजेबी) के एक धड़े और अन्य कई दलों ने संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत साबित करने के लिए अपना समर्थन जताया है.

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देश की सबसे पुरानी पार्टी नहीं जीत सकी एक भी सीट

देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी वर्ष 2020 के संसदीय चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और यूएनपी के मजबूत गढ़ रहे कोलंबो से चुनाव लड़ने वाले विक्रमसिंघे भी हार गये थे. बाद में वह सकल राष्ट्रीय मतों के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके.

सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा श्रीलंका

उनके साथी रहे सजीत प्रेमदासा ने उनसे अलग होकर अलग दल एसजेबी बना लिया, जो मुख्य विपक्षी दल बन गया. विक्रमसिंघे को दूरदृष्टि वाली नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था को संभालने वाले नेता के तौर पर व्यापक स्वीकार्यता है. उन्हें श्रीलंका का ऐसा राजनेता माना जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी जुटा सकते हैं. श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

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