20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Google Doodle Today: जानें कौन थे गामा पहलवान, जिन्हें गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान

Advertisement

gama pehalwan google doodle 22 may 2022: गामा पहलवान का जन्म 22 मई सन 1878 को अमृतसर में हुआ था. उनका नाम गुलाम मुहम्मद बख्श दत्त रखा गया था. गामा को पहलवानी विरासत में मिली थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Google Doodle Today, Gama Pehlwan Birthday: गूगल आज अपने खास डूडल के जरिये एक ऐसे पहलवान की जयंती मना रहा है, जिसने दुनियाभर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया. आज 22 मई है और 144 साल पहले इसी दिन भारतीय पहलवान गुलाम मुहम्मद बख्श दत्त का जन्म हुआ था, जिन्हें आज दुनिया द ग्रेट गामा, रुस्तम-ए-हिंद और गामा पहलवान के रूप में याद करती है.

- Advertisement -

कुश्ती की रिंग में कभी हारे नहीं

गामा पहलवान का जन्म सन 1878 में अमृतसर अमृतसर जिले के जब्बोवाल गांव में हुआ था. उनका नाम गुलाम मुहम्मद बख्श दत्त रखा गया था. पहलवानों के परिवार में जन्मे गामा को पहलवानी विरासत में मिली थी. सन 1910 में गामा को वर्ल्ड हेवीवेट टाइटल दिया गया. आजादी से पहले गामा पहलवान कुश्ती की दुनिया में भारत के सबसे प्रसिद्ध पहलवानों में गिने जाते थे. उनके बारे में कई किस्से मशहूर हैं. कहा जाता है कि कुश्ती की रिंग में उन्हें कभी कोई हरा नहीं पाया. बड़ौदा संग्रहालय में एक 1200 किलो का पत्थर रखा है. 23 दिसंबर 1902 में गामा ने इस पत्थर को उठा डाला था.

Also Read: Google Alert: अपने फोन से फौरन हटा दें ये ऐप्स, कहीं धोखे का शिकार न हाे जाएं आप
15 साल की उम्र से करने लगे थे कुश्ती

गामा जब 10 साल के थे, तब उनके वर्कआउट रूटीन में 500 दंड बैठक शामिल थे. 1888 में उन्होंने देश भर के 400 से अधिक पहलवानों के साथ एक दंड बैठक की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीता भी था. प्रतियोगिता में गामा की सफलता ने उन्हें भारत के शाही राज्यों में प्रसिद्धि दिलायी. उन्होंने 15 साल की उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी. गामा को उसके बाद 1910 तक पहचान मिलने लगी थी. गामा ने अपने करियर में बहुत नाम कमाया और कई खिताब भी जीते. इसमें 1910 में विश्व हेवीवेट चैंपियनशिप के भारतीय संस्करण और 1927 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप शामिल हैं. जल्द ही उनकी छवि राष्ट्रीय नायक की बन गई.

मिली थी टाइगर की उपाधि

विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के बाद गामा पहलवान को टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया गया था. प्रिंस ऑफ वेल्स ने अपनी भारत यात्रा के दौरान महान पहलवान को सम्मानित करने के लिए एक चांदी की गदा भेंट की थी. गामा पहलवान ने एक बार बाद मार्शल आर्ट के मास्टर ब्रूस ली को भी चैलेंज किया था. जब ब्रूस ली ने यह जाना कि गामा पहलवान ने चुनौती दी है, तो वे गामा से मिलने पहुंचे. लेकिन यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई. ब्रूस ली ने गामा को एक पुश-अप करने का तरीका सिखाया था, जिसे ‘द कैट स्ट्रेच’ कहते हैं. वहीं, ब्रूस ली ने गामा को बॉडी बनाने का तरीका सीखा. कहा जाता है कि ब्रूस ली की बॉडी गामा पहलवान की ही देन थी.

10 लीटर दूध, 6 देसी मुर्गा हर रोज

20वीं शताब्दी की शुरुआत में गामा पहलवान को रुस्तम-ए-हिंद कहा जाने लगा. वे खाने-पीने के बड़े शौकीन थे. गांव के रहन-सहन की वजह से खाना भी देसी ही पसंद किया करते थे. उनसे जुड़ी कहानियां और रिपोर्ट बताती हैं कि वे हर रोज 10 लीटर दूध पीते थे. हर रोज 6 देसी मुर्गा खाते थे. 200 ग्राम बादाम डालकर हर दिन अपने लिए एक पेय तैयार करते थे. आज के पहलवान भी इसी तरह के पेय का सेवन करते हैं. वे अपने 40 साथियों के साथ हर रोज कुश्ती किया करते थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, वे रोजाना 5 हजार बैठक और 3 हजार दंड लगाते थे. कुश्ती करनेवाले लोग उन्हें आज भी फॉलो करते हैं.

गामा पहलवान को जब बेचना पड़ा था अपना मेडल

कहते हैं कि गामा पहलवान का अंतिम समय बड़ी परेशानियों में बीता था. भारत के विभाजन से पहले गामा पहलवान अमृतसर में रहते थे, लेकिन बाद में वे रहने के लिए लाहौर चले गए थे. उन्होंने अपने जीवन की आखिरी कुश्ती जेस पीटरसन से साल 1927 में लड़ी थी. कुश्ती छोड़ने के बाद उन्हें हृदय रोग की शिकायत हुई और धीरे-धीरे उनकी हालत खराब होती चली गई. कहा जाता है कि उनके पास इतने रुपये तक नहीं थे कि वे अपना ढंग से इलाज करा सकें. इस वजह से उन्होंने अपना मेडल बेचकर गुजारा किया था. लंबी बीमारी के बाद 1960 में 82 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें