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राजा राममोहन राय का था झारखंड से खास कनेक्शन, इन दो जगहों पर थे कर्मचारी के पद पर कार्यरत

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राजा राममोहन राय न सिर्फ समाज सुधारक थे बल्कि महान दार्शनिक भी थे. झारखंड से उनकी गहरी यादें जुड़ी हुई है. वह चतरा और रामगढ़ में सिविल कोर्ट में कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे.

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भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत और आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय सिर्फ सती प्रथा का अंत करानेवाले समाज सुधारक ही नहीं, बल्कि महान दार्शनिक और विद्वान भी थे. झारखंड के लिए गर्व की बात है कि यह भूमि राजा राममोहन राय की कार्यस्थली रही है. झारखंड के चतरा जिला मुख्यालय से राजा राममोहन राय की गहरी यादें जुड़ी हैं. वह चतरा और रामगढ़ में सरिश्तेदार (सिविल कोर्ट में कर्मचारी) के पद पर कार्यरत थे.

वर्ष 1805-06 में वह चतरा कोर्ट में तैनात थे. उस समय चतरा उत्तरी छोटानागपुर का मुख्यालय था. राजा राममोहन राय ईस्ट इंडिया कंपनी के मुलाजिम थे, तब चतरा के कमिश्नर विलियम डिग्बे थे. उस समय चतरा से ही अंग्रेज इस क्षेत्र को नियंत्रित करते थे. 1806 के आखिर में डिग्बे का स्थानांतरण हो गया. इसके बाद डिग्बे अपने साथ राजा राममोहन राय को भी भागलपुर ले गये.

40 की उम्र में नौकरी छोड़ सामाजिक बदलाव लाने में जुटे :

जब राजा राममोहन राय चतरा में थे, उस समय उनकी उम्र 33 साल थी. लगभग 40 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद सामाजिक व धार्मिक बदलाव के लिए सक्रिय हो गये. राजा राममोहन राय को भारतीय भाषाई प्रेस का प्रवर्तक भी कहा जाता है. सवा दो सौ साल पहले भारत के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां थी. पहला अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्ति दिलाना, दूसरी कुरीतियों की जकड़न से समाज को बाहर निकालना. कुछ लोगों ने देश को सामाजिक बुराइयों से आजाद कराने का बीड़ा उठाया. उनमें राजा राममोहन राय पहली कतार में थे.

एकेश्वरवाद में थी आस्था :

22 मई 1772 को उनका जन्म बंगाल के ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वैष्णव भक्त परिवार के होने के बाद भी राजा राममोहन राय की आस्था एकेश्वरवाद में थी.

Posted By : Sameer Oraon

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