24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Separation Anxiety: बच्चे से दूर होते ही सताने लगती है चिंता? सेपरेशन एंग्जाइटी से बचने का तरीका जानें

Advertisement

Separation Anxiety For Mothers: ऐसा कहा जाता है कि बच्चे से दूर रह कर भी एक मां चिंता करना नहीं छोड़ती लेकिन ऐसा करना कितना सही है? यदि आप भी ऐसी मां हैं जो बच्चे को स्कूल कैंपस में छोड़ते ही या उसके दूर होते ही उनकी चिंता में घिर जाती हैं तो इस स्थिति से निकलने का सही तरीका क्या है जान लें.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Separation Anxiety For Mothers: बच्चों का एक लंबे ब्रेक के बाद स्कूल शुरू करना या एक नए स्कूल में एडमिशन न केवल बच्चों के लिए बल्कि उनके पैरेंट्स के लिए भी बहुत तनावपूर्ण हो सकता है. खासतौर पर ऐसे समय में जब एक लंबे समय के बाद अभी-अभी कोराना महामारी की स्थिति थमी है और बच्चों को अकेले कैंपस भेजना पड़ रहा है. ऐसे में ज्यादातर परेंट्स खास तौर पर माएं सेपरेशन एंग्जाइटी (Separation Anxiety) का शिकार हो रही हैं.

- Advertisement -

पैरेंट्स अपनी भावनाओं को समझें

अपने बच्चे से दूर होने की चिंता में माता-पिता में कुछ ऐसे लक्षण आम हो गये हैं जिसमें रात को नींद न आना, सुबह बेचैनी का अनुभुव होना, बच्चे को छोड़ने के बाद भी स्कूल कैंपस से बाहर नहीं निकलना, सीसीटीवी फुटेज की जांच करना. ऐसे में बहुत जरूरी है कि माता-पिता अपनी भावनाओं को जानें, समझें और स्वीकार भी करें. एक मां जब यह स्वीकार करती है कि अपने बच्चे से दूर रहने पर चिंतित होना स्वाभाविक है तो यही बात समझ उसे चिंता और तनाव (Anxiety And Stress) का मुकाबला करने में मदद भी करती है.

अपने बच्चे और स्कूल से बात करें

विभिन्न अध्ययनों की बात करें तो उसके अनुसार बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर तैयार करने के लिए, माता-पिता को जितना संभव हो सके बच्चों और स्कूल से बात करनी चाहिए. एक नया स्कूल शुरू करने के बाद चीजें कैसे बदलेगी, इस बारे में ईमानदार और खुले संवाद होने से बच्चे के दिमाग को तैयार किया जा सकता है. ज्यादातर माताएं बच्चे को तैयार करने की उम्मीद के साथ इस उपाय को अपनाती हैं लेकिन उनमें से बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि जाने-अनजाने वे इस प्रक्रिया में खुद को भी तैयार कर रही हैं. यह दोनों के लिए फायदे की स्थिति है. स्कूल में बार-बार आना, स्कूल के साथ एक ओपन कम्यूनिकेशन चैनल होना और इस नई शुरुआत के बारे में परिवार या दोस्तों के बीच लंबी चर्चा कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्होंने दुनिया भर में पहली बार माताओं को चिंता से लड़ने में मदद की है.

एक नई रूटीन बनाएं

स्कूल के समय से मेल खाने वाली रूटीन का पालन करना परिवार को तैयार करने का एक शानदार तरीका है. इससे न केवल बच्चों के टाइम टेबल आसानी से मैनेज होंगे बल्कि वे मानसिक रूप से भी सतर्क और सक्रिय रहने के लिए पूरी तरह से तैयार होंगे. यदि आप अपने बच्चे को उसके स्कूल को लेकर अच्छी तरह से तैयार कर लेते हैं तो आपको उसकी चिंता न के बराबर या कम होगी.

Also Read: Anxiety: एंग्जाइटी क्या है? इससे निपटने के आसान तरीके जानें
कोशिश करें की बच्चे का एक्सपीरिएंस पॉजिटिव हो

बच्चे के स्कूल ड्रॉप ऑफ के समय बच्चों के जोर से रोने से नई मम्मियों के बीच कोर्टिसोल को बढ़ाने में योगदान मिलता है. इसलिए, स्कूल में अपने बच्चे के लिए एक पॉजिटिव एक्सपीरिएंस मिले इस बात पर ध्यान दें. इससे आपमें भी सकारात्मकता आएगी उस दिन से ही आप अपने बच्चे को एक सुरक्षित, भरोसेमंद और सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के बाद अपने “मी टाइम” को एंज्वाय करना शुरू कर देंगी.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें