20.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 08:37 pm
20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आखिर क्या है Places of Worship Act 1991 जिसे बार-बार दी जा रही है कोर्ट में चुनौती, जानिए पूरा मामला

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में मथुरा के धार्मिक गुरु और कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की ओर से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के खिलाफ शनिवार को एक और याचिका दायर की गई है. सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका में इस पूजा स्थल कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका मथुरा के कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के द्वारा दायर की गई है. सर्वोच्च अदालत में पूजा स्थल कानून के खिलाफ एक पर एक याचिका दायर किए जाने के बाद सवाल यह भी पैदा होता है कि आखिर इस कानून में ऐसा क्या है, जिसे बार-बार चुनौती दी जा रही है.

धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में मथुरा के धार्मिक गुरु और कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की ओर से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई है. देवकीनंदन ठाकुर की याचिका में कहा गया है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 की धारा धारा 2, 3 और 4 अनुच्छेद 14, 15, 21 का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ये तीनों धाराएं भारत के संविधान की धारा 5, 26, 29 और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों और कानून के शासन का उल्लंघन करता है, जो संविधान की प्रस्तावना और बुनियादी ढांचे का एक अभिन्न अंग है.

अयोध्या में राम जन्मभूमि तो मथुरा में कृष्ण जन्मस्थली नहीं

सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के जीर्णोद्धार के लिए हिंदू सैकड़ों साल से शांतिपूर्ण तरीके से जनांदोलन कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र में इस कानून को अधिनियमित करके अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान को हटा दिया, लेकिन मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान का जीर्णोद्धार नहीं किया गया. हालांकि, दोनों भगवान और विष्णु के अवतार हैं.

याचिका में कानून को रद्द करने की मांग

याचिका में इस बात का दावा किया गया है कि जब कानून व्यवस्था, कृषि, शिक्षा आदि की तरह धार्मिक स्थलों का रखरखाव और उस संबंध में कानून बनाने का अधिकार भी राज्यों को दिया गया है. संविधान में भी ये हक राज्यों को ही दिया गया है, तब केंद्र ने कैसे ये कानून बनाया? याचिका में कहा गया है कि ये कानून मनमाना और असंवैधानिक है. याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र की ओर से 1991 में संसद से पारित कराया गया प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट जिसे कानून बना दिया गया. वह पूरी प्रक्रिया ही असंवैधानिक है. लिहाजा, इस कानून को रद्द किया जाए.

पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय, वाराणसी के निवासी रुद्र विक्रम और एक धार्मिक नेता स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने पहले ही इस अधिनियम के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दायर की है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 2, 3 और 4 में संशोधन कर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार छीन लिया गया. याचिका में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 3 पूजा स्थलों के रूपांतरण पर यह कहते हुए रोक लगाती है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल को एक ही धार्मिक संप्रदाय के एक अलग वर्ग के पूजा स्थल में परिवर्तित नहीं करेगा.

Also Read: Aligarh News : अयोध्या में श्रीराम मंदिर कब तक बनकर तैयार होगा? चंपत राय ने दिया यह जवाब
क्या है पूजा स्थल कानून

बता दें कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 एक अधिनियम है, जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है. यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था. हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा था.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें