17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आजादी का अमृत महोत्सव : कब हुआ था कौन सा विद्रोह ? यहां जानें विस्तार से

Advertisement

आजादी का यह 75वां साल है. आज से 75वें दिन हम इस गौरवपूर्ण अवसर का जश्न मनायेंगे. प्रभात खबर पिछले साल, 15 अगस्त के दिन से आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है

Audio Book

ऑडियो सुनें

आजादी का यह 75वां साल है. आज से 75वें दिन हम इस गौरवपूर्ण अवसर का जश्न मनायेंगे. प्रभात खबर िपछले साल, 15 अगस्त के दिन से आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है और इस वर्ष को समर्पित विशेष पेज देता आ रहा है. इसी कड़ी में आज से 75 दिन तक हम हर रोज विशेष सामग्री अपने पाठकों तक पहुंचायेंगे. इसका मकसद उन हजारों शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और संघर्ष को नमन करना है, जिनकी बदौलत आज हम एक आजाद मुल्क में सांस ले पा रहे हैं.

- Advertisement -

1772 से 1784 पहाड़िया जनजातीय विद्रोह

राजमहल (वर्तमान संताल परगना) की पहाड़ियों में ईसा से 300 साल पहले से उन्मुक्त जीवन जीने वाली पहाड़िया जनजाति ने अपने क्षेत्रों में अंग्रेजों के हस्तक्षेप के खिलाफ वर्ष 1772 से 1784 तक विभिन्न चरणों में विद्रोह का झंडा लहराया. आजादी की इस लड़ाई में रमना आहड़ी, करिया पुजहर और तिलका मांझी ने शहादत दी. रानी सर्वेश्वरी देवी का संघर्ष इस विद्रोह का केंद्र रहा.

30 जून 1855 संताल विद्रोह

सिदो-कान्हू के नेतृत्व में वर्तमान साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह गांव से संताल आदिवासियों ने िब्रटिश शासन के अफसरों और उनके द्वारा नियुक्त जमींदारों के खिलाफ हूल यानी विद्रोह का बिगुल फूंका. इस आंदोलन में राजमहल की पहाड़ियों और जंगलों में रहने वाली दूसरी जाति के लोग भी शामिल हो गये. इस विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजी हुकूमत को अपनी पूरी शक्ति लगानी पड़ी. इस रक्तरंजित दमन में करीब 10 हजार विद्रोही शहीद हुए. सिदो, कान्हू, चांद और भैरव, इन चारों भाइयों को आजादी के लिए फांसी पर लटकना पड़ा.

10 मई 1857 भारतीय सैनिकों का सशस्त्र विद्रोह

कलकत्ता से 16 मील दूर बैरकपुर छावनी में 29 मार्च,1857 को मंगल पांडेय ने विद्रोह का पहला बिगुल बजाया. 10 मई से इस विद्रोह की आग दानापुर, आरा, राेहिणी, कानपुर, मेरठ, दिल्ली, झांसी और लखनऊ सहित मध्य भारत और दिल्ली क्षेत्र तक फैल गयी.

16 अक्तूबर 1905  बंगाल विभाजन की साजिश, पर कामयाबी नहीं

राष्ट्रवाद की भावना को दबाने के लिए वायसराय लार्ड कर्जन ने बड़ी साजिश रची और बंगाल विभाजन की घोषणा कर दी. इसका मकसद ही था फूट डालो और राज करो, मगर भारतीयों ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. इससे सांप्रदायिक एकता और सद्भाव का ऐसा माहौल बना कि अंतत: ब्रिटिश हुकूमत को 12 दिसंबर, 1911 में अपना फैसला वापस लेना पड़ा.

13 अप्रैल 1919  जलियांवाला बाग नरसंहार

वह बैसाखी का दिन था. स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल और सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ सभा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए थे. अंग्रेज हुकूमत को इसकी खबर थी. ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर भारी संख्या में सैनिकों को लेकर वहां पहुंचा और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया. निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां बरसायी गयीं.

15 अगस्त 1947    … और हम आजाद हुए

… और वह स्वर्णिम दिन आया, जब करीब 200 साल तक की गुलामी के बाद हमने ब्रिटिश हुकूमत से अपने देश की आजादी छीनी और चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे उन हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और प्राणोत्सर्ग को उनका मूल्य िमला, जिनके लिए राष्ट्र पहले था, हमेशा पहले.

9 अगस्त 1942 महात्मा गांधी और भारत छोड़ो आंदोलन

गांधी जी के आह्वान पर ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ शुरू हुआ. गांधी जी सहित प्राय: सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये, किंतु देशभर के युवाओं ने आंदोलन को गति और विस्तार दिया. हजारों लोगों ने शहादत दी. अंतत: िब्रटिश हुकूमत यह कबूल करने को मजबूर हुआ कि भारत की आजादी को और टाला नहीं जा सकता.

10 मई 1857 भारतीय सैनिकों का सशस्त्र विद्रोह

कलकत्ता से 16 मील दूर बैरकपुर छावनी में 29 मार्च,1857 को मंगल पांडेय ने विद्रोह का पहला बिगुल बजाया. 10 मई से इस विद्रोह की आग दानापुर, आरा, राेहिणी, कानपुर, मेरठ, दिल्ली, झांसी और लखनऊ सहित मध्य भारत और दिल्ली क्षेत्र तक फैल गयी.

11 अगस्त 1908     क्रांतिवीर खुदीराम बोस को फांसी

वर्ष 1857 में शुरू सिपाही विद्रोह को अंग्रेजों द्वारा दबा दिये जाने के बाद वर्षों के सन्नाटे को तोड़ा था क्रांतिवीर खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चंद चाकी ने. खुदीराम बोस ने दमनकारी जज किंग्सफोर्ड की हत्या के लिए 30 अप्रैल,1908 को मुजफ्फरपुर क्लब के सामने बम फेंक दिया, पर वह बच गया. 11 अगस्त, 1908 को मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में सिर्फ 18 साल की उम्र में बोस को फांसी दे दी गयी.

10 अप्रैल 1917     गांधी जी का चंपारण सत्याग्रह

इसी सत्याग्रह के माध्यम से गांधी जी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई को अहिंसा का नया हथियार मिला. तब गांधी जी अफ्रीका से लौटने के बाद देश को करीब से जानने के लिए देशाटन पर थे. इसी कड़ी में 10 अप्रैल, 1917 को वे चंपारण पहुंचे. उन्होंने 175 दिन वहां रुक कर किसानों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आंदोलन चलाया.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें